लखनऊ।
पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल विचार मंच के तत्वावधान में जीपीओ स्थित काकोरी स्मृति शिलालेख पर पं राम प्रसाद बिस्मिल की 126वीं जन्म जयन्ती पर ऑनलाइन संगोष्ठी के साथ जीपीओ शहीद स्तंभ में दीप दान कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये गये।
इसके पूर्व विचार मंच द्वारा आयोजित ऑनलाइन परिचर्चा में उप्र सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से माँग की गई कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में और पं राम प्रसाद बिस्मिल के 126वीं जन्म जयन्ती वर्ष में जीपीओ का नाम पं राम प्रसाद बिस्मिल के नाम पर रख दिया जाये और जीपीओ में पं राम प्रसाद बिस्मिल की प्रतिमा लगाई जाये।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने पं राम प्रसाद बिस्मिल के यशस्वी क्रांतिकारी जीवन की कई घटनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि ब्रिटिश हुकूमत पं राम प्रसाद बिस्मिल से इतना खौफ खाती थी कि उनके ऊपर कत्ल का कोई इल्जाम न होते हुए भी उन्हें फाँसी की सजा दी गई। अंग्रेज जज हेमिल्टन ने अपने फाँसी के आदेश में कहा कि यह कोई साधारण ट्रेन डकैती नहीं, अपितु ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकने की एक सोची समझी साजिश है। हालाँकि इनमें से कोई भी अभियुक्त अपने व्यक्तिगत लाभ के लिये इस योजना में शामिल नहीं हुआ परन्तु चूँकि किसी ने भी न तो अपने किये पर कोई पश्चाताप किया है और न ही भविष्य में इस प्रकार की गतिविधियों से स्वयं को अलग रखने का वचन दिया है अतः जो भी सजा दी गयी है सोच समझ कर दी गयी है और इस हालत में उसमें किसी भी प्रकार की कोई छूट नहीं दी जा सकती।
उन्होंने कहा कि पं राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेन्द्र लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह को फाँसी की सजा इसी जीपीओ में सुनाई गई थी जिसका नाम रिंग थीएटर था और इसे अस्थायी कोर्ट बनाया गया था। पं राम प्रसाद बिस्मिल और अन्य क्रांतिकारियों को लखनऊ जिला जेल में रखा गया था और मुकदमे की सुनवाई के लिये उन्हें पुरानी जेल से केकेसी के सामने से होते हुए जीपीओ लाया जाता था। पुरानी जेल रोड का नाम भी पं राम प्रसाद बिस्मिल के नाम पर रखा जाए ।अतः आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में जीपीओ का नाम पं राम प्रसाद बिस्मिल के नाम पर किये जाने और जीपीओ में उनकी प्रतिमा स्थापित किये जाने की माँग सर्वथा उचित है।
ऑनलाइन परिचर्चा और दीप दान कार्यक्रम का संचालन पंडित रामप्रसाद बिस्मिल विचार मंच की महामंत्री रीना त्रिपाठी ने किया। उन्होने कहा युवा पीढ़ी को महान क्रांतिकारी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के व्यक्तित्व से अनुशासन का पाठ जरूर सीखना चाहिए।
पं राम प्रसाद बिस्मिल के क्रांतिकारी जीवन पर प्रमोद शुक्ल, सूर्यकांत पवार,विजेंदर सिंह लांबा, राघवेन्द्र पांडे, शिव प्रकाश दीक्षित,निशा सिंह, नेहा सिंह, अक्षय विजय त्रिपाठी, सरोजबाला सोनी, शिविता गोयल, गीता वर्मा, अर्चना सिंह, मृदुला शर्मा, सुमन दुबे, रेनू त्रिपाठी, अमिता सचान, एम के मजूमदार, अनिल सिंह करुणा शंकर दीक्षित, धनंजय द्विवेदी, प्रथमेश दीक्षित , अशोक कुमार राय और कई अन्य लोगों ने विचार रखे।इस अवसर पर बड़ी संख्या में कर्मचारी, अधिकारी, बुद्धिजीवी और आम लोग उपस्थित थे।