देवेंद्र तिवारी
उन्नाव।। उदय सांस्कृतिक संस्थान उन्नाव द्वारा नाटक दरोगा जी का मंचन शिव शंकर सिंह- शिवराम सिंह महाविधालय – बिरसिंहपुर उन्नाव में दोपहर 1 बजे से किया गया।
दरोगा सिंह साहब उनके सहयोगी दीवान जी व सिपाही ड्यूटी पर होते हैं, घर से भागे बालिग बच्चों के पिता को थाने बुलाया जाता है। दरोगा दोनों को समझाता है।इस बार तो हम लोग बच्चों को खोजकर आप लोगों के हवाले कर रहे हैं, आगे क्या हो भगवान जाने, आप लोग एक ही बिरादरी के हो समझदारी से काम लो।दोनों की शादी करा दो काफी समझाने के बाद दोनों मान जाते हैं, सुन्दर की बहु अपने मायके चली गयी है सुन्दर से दरोगा कारण पूंछता है तो सुन्दर बताता है कि घर में शौचालय नहीं है, दरोगा शौचालय बनवाकर बहु को घर लाने की हिदायत देता है और ये भी बताता है कि घर में शौचालय बनवाने में सरकार भी मदद करती है, शम्भू की ज़मीन पर चीना ने कब्जा कर रखा है, वो थाने में शिकायत लेकर आता है, चीना को पकड़वाकर उसे खूब डाटा जाता है, वह सारे बुरे काम छोड़ने का वादा करता है, अशोक अपनी बेटी लेकर थाने आते हैं, शिकायत दर्ज कराने, दरोगा कारण पूंछता है तो अशोक बताते हैं, चार साल हो गये कोई सन्तान नहीं हुयी इसी कारण मारपीट कर घर से निकाल दिया।दरोगा कार्यवाही करने का वादा करके प्रार्थना पत्र ले लेता है, और एफआईआर होती है। कार्यवाही और लड़की के ससुराल पक्ष की पूर्ण जानकारी सिपाही और दीवान जुटाते हैं तो सारी गलती गुरुदयाल & सुशीला और रवि की निकलती है, और फिर अपनी गलती रवि मानता है दोनों परिवार इस शर्त पर फिर मिल जाते हैं कि किसी बेटी को हम गोद लेकर उसे खूब पढ़ायेंगे खूब आगे बढ़ायेंगे ,कागजी कार्यवाही होती है सभी खुश होकर थाने से जाते हैं, सिपाही दरोगा से कहता है, साहब आज फिर आपने एक घर टूटने से बचा लिया। नाटक समाप्त होता है।
नाटक में जब्बार अकरम, शफी अहमद खान, राघवेन्द्र सिंह, नफीस सिददीकी, जया उपाध्याय धीरज सिंह, बलराम सिंह, मो० रफीक महेन्द्र शानू , मो० आमिर, दिव्यांशी अवस्थी, का जोरदार अभिनय रहा, दर्शकों ने खूब तालियाँ बजायी नाटक में रूप सज्जा अष्मिता उपाध्याय व संगीत अनुपम तिवारी ने तैयार किया।नाटक के अंत में महाविधालय के प्रबन्धक डा० प्रेम चन्द्र सिंह ने सभी को प्रमाण पत्र देकर प्रशंसा करते हुये कहा नाटक समाज का आइना होता है।आज की प्रस्तुति देखकर ऐसा लगा जैसे मै टी०वी० सीरियल देख रहा हूँ। कलाकारो का अभिनय बहुत ही सराहनीय रहा। मेरी शुभकामनाएँ निर्देशक एवं कलाकारो के साथ है। नाटक का लेखन एवं निर्देशन मो० जब्बार अकरम का रहा । मंच संचालन संतोष सिंह ने किया।