
प्रयागराज।।समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की 20 अप्रैल 2025 को पौराणिक नगरी प्रयागराज की एक दिवसीय यात्रा ऐतिहासिक रही। इस अवसर पर उन्होंने अकबर के किले, अक्षयवट, और सरस्वती कूप जैसे पौराणिक स्थलों का भ्रमण कर प्राचीन भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत का प्रत्यक्ष अनुभव किया।

अखिलेश यादव ने अक्षयवट, जिसे जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभनाथ की तपस्थली माना जाता है, के दर्शन किए और सरस्वती कूप में पूजा-अर्चना की। यह स्थल गुप्त सरस्वती नदी के उद्गम स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। उनके साथ इस यात्रा में पूर्व राज्यसभा सांसद किरणमय नंदा और पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी भी उपस्थित रहे।
प्रयागराज, जो त्रिवेणी संगम और कुंभ मेले के लिए विख्यात है, धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण नगरी है।अखिलेश यादव ने कहा कि यहां की विरासत भारतीय समाज की सांझी संस्कृति, धार्मिक सहिष्णुता और बहुलता का प्रतीक है।

अखिलेश यादव ने अकबर के किले का निरीक्षण कर उसमें स्थित ऐतिहासिक स्थलों जैसे महारानी जोधाबाई का महल, अशोक स्तंभ, सुरंग मार्ग और जनानी महल का अवलोकन किया। उन्होंने मांग दोहराई कि केन्द्र सरकार इस किले को उत्तर प्रदेश सरकार को स्थानांतरित करे ताकि अक्षयवट और अन्य धार्मिक स्थलों तक आमजन की बेहतर पहुंच सुनिश्चित की जा सके।
उन्होंने प्रयागराज की ऐतिहासिक भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जो न केवल धर्म और आस्था का केन्द्र रहा है, बल्कि स्वतंत्रता आंदोलन और समाजवादी विचारधारा का भी मजबूत गढ़ रहा है। इस दौरान उन्होंने संगम की रेती पर भ्रमण किया और पर्यटकों से संवाद करते हुए 2013 के कुंभ मेले की स्मृतियों को साझा किया। उल्लेखनीय है कि उस कुंभ मेले की प्रबंधन प्रणाली की सराहना हार्वर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा भी की गई थी।
अखिलेश यादव की यह यात्रा प्रयागराज की प्राचीन विरासत के प्रति उनकी गहरी निष्ठा और भारत की सांस्कृतिक परंपरा के संरक्षण की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।