उन्नाव।उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ की कार्ययोजना वर्ष 2023-2024 के क्रियान्वन के क्रम में कार्यालय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, उन्नाव जनपद की न्यायाधीश/अध्यक्ष प्रतिमा श्रीवास्तव के दिशा निर्देश में दिनांक 24.08.2023 को जिला कारागार, उन्नाव का निरीक्षण मनीष निगम अपर जिला जज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उन्नाव के द्वारा सम्पन्न किया गया। उक्त कार्यक्रम में लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल के डिप्टी चीफ लीगल ऐड डिफेन्स काउन्सिल रमेश चन्द्र वर्मा, असिस्टेंट लीगल ऐड डिफेन्स काउन्सिल अंशु सिंह कार्तिक सिंह, जेलर अमरजीत सिंह व अन्य कर्मचारीगण उपस्थित रहे|
मनीष निगम के द्वारा जिला कारागार उन्नाव में निरूद्ध पुरुष व महिला बन्दियों को उनके विधिक अधिकारों की जानकारी दी गई तथा बंदियों को नि:शुल्क विधिक सहायता प्राप्त किए जाने के संबंध में विस्तृत जानकारी दी तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यों एवं उद्देश्य को बताया। उन्होंने कहा कि जिस किसी भी बंदी को अपने मुकदमें की पैरवी हेतु अधिवक्ता उपलब्ध न हो या वे प्राइवेट अधिवक्ता रखने में असमर्थ हो, उन्हें जिला प्राधिकरण द्वारा नि:शुल्क अधिवक्ता की सुविधा उपलब्ध कराई जा सकती है। इसके लिए उन्हें अधीक्षक के माध्यम से अपना प्रार्थना-पत्र जिला प्राधिकरण में भेजवाना होगा। जेल अधीक्षक को निर्देशित किया कि जो भी बंदी नि:शुल्क अधिवक्ता के लिए प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत करना चाहते हों, उसे अविलंब जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उन्नाव को अग्रसारित करें, जिससे उन्हें नियमानुसार नि:शुल्क अधिवक्ता की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। इसके अतिरिक्त निरूद्ध बन्दियों को उनके क़ानूनी अधिकारों के प्रति तथा रिमाण्ड, जमानत तथा जागरूक किया तथा आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत- 09.09.2023 अदालत के सम्बन्ध में जानकारी के साथ साथ निरुद्ध बंदियों से रहन-सहन, खान-पान एवं स्वास्थ्य सेवा आदि के बारे में पूछ-ताछ किया गया हैं| सचिव द्वारा जिला कारागार में स्थित जेल चिकित्सालय का निरीक्षण भी किया गया|
जन सामान्य को त्वरित, सस्ता एवं सुलभ न्याय उपलब्ध कराने हेतु आगामी 09 सितम्बर 2023 दिन शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। उक्त राष्ट्रीय लोक अदालत के दृष्टिगत जनपद न्यायाधीश प्रतिमा श्रीवास्तव के निर्देशानुसार अपर जिला जज/सचिव जिला मनीष निगम द्वारा बताया गया कि त्वरित, सस्ता, सुलभ न्याय प्रत्येक भारतीय नागरिक का नैतिक अधिकार है। राष्ट्रीय लोक अदालत में तहसील न्यायालय से लेकर मा० सर्वोच्च न्यायालय के स्तर पर किसी भी न्यायालय अथवा विभागीय मामलों को सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारित किए जाने हेतु आवेदन पत्र देकर अन्तिम आदेश व निर्णय प्राप्त कर सदैव के लिए लम्बित मामले से छुटकारा पाया जा सकता है। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि लोक अदालत में पक्षों के मध्य आपसी सुलह-समझौते के आधार पर विवाद का निस्तारण पक्षकार-व्यक्तिगत स्तर पर स्वयं पहल कर सकते हैं। लोक अदालत में वाद निस्तारण हेतु किसी भी प्रकार का शुल्क देय नहीं है। लम्बित मामले के लोक अदालत में निस्तारण पर न्यायालय शुल्क वापसी की व्यवस्था है। इसके निर्णय के विरूद्ध कोई अपील नहीं की जा सकती है। कानूनी जटिलताओं से परे लोक अदालत की प्रक्रिया सहज और आपसी समझौते पर आधारित है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में सभी प्रकार के शमनीय आपराधिक/सुलह सुमझौते से निस्तारित होने वाले वाद, उत्तराधिकार से संबंधित सिविल मामले, वाद वापसी के मामले बैंक ऋण वसूली प्री-लिटिगेशन वाद, पारिवारिक एवं वैवाहिक मामले, नगर निगम/नगर पालिका अधिनियम, श्रम संबंधी वाद, भूमि अधिग्रहण संबंधी मामले, राजस्व संबंधित मामले, सर्विस मैटर्स, मनरेगा वाद, व्यापार कर वाद, वजन व मापतौल अधिनियम, वन अधिनियम, उपभोक्ता फोरम वाद,मोटर दुर्घटना प्रतिकर वाद, एन०आई०एक्ट के वाद, विद्युत एवं जल संबंधी अन्य वाद, आर्बिट्रेशन वाद, आपदा राहत वाद, यातायात चालानी वाद आदि का निस्तारण कराया जा सकता है।