
लखनऊ, 18 मई – भीषण गर्मी के बीच प्रदेश में निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने रविवार को राजधानी लखनऊ के राजभवन क्षेत्र स्थित 33/11 केवी सीजी सिटी विद्युत उपकेंद्र का औचक निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान मंत्री ने उपकेंद्र की लॉग बुक, लोड पैनल तथा ट्रांसफार्मर लोड की स्थिति की समीक्षा की। उपकेंद्र की 2×10 एमवीए की क्षमता से याहियामऊ, छतनगर, स्वाती सिटी, एकतानगर, पृथ्वीपुरम आदि क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति की जा रही है।

ऊर्जा मंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि गर्मी के मौसम में उपभोक्ताओं को किसी भी सूरत में विद्युत कटौती, ट्रिपिंग अथवा लो वोल्टेज जैसी समस्याओं का सामना न करना पड़े। उन्होंने उपकेंद्र में चल रहे अनुरक्षण एवं ट्रांसफार्मर रिपेयरिंग कार्यों का भी जायजा लिया और पाया गया कि एक ही फीडर पर बार-बार शटडाउन लिया जा रहा है, जिस पर उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि सभी कार्य एक बार में ही समाहित होकर पूरे किए जाएं।
उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि लखनऊ में बेवजह बिजली कटौती, ट्रिपिंग व वोल्टेज में गिरावट बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जहां-जहां विद्युत व्यवधान की शिकायतें मिलें, उन्हें तत्काल दूर किया जाए। उन्होंने ट्रांसफार्मर के आस-पास साफ-सफाई सुनिश्चित करने, विद्युत लाइनों से टकरा रहे पेड़-पौधों की समय रहते छंटाई कराने और ट्रॉली ट्रांसफार्मर की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि ट्रांसफार्मर जलने या ओवरलोडिंग की स्थिति में तेल न होने जैसे बहाने अब नहीं चलेंगे और उपभोक्ताओं की कॉल का जवाब न देने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने उपभोक्ताओं से भी अपील की कि वे बिजली चोरी रोकने और ऊर्जा संरक्षण में सरकार का सहयोग करें। उन्होंने ‘उपभोक्ता देवो भवः’ की भावना को चरितार्थ करने पर जोर देते हुए विद्युत संबंधी शिकायतों के लिए 1912 पर कॉल करने और अधिकारियों को तत्काल समाधान सुनिश्चित करने को कहा।
ऊर्जा मंत्री ने यह भी कहा कि पिछले तीन वर्षों में प्रदेश सरकार ने विद्युत व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए व्यापक कार्य किए हैं। इस दौरान पुरानी लाइनों, पोलों और क्षतिग्रस्त ट्रांसफार्मरों को बदला गया, हजारों ट्रांसफार्मरों की क्षमता बढ़ाई गई, नई 33 केवी एवं 11 केवी की लाइनें बिछाई गईं तथा नए उपकेंद्र स्थापित किए गए। आरडीएसएस योजना एवं बिजनेस प्लान के तहत 24 से 25 हजार करोड़ रुपये की लागत से कार्य कराए गए हैं।
निरीक्षण के दौरान अधिशाषी अभियंता, एसडीओ, अवर अभियंता और अन्य तकनीकी कर्मचारी उपस्थित रहे।