उन्नाव।।यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक लगातार फरमान जारी कर रहे हैं कि मरीज के साथ अच्छा व्यवहार करें और उनको बाहर से दवाइयां ना लिखकर अस्पताल से दवाइयां को मुहैया कराई जाए जिससे कि सरकारी अस्पताल में गरीब व्यक्तियों को सहूलियत मिल सके लेकिन सरकारी अस्पताल के डॉक्टर कमीशन के चलते मरीज को बाहर से महंगी दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर करते हैं।
जिला अस्पताल में बाहर से महंगी दवाइयां लिखने का सिलसिला लगातार जारी है जिला अस्पताल में डॉक्टर गरीब मरीज को बाहर से दवा खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। जिसका जीता जाता सबूत है खुद ही पत्रकार है आज जब एक पत्रकार खुद ही सरकारी जिला अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर तुषार के पास अपने पुत्र और अपनी माता के इलाज के लिए गया तो घंटा डॉक्टर अपने ओपीडी से नदारत रहे कई घंटे बीत जाने के बाद जब डॉक्टर ओपीडी में आए तो डॉक्टर ने मरीज को देखा और देख कर बाहर मेडिकल से दवा लेने के लिए कहा पत्रकार ने कहा कि बाहर से दवा मत लिखें और अस्पताल से दवा दें या फिर 17 नंबर से दवा लिख दे 17 नंबर खिड़की पर दवा लेने के लिए जब गया तो वहां पर भी दवा उपलब्ध नहीं थी जिसके बाद पत्रकार में प्राइवेट मेडिकल्स में दवा लेने के लिए गया तो दवाइयां बहुत ही महंगी थी जबकि बीमारी सिर्फ नॉर्मल थी बदन और सर में दर्द को लेकर मेडिकल स्टोर वाले ने दवा का बिल₹1200 बना दिया। अब आप ही बताएं कि अगर एक पत्रकार के साथ डॉक्टर के द्वारा इस तरह की हरकतें की जा रही हैं तो एक आम गरीब व्यक्तियों के साथ सरकारी अस्पताल के डॉक्टर क्या करते होंगे। कहीं ना कहीं स्वास्थ्य विभाग लगातार फरमान जारी कर रहा है लेकिन इन लाखों रुपए का वेतन उठाने वाले डॉक्टर के ऊपर मुख्यमंत्री हो या उपमुख्यमंत्री इनकी बातों का कोई भी असर दिखाई नहीं दे रहा है। आखिर क्या वजह है कि डॉक्टर मुख्यमंत्री की आदेशों की धज्जियां उड़ा रहा है। या फिर डॉक्टर के लिए बाहर से दवा न लिखने का झूठ फरमान जारी किया हो। सोचने की बात तो ये है कि फरमान के बाद भी डॉक्टर बाज नहीं आ रहे हैं गरीब मरीजों को बाहर से दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर लगातार करते हैं नजर आ रहे हैं।