
एटा । ने हाईकोर्ट में दर्ज परिवाद में राजाराम की पत्नी संतोष कुमारी ने बताया था कि 18 अगस्त 2006 उसके पति को थाना सिढ़पुरा जिला एटा के पुलिसकर्मी पवन सिंह, पालसिंह ठेनुवा, अजंट सिंह, सरनाम सिंह और राजेन्द्र प्रसाद ने उठा लिया था और कहा कि पूछताछ के लिए ले जा रहे है कल छोड़ देंगे । उस समय वह पति राजाराम, जेठ शिव प्रकाश, देवर अशोक के साथ अपनी बीमार बहन राजेश्वरी देवी को पहलोई गांव में देखने जा रही थी। थाना सिढ़पुरा की पुलिस ने एक लुटेरे की मुठभेड़ में मौत बताई। उसके शव को अज्ञात में जला देने के बाद बताया कि वह राजाराम था। संतोष ने बताया कि वे पहले केस दर्ज कराने के लिए थाने गए तो पुलिस ने भगा दिया।
फिर उन लोगों ने जिला अदालत में प्रार्थना पत्र दिया तो अर्जी खारिज हो गई। फिर उन्होंने वे हाईकोर्ट गए जहा हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए ।
फिर सीबीआई ने 2009 में सिढ़पुरा के तत्कालीन थाना प्रभारी पवन कुमार सिंह सहित दस पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। जिसमे गवाही शुरु हुई, कुल 202 गवाह पेश किए सीबीआई की अदालत ने फिर पांच पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास और 33-33 हजार रुपये अर्थदंड और चार पुलिसकर्मियों को पांच-पांच साल जेल व 11-11 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई ।
गवाही के बाद साबित हुआ कि सिपाही राजेंद्र ने राजाराम से अपने घर की रसोई में काम कराया था। राजाराम ने मजदूरी के पैसे मांग लिए थे। सिपाही ने मना किया तो राजाराम अड़ गया था। इसी पर सिपाही ने साजिश रच ली। राजाराम पर एक भी केस दर्ज न होने के बावजूद सिढ़पुरा थाने की पुलिस ने उसे लुटेरा बताया। उसका शव परिवारवालों को देने के बजाय खुद ही अज्ञात में दाह संस्कार कर दिया था।