लखनऊ । एक उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बायोफ्यूल उत्पादन को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल देते हुए जैव ऊर्जा नीति तैयार करने के निर्देश दिए हैं। बायोफ्यूल न केवल हमारी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मददगार होगा, बल्कि अतिरिक्त आय और रोज़गार सृजन में भी सहायक होगा।
आगे उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति-2022 के सम्बन्ध में एक प्रस्तुतिकरण के दौरान दिए। उन्होंने कहा कि बायोफ्यूल, कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करने और स्वच्छ वातावरण को बढ़ावा देने में सहायक है। बायोफ्यूल के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। वर्तमान में पूरी दुनिया में कार्बन उत्सर्जन को लेकर अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश के पास इस दिशा में एक मॉडल प्रस्तुत करने का अवसर है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की मंशा के अनुरूप राज्य सरकार के कम्प्रेस्ड बायोगैस, बायोकोल, एथेनॉल और बायो डीजल जैसे जैव ऊर्जा प्रकल्पों को प्रोत्साहन के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं। अब तक बायोकोल की 02 इकाइयों में उत्पादन भी प्रारम्भ हो चुका है। कम्प्रेस्ड बायोगैस की 01 इकाई माह जून, 2022 में पूर्ण हो चुकी है।
आगे उन्होंने कहा कि कहा कि नई जैव ऊर्जा नीति में इस क्षेत्र की निवेशकर्ता कम्पनियों के लिए भूमि की सुलभ उपलब्धता, पूंजीगत उपादान सहित सभी जरूरी सहयोग उपलब्ध कराने के प्राविधान किए जाने चाहिए। नवीन जैव ऊर्जा नीति तैयार करते समय औद्योगिक जगत से परामर्श जरूर लिया जाए। संवाद के माध्यम से निवेशकर्ता संस्थाओं/कम्पनियों की जरूरतों को समझते हुए सभी पक्षों की राय लेते हुए व्यापक विमर्श के बाद नवीन नीति तैयार की जाए।
बायो फ्यूल के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, आज जबकि पूरी दुनिया इस विषय पर चिंतित है, ऐसे में उत्तर प्रदेश के पास एक मॉडल प्रस्तुत करने का सुअवसर है। अपार संभावनाओं से भरे इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश को अग्रणी राज्य बनने के लिए नई जैव ऊर्जा नीति तैयार की जाए। आगामी 5 वर्षों में 500 टन सीबीजी प्रतिदिन कम्प्रेस्ड गैस उत्पादन के लक्ष्य को लेकर प्रयास करें। इस तरह प्रतिवर्ष 1.5 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा। इसी प्रकार, बायोकोल, बायोडीजल और बायो एथेनॉल के लिए 2000-2000 टन प्रतिदिन के लक्ष्य को लेकर काम किया जाना चाहिए।