उन्नाव

पाँच बार जीत का ताज पहन चुके पूर्व शिक्षक विधायक एक बार फिर मैदान में

ब्यूरो ऋषभ तिवारी उन्नाव

उन्नाव- पूर्व शिक्षक विधायक राज बहादुर सिंह पाँच बार जीत का ताज पहन चुके है और उन्होंने छ्ठी बार चुनावी मैदान में  आने का ऐलान कर दिया है।चुनाव की तिथि नजदीक आ गयी है। सम्भवतः यह चुनाव जनवरी – फरवरी कराए जाने है । ऎसे में सभी उम्मीदवार मैदान में आ गए है।
पहले राजनीतिक पार्टी अपना कैंडिडेट इस चुनाव में नहीं उतारती थी। पूर्व शिक्षक विधायक राज बहादुर चंदेल के लिए कड़ी चुनौती है । लेकिन 5 बार से विधायक रहे राजबहादुर चंदेल ने अपने व्यक्तित्व से शिक्षकों के दिल में अलग जगह बना ली है अपनी निधि का एक-एक पैसा बिना कमीशन लिये बिना जरूरत मंद विद्यालयों में बांट देना ही उनके लिए जीत का कारण हर बार बनता है । वही इस बार देखना यह होगा जहां अन्य पार्टियों अपने सांसदों विधायकों व जमीनी कार्यकर्ताओं को इस चुनाव में लगा रही है ऐसे में क्या अकेले राजबहादुर चंदेल भाजपा से टक्कर ले पाएंगे।
कौन है राज बहादुर सिंह चंदेल-
सन 2001 में राजा शंकर सहाय इंटर कॉलेज उन्नाव से रसायन विज्ञान के स्नातकोत्तर शिक्षक के रूप में सेवानिवृत्त हुए । वह 2017 से शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र (कानपुर नगर, कानपुर देहात, उन्नाव) से उत्तर प्रदेश की विधान परिषद के सदस्य रहे हैं। वह 1977 से शिक्षक राजनीति में सक्रिय हो गए। 1992 में पहली बार उन्होंने शिक्षक समूह के उम्मीदवार के रूप में कानपुर शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के लिए विधान परिषद उत्तर प्रदेश के सदस्य का चुनाव जीता। उन्होंने 1998 और 2004 में शिक्षक समूह के उम्मीदवार के रूप में कानपुर शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के लिए विधान परिषद उत्तर प्रदेश के सदस्य का चुनाव भी जीता । 2010 में उन्होंने एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में कानपुर शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के लिए विधान परिषद उत्तर प्रदेश के सदस्य के लिए चुनाव लड़ा और एमएलसी की सीट जीती। . चंदेल ने 2017 में कानपुर शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी की सीट जीती ।

मनमानी फीस वसूल रहे निजी विद्यालयों को सत्ता का है संरक्षण-

उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सत्ता के संरक्षण में निजी विद्यालय मनमानी फीस वसूल रहे हैं जिससे गरीब बच्चे अच्छी शिक्षा नहीं पा पा रहे हैं वहीं महंगाई भी चरम पर है ऐसे में गांधी जी का जो सपनों का भारत था उसकी कल्पना भला कैसे की जा सकती है हम लोग जब सदन में मुद्दा उठाते हैं तो हमारे लोगों की आवाज दवा दी जाती हैं जबकि सभी को समान रूप से शिक्षा दी जानी चाहिए और सामान्य शुल्क दर पर उत्तम शिक्षा दी जानी चाहिए ।

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