संवाददाता सचिन पाण्डेय
उन्नाव।।गंजमुरादाबाद के सुप्रसिद्ध स्वाधीनता संग्राम सेनानी और क्रांतिकारी कवि पं जगदम्बा प्रसाद मिश्र हितैषी जी की 129 वीं जयंती नगर में साहित्यकारों द्वारा मनाई गई। इस मौके पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद आयोजित हुई विचार गोष्ठी में कवियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
गंजमुरादाबाद में मार्गं शीर्ष शुक्ल एकादशी शनिवार संवत् 1952 विक्रमी ,ई सन् नवंबर 1895 में हुआ। उनके पूर्वजों तथा उन्होंने स्वयं स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया और जेल की यातनाओं को सहन किया तथा अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। वे एक रससिध्द कवि थे और सवैयाकार थे। जो “शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही बाँकी निशा होगा ” जैसी कालजयी रचना लिखकर अमर हो गए। उनके जीवन काल में उनकी कल्लोलिनी, वैकाली, मातृगीता तथा मरणोपरांत दर्शना तथा कुछ वर्ष पूर्व अप्रकाशित कृति मधुमंदिर, भारतीय भावनाएं तथा मार्च 2024 में दर्शना का उनका गद्य रूपांतर दर्शना -चिंतन एवं भावधारा शीर्षक से प्रकाशित हुआ है। उनका निधन 11 मार्च 1957 में कानपुर में हो गया था। उनकी जयंती के मौके पर साहित्यकारों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए उनके संस्मरण सुनाए।
इस मौके पर उन्नाव निवासी विनय कुमार दीक्षित, राजाबाबू अग्निहोत्री , निवर्तमान चेयरमैन रामनरेश कुशवाहा, डा सतीश चंद्र दीक्षित, शिवकुमार रस्तोगी, पीयूष कुमार शुक्ला, पंकज शुक्ला, डा राहुल सचान, राघव मिश्रा, मिथिलेश पटेल, लाखन सिंह यादव, शुभेंदु दीक्षित, रामसजीवन यादव और संजीव कटियार, अमर सिंह राठौर, पुनीत शुक्ला आदि लोगों ने हितैषी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।