लखनऊ

जिसको नफ़रत वाली पार्टी बताया उसने पसमांदा को हिस्सेदारी दी- वसीम राईन

संवाददाता इरफान कुरैशी,

लखनऊ। आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसीम राईन ने कांग्रेस व सपा को सबसे बड़ा ठग बताया, कहा कि झूंठ बोलकर सत्ता का स्वाद लेते आये दोनों दलों का असली चेहरा आमजन के सामने आ रहा है। भारत जोड़ो के बाद न्याय यात्रा हो चाहे पीडीए का नया राग, यह सब चुनावी रंग में रंगे नेताओ की देन है। बाद चुनाव यह सब शांत बैठ जाएंगे। बात पसमांदा मुसलमान की ही करें तो कांग्रेस व सपा का फरेबी चरित्र सामने आ जाता है। इतने रंग गिरगिट के नही जितने कांग्रेस व सपा के हैं।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आज हजरतगंज स्थित प्रेस क्लब में भारतीय लोकतंत्र में पसमांदा हिस्सेदारी का सवाल विषय पर आयोजित पत्रकार वार्ता में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस व सपा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और दोनों ने बारी बारी से पसमांदा मुस्लिम समाज को ठगा और वोटबैंक बनाकर इस्तेमाल किया है। 85 फीसदी पसमांदा आबादी को दोनों दलों ने केवल इस्तेमाल की चीज बनाकर रख दिया। सत्ता, सदन व संगठन में हिस्सेदारी की बात जब हुई, नेताओं ने गिरगिट की तरह रंग बदल लिए, कांग्रेस ने निमेष कमीशन के जरिये पसमांदा समाज के उत्थान के हवाई किले बांधे, आर्टिकल 341 के जरिये धार्मिक प्रतिबन्ध के मुद्दे पर चुप्पी साध रखी, न राज्यसभा भेजा न संगठन में ही जगह दी। बस अशराफ को गोद मे खिलाते रहे और पसमांदा कांग्रेस की इस कुटिल चाल से बेखबर होकर इन्हें सत्ता में आने के मौके देता रहा गया। सेकुलर होने का लबादा ओढ़कर कांग्रेस शातिर चाल चलती रही जब सत्ता के सिंघासन से नीचे उतरे तो यात्रा निकाल रहे, चंदा बटोर रहे हैं। यही हाल समाजवादी पार्टी का है, सपा मुखिया ने भी पसमांदा मुसलमान का सिर्फ इस्तेमाल किया, झूंठ बोलकर वोट हासिल करते रहे। इनके अंदर रही सत्ता की भूंख ने आंखों पर ऐसा पर्दा डाला कि अपनी कथनी से ही फिर गए। करनी ऐसी कि दोबारा सरकार में ही नही आ सके। इन दोनों पर भरोसा करना अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारना है।

संगठन के प्रमुख महासचिव वकार हवारी ने यूसीसी पर अपनी बात रखते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता का सही अर्थ यह है कि सबको एक दायरे में रखा जाए, बिना भेदभाव के समान नजरिया अपनाया जाए। इस लिहाज से मुस्लिम व ईसाई पर लगे धार्मिक प्रतिबन्ध हटाये जाने चाहिए। जब पूरे देश को एक कानून के दायरे में लाना है तो आर्टिकल 341 का क्या मतलब। इसलिए यूसीसी को लागू करने से पहले 341 पर जरूर गौर किया जाए। पसमांदा को यूसीसी के फायदे बताए जा रहे हैं, 341/3 के रहते युसीसी की बात बेइमानी है।

आल इंडिया पसमांदा महाज के राष्ट्रीय महासचिव अब्दुल कलाम अंसारी ने कहा कि कुल मुसलमानों में 85% आबादी वाले पसमांदा मुसलमानों का तथाकथित सभी सेक्यूलर पार्टियां, आजादी के बाद से ही लगातार इनका राजनीतिक शोषण कर रही हैं। देश की ऐसी कोई तथाकथित सेकुलर पार्टी नहीं, जिसने इनकी आबादी के अनुपात में अपने सत्ता और संगठन में 10% भी हिस्सेदारी दी हो। इसके विपरीत सेकुलर पार्टियों द्वारा देश की इकलौती कम्युनल पार्टी घोषित भाजपा जैसी पार्टी के राष्ट्रीय संगठन, राज्य सभा, विधानपरिषद, अल्पसंख्यक मोर्चा, अल्पसंख्यक आयोग, मदरसा बोर्ड और उप्र मंत्रीमंडल आदि में पसमांदा की हिस्सेदारी, इनके मुकाबले बहुत बेहतर है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button