भारतीय सांविधिक आयोग, जिसे आमतौर पर इसके अध्यक्ष के नाम पर साइमन कमीशन के रूप में जाना जाता है, को संभावित संवैधानिक सुधारों का अध्ययन करने के लिए फरवरी-मार्च 1928 और अक्टूबर 1928 से अप्रैल 1929 तक दो बार भारत भेजा गया था। 1930 में, आयोग ने अपनी दो-खंड की रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसे साइमन रिपोर्ट (Simon Report) के रूप में भी जाना जाता है। साइमन कमीशन को पूरे भारत में विभिन्न क्षेत्रों में विरोध और प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा, और लाहौर से पटना तक काले झंडे और नारों के साथ स्वागत किया गया।
दिल्ली असेंबली बम कांड (Delhi Assembly Bomb Case) से मशहूर 8 अप्रैल, 1929 की घटना को कई फिल्मों और वृत्तचित्रों में चित्रित किया गया है, जिनमें क्रांतिकारी जोड़ी को कम-तीव्रता वाले बम फेंकते और ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा लगाते हुए दिखाया गया है। इनमें हवा में गोलियां भी चलाये जाने को चित्रित किया गया है। इस घटना के बाद सिंह और दत्त दोनों ने आत्मसमर्पण कर दिया था और बाद में कुछ समाचार पत्रों की खबरों ने उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया कि यह प्रशासन की प्रणाली को बदलने को लेकर केवल सरकार के लिए खतरे का संकेत था।
दिल्ली अभिलेखागार ने शुक्रवार को घटना की वर्षगांठ मनाई और सोशल मीडिया पर दुर्लभ अभिलेखीय रिकॉर्ड भी साझा किए, जिसमें घटना पर प्रकाशित खबरें और बाद में 1929 में उनके मुकदमे की सुनवाई की चीजें भी शामिल की गई।