उत्तर प्रदेशउन्नावताज़ा खबरे

गोकुल बाबा धाम में चल रही शिव महापुराण की कथा में शैवाचार्य प्रशांत प्रभुदास जी ने सुनाई भगवान शिव व माता पार्वती की कथा

उन्नाव। श्री गोकुल बाबा धाम में शिव महापुराण कथा के नवें दिन कथा प्रवक्ता शैवाचार्य प्रशांत प्रभुदास जी महाराज ने भोलेनाथ और पार्वती जी के विवाह की अद्भुत कथा सुनाते हुए कहा महाशिवरात्रि का महापर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाहोत्‍सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करने पर आपको इच्छित फल की प्राप्ति होती है। मान्‍यता है कि महाशिवरात्रि की पूजा पति और पत्‍नी को साथ में बैठकर करनी चाहिए। ऐसा करने से न सिर्फ उनके रिश्‍ते में मिठास बढ़ती है बल्कि शिव पार्वती के आशीर्वाद से उनके दांपत्‍य सुख में वृद्धि होती है। महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले दंपतियों को पूजा में शिव-पार्वती के विवाह से जुड़ी इस संपूर्ण व्रत कथा का पाठ अवश्‍य करना चाहिए। इससे आपको महापुण्‍य के साथ व्रत का संपूर्ण फल प्राप्‍त होता है। कड़ी तपस्या के बाद पार्वती जी का शिव जी से विवाह का सौभाग्य बना। भोले की अद्भुत बारात में भूत पिशाच नंदी भृंगी सब हिमालय राज के द्वारे पहुंचते हैं। भोले के आभूषण सांप बिच्छू भी उनके शरीर पर बड़े उत्साहित हो रहे है। पर्वतराज हिमाचल ने पत्‍नी मेनासहित कन्यादान का कार्य आरंभ किया। उस समय वस्त्राभूषणों से विभूषित महाभागा मेना सोने का कलश लिए पति हिमवान के दाहिने भाग में बैठीं। तत्पश्चात् पुरोहितसहित हर्ष से भरे हुए शैलराज ने पाद्य आदि के द्वारा वर का पूजन करके वस्त्र, चन्दन और आभूषणों द्वारा उनका वरण किया। इसके बाद हिमाचल ने ब्राह्मणों से कहा- ‘आप लोग तिथि आदि के कीर्तनपूर्वक कन्यादान के संकल्प वाक्य का प्रयोग बोलें। उसके लिये अवसर आ गया है।’वे सत्र द्विजश्रेष्ठ काल के ज्ञाता थे। अतः ‘तथास्तु’ कहकर वे सब बड़ी प्रसन्नता के साथ तिथि आदि का कीर्तन करने लगे। तदनन्तर सुन्दर लीला करने वाले परमेश्वर शम्भु के द्वारा मन-ही-मन प्रेरित हो हिमाचल ने प्रसन्नतापूर्वक हंसकर उनसे कहा- ‘शम्भो ! आप अपने गोत्र का परिचय दें। प्रवर, कुल, नाम, वेद और शाखा का प्रतिपादन करें। अब अधिक समय न बिताएं।’
हिमाचल की यह बात सुनकर भगवान शंकर सुमुख होकर भी विमुख हो गए। अशोचनीय होकर भी तत्काल शोचनीय अवस्था में पड़ गए। उस समय श्रेष्ठ देवताओं, मुनियों, गन्धर्वों, यक्षों और सिद्धों ने देखा कि भगवान शिव के मुख से कोई उत्‍तर नहीं निकल रहा है। नारद यह देखकर तुम हंसने लगे और महेश्‍वर का मन ही मन स्‍मरण करके गिरिराज से बोले।नारद ने कहा, पर्वतराज! तुम मूढ़ता के वशीभूत होकर कुछ भी नहीं जानते। महेश्वर से क्या कहना चाहिए और क्या नहीं, इसका तुम्हें पता नहीं है। वास्तव में तुम बड़े महिर्मुख हो। तुमने इस समय साक्षात् हर से उनका गोत्र पूछा है और उसे बताने के लिए उन्हें प्रेरित किया है। तुम्हारी यह बात अत्यन्त उपहासजनक है। पर्वतराज ! इनके गोत्र, कुल और नामको तो विष्णु और ब्रह्मा आदि भी नहीं जानते, फिर दूसरों की क्या चर्चा है? शैलराज! जिनके एक दिन में करोड़ों ब्रह्माओं का लय होता है, उन्हीं भगवान् शंकर को तुमने आज काली के तपोबल से प्रत्यक्ष देखा है। इनका कोई रूप नहीं है, ये प्रकृति से परे निर्गुण, परब्रह्म परमात्मा हैं। निराकार, निर्विकार, मायाधीश है। साथ ही अपने भक्तों के प्रति बड़े दयालु हैं। भक्तों की इच्छा से ही ये निर्गुण से सगुण हो जाते हैं, निराकार होते हुए भी सुन्दर शरीर धारण कर लेते हैं और अनामा होकर भी बहुत-से नाम वाले हो जाते हैं। ये गोत्रहीन होकर भी उत्तम गोप्र वाले हैं, कुलहीन होकर भी कुलीन है, पार्वती की तपस्या से ही ये आज तुम्हारे जामाता बन गए हैं, इसमें संशय नहीं है। गिरिश्रेष्ठ। इन लीला विहारी परमेश्वर ने चराचर जगत को मोह में डाल रखा है। विवाह संपन्न होने पर विशाल पांडाल में उपस्थित हज़ारों श्रद्धालुओं ने झूम झूम कर शिव पार्वती विवाह का आनंदोत्सव मनाया।
पावन कथा के बीच भजन गायक सुमित और संगतकर्ताओं आकाश और धर्मेंद्र ने सुमधुर संगीत के साथ भजनामृत से सबको मंत्रमुग्ध किया।
कथा देवी प्रसाद साहू, हरि प्रसाद साहू, संतोष साहू, धीरज सिंह, विक्रम सिंह, नीलम त्रिपाठी, निशीथ निगम, राधा निगम, डॉ सुषमा सिंह, लीलावती, संतोष तिवारी, ललिता तिवारी, कथा अध्यक्ष अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी व श्रीकांत शुक्ला मुकुल, व्यवस्थापक जितेन्द्र सिंह(अन्नू), संरक्षकों हरि सहाय मिश्र मदन, डॉ सुषमा सिंह, कमल वर्मा, राजेन्द्र सिंह सेंगर, साधना दीक्षित, राहुल पाण्डेय, विघ्नेश पाण्डेय, संजय पाण्डेय, सरिता सिंह, वंदना सिंह, दीपाली सिंह, इंद्र मणि मिश्रा एडवोकेट, अभिषेक शुक्ला, संजय त्रिपाठी, अनिल गुप्ता, संजय शुक्ला, दिव्या शुक्ला, शोभा पांडेय, चंद्रप्रकाश बाजपाई, ओम प्रकाश सोनी, कुलदीप सिंह, कुँवर बहादुर सिंह, रवि प्रकाश सिंह, कौशल किशोर यादव, संतोष दीक्षित, मनोज सिंह, शिवेन्द्र अवस्थी, रोहित अवस्थी शुभ दुबे, सोनू सिंह, सोनू पावर हाउस आदि ने आशीर्वाद प्राप्त किया। संयोजक डॉक्टर मनीष सिंह सेंगर ने आगामी 13 अगस्त को होने वाले 1008 पार्थिव शिव लिंगों के सामूहिक रुद्राभिषेक में ज्यादा से ज्यादा लोगों को सपरिवार शामिल होने के लिए पंजीकरण कराने की जानकारी दी। आचार्य कार्तिकेय द्विवेदी ने तीन दिवसीय स्वर्ण भैरव महायज्ञ में सपरिवार भाग लेने का आवाहन सुधि जनों से किया।

Rishabh Tiwari

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button