उन्नाव। प्रमोशनआफ एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन फार इन-सीटू मैनेजमेन्ट क्राॅप रेजीड्यू योजनान्तर्गत जिलाधिकारी अपूर्वा दुबे की अध्यक्षता में कम्बाइन्ड हार्वेस्टर मालिको के साथ फसल अवशेष प्रबन्धन की विकास भवन सभागार में समीक्षा की गयी।
समीक्षा के दौरान कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा पराली/फसल अवशेष प्रबन्धन को लेकर किये जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि 18 अक्टूबर से जनपद में वेस्ट डि-कम्पोजर का वितरण किया जायेगा। साथ ही न्याय पंचायत एवं ग्राम पंचायत स्तर पर किसान बन्धुओं को पराली प्रबन्धन के प्रति जागरूक करने हेतु किसान पाठशालाएं/गोष्ठियां आयोजित की जा रही है तथा होर्डिग्स एवं वाॅल पेंटिंग भी करायी गयी है। पराली दो-खाद लो, जागरूकता प्रचार वाहन के जरिए लोगों से पराली न जलाने की अपील की जा रही है। यह भी बताया गया कि किसान बन्धु पराली देकर इसके बदले में खाद प्राप्त कर सकते है। बताया गया कि फसल अवशेष जलाने से जड़, तना, पत्तियों में संचित लाभदायक पोषक तत्व नष्ट हो जाते है। मृदा के ताप में बढ़ोत्तरी होती है। जिसके कारण मृदा के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक दशा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। पादप अवशेषों में लाभदायक मित्र कीट जलकर नष्ट हो जाते है।
पशुओं के चारे की व्यवस्था पर भी संकट आ जाता है, तथा कभी-कभी किसानों की फसलों एवं आबादी में अग्निकाण्ड की संभावना भी बनी रहती है। इसको लेकर जिलाधिकारी ने किसान बन्धुओं से अपील करते हुए कहा कि किसी भी फसल के अवशेष को जलाएं नही बल्कि मृदा में कार्बनिक पदार्थो की वृद्धि हेतु पादप अवशेषों को मृदा में मिलाएं/सड़ाएं। फसलों की कटाई कम्बाइन हार्वेस्टर मशीन के साथ अनिवार्यरूप से सुपर एस0एम0एस0 अथवा अवशेष प्रबन्धन वाले अन्य यंत्रों का प्रयोग करे। उन्होने बताया है कि मा0 राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली द्वारा फसल अवशेष जलाने पर दण्ड अधिरोपित किये गये है। जिसमें कृषि भूमि का क्षेत्र 2 एकड़ से कम होने की दशा में अर्थ दण्ड रू0 2500/-, 2 एकड़ से अधिक किन्तु 5 एकड़ तक रू0 5000/- एवं 5 एकड़ से अधिक होने पर रू0 15000/-प्रति घटना अर्थ दण्ड की व्यवस्था की गयी है। इसके साथ ही खेतो में अवशेष जलाने की लगातार दो घटनाएं होने की दशा में सम्बन्धित किसान को सरकार द्वारा दिये जाने वाले अनुदान आदि से वंचित किया जा सकता है।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी ऋषिराज, अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) नरेन्द्र सिंह, परियोजना निदेशक कमलेश कुमार, उप निदेशक कृषि मुकुल तिवारी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डाॅ0 अनिल दत्तात्रेय पाण्डेय, जिला पंचायतराज अधिकारी निरीश चन्द्र साहू सहित समस्त उप जिलाधिकारी एवं खण्ड विकास अधिकारी गण उपस्थित रहे।