प्रयागराज । दरअसल मुकदमों के दाखिले में अनावश्यक देरी, नए मुकदमों, सप्लीमेंट्री व अनलिस्टेड मुकदमों के सूचीबद्ध न होने सहित विभिन्न समस्याओं का निस्तारण न होने से अधिवक्ता आक्रोशित हैं। वकीलों द्वारा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा की अगुवाई में बुधवार की शाम बैठक की। बैठक में मनोज कुमार मिश्र, नीरज कुमार त्रिपाठी, धर्मेंद्र सिंह यादव, सत्यम पांडेय, श्यामा चरण त्रिपाठी, यादवेश यादव, आशुतोष त्रिपाठी, उष्मा मिश्रा आदि मौजूद रहे। गुरुवार को भी न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया है।
वही बुधवार को न्यायाधीशगण सुबह 10 बजे अपनी-अपनी अदालतों में आकर बैठे पर अधिवक्ताओ के विरोध की वजह से परिणामस्वरूप कोर्ट में भी कोई काम नहीं हुआ।
इसमें अधिवक्ताओं से जुड़ी समस्याओं पर विचार व मंथन किया गया। कहा गया कि अधिवक्ताओं की समस्याओं पर छह माह में कई बार मुख्य न्यायमूर्ति व अन्य न्यायमूर्तियों के साथ वार्ता की गई किंतु समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई हैं।
अध्यक्ष द्वारा कहा गया कि मुकदमों के दाखिले में अनावश्यक रूप से 10 से 15 दिनों का समय लग रहा है। एनआईसी द्वारा संचालित लिस्टिंग की सभी प्रक्रियाएं बुरी तरह से ध्वस्त हैं। वकालतनामा, जवाबी हलफनामा भी तत्काल रिकॉर्ड पर नहीं आ पा रहा है। मुकदमों के मैसेज समय पर न आने की समस्या बनी हुई है।
एसोसिएशन के पदाधिकारियों द्वारा न्यायमूर्तियों की संख्या कम होने पर भी एतराज जताया। कहा कि 160 के मुकाबले 100 न्यायमूर्ति ही कार्य कर रहे हैं। पदाधिकारियों ने कहा कि जजों के शेष पदों पर तत्काल नियुक्ति की जाए।