संवाददाता सचिन पाण्डेय
उन्नाव। अपर जिला जज/सचिव अवधेश कुमार, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने बताया है कि उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ कि कार्ययोजना वर्ष 2022-2023 के क्रियान्वन के क्रम में कार्यालय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, उन्नाव की माननीय जनपद न्यायाधीश अध्यक्ष/जिला जज प्रतिमा श्रीवास्तव के दिशा निर्देश में गत 04 जनवरी 2023 को सामुदायिक केंद्र, कांशीराम कालोनी में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, कन्या भ्रूण हत्या व लड़कियों के प्रति भेदभाव के विषय पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में बताया गया कि बेटी बचाओ बेटी पढाओ भारत सरकार द्वारा महिला बच्चों के खिलाफ चल रहे भेदभाव को दूर करने, बालिकाओं की स्थिति में सुधार और समाज में व्याप्त लिंग असंतुलन को दूर करने के लिए शुरू की गई एक सामाजिक योजना है। इस योजना को देश में खराब महिला अनुपात को ध्यान में रखते हुए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 जनवरी 2015 को शुरू किया गया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं को बचाना, उन्हें उचित शिक्षा और सुरक्षा प्रदान करना, व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास में उनकी सहायता करना है।
उन्होने कन्या भ्रूण हत्या के बारे में बताते हुए कहा कि आमतौर पर यह कृत्य मानवता और विशेष रूप से समूची स्त्री जाति के विरुद्ध सबसे जघन्य अपराध है। पीसी एन्ड पीएनडीटी एक्ट के तहत लिंग चयन या लिंग का पूर्ण निर्धारण की सेवा देने वाले विज्ञापनों का प्रकाशन, गर्भाधान-पूर्व या जन्म-पूर्व परीक्षण तकनीकों वाले क्लीनिकों का पंजीकृत नहीं होना या क्लीनिक या संसथान के भीतर सबको दिखाई देने वाले पंजीकरण प्रमाणपत्र को प्रदर्शित नहीं करना, अजन्मे बच्चे का लिंग का निर्धारण करना, गर्भवती को लिंग निर्धारण परीक्षण के लिए मजबूर करना, लिंग चयन की प्रक्रिया में सहयोग या सुविधा प्रदान करना, चिकित्सक द्वारा गर्भवती या अन्य व्यक्ति को अजन्मे बच्चे के लिंग के बारे में किसी भी तरह सूचित करना, पीसी एन्ड पीएनडीटी एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत क्लीनिकों द्वारा अभिलेखों को भली-भांति सहेज कर नहीं रखना एक गंभीर अपराध है।
अध्यक्ष स्थाई लोक अदालत कुमुदनी वर्मा ने स्थाई लोक अदालत के गठन के विषय में बताते हुए कहा कि स्थायी लोक अदालत का गठन विधिक सेवाएं प्राधिकरण अधिनियम ए 1987 की धारा 22-बी की उप धारा (1) के अंतर्गत हुआ है। जनहित सेवाओं से संबंधित विभाग जैसे बिजली, पानी, अस्पताल आदि से संबंधित मामलों को, मुकदमें दायर करने से पहले आपसी सुलह से निपटाने के लिए राज्य प्राधिकरण द्वारा स्थायी लोक अदालतों की स्थापना की गई है। कोई भी पक्ष जिसका संबंध इन जनहित सेवाओं से है वह इन विवादों को निपटाने के लिए स्थायी लोक अदालत में आवेदन कर सकता है। सबसे पहले विवाद को आपसी सुलह के द्वारा सुलझाने का प्रयास किया जाता है और सहमति के बाद अवार्ड पास कर दिया जाता है। यदि आपसी सुलह के द्वारा केस का फैसला नही हो पाता तो स्थायी लोक अदालत में मामले का निपटारा मामले के गुण-अवगुण के आधार पर कर दिया जाता है। अवार्ड पास होने के पश्चात वह न्यायालय की डिक्री की तरह ही संबंधित पक्षों पर अनिवार्य रूप से लागू कराया जाता है।
उक्त कार्यक्रम में नायाब तहसीलदार तनवीर हसन द्वारा महिलाओं से सम्बन्धित योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया। चैकी इंचार्ज उमा अग्रवाल कांशीराम कालोनी ने लड़कियों के प्रति भेदभाव के बारे में बताते हुए कहा कि लड़का-लड़की में भेदभाव नहीं करना चाहिए। लड़कियों को भी लड़कों की तरह समान अवसर मिलना चाहिए।इसके अतिरिक्त उक्त कार्यक्रम में मिथलेश अवस्थी बी.डी.सी, संतराम पराविधिक स्वयंसेवक, राहुल श्रीवास्तव, अमित गुप्ता एवं बड़ी संख्या में महिलाएं व बच्चियाँ उपस्थित रहें।