प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के समक्ष एक याचिका दायर कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को ताजमहल परिसर के अंदर 20 से अधिक कमरों के दरवाजे खोलने का निर्देश देने की मांग की गई है. ताकि “ताजमहल के इतिहास” से संबंधित कथित विवाद ” को आराम दिया जा सकता है. याचिका डॉ रजनीश सिंह ने दायर की है, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अयोध्या इकाई के मीडिया प्रभारी होने का दावा किया है ।
याचिका में तर्क दिया गया कि कई हिंदू समूह दावा कर रहे हैं कि ताजमहल एक पुराना शिव मंदिर है जिसे तेजो महालय के नाम से जाना जाता था और यह कई इतिहासकारों द्वारा भी समर्थित है. याचिका में कहा गया है कि इन दावों से ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जहां हिंदू और मुसलमान आपस में लड़ रहे हैं और इसलिए विवाद को खत्म करने की जरूरत है ।
ऐसा कहा जाता है कि
ताजमहल का नाम शाहजहां की पत्नी मुमताज महल के नाम पर रखा गया था, हालांकि कई किताबों में शाहजहां की पत्नी का नाम मुमताज-उल-ज़मानी नहीं मुमताज महल के रूप में वर्णित किया गया था, यह भी तथ्य है कि एक मकबरे का निर्माण पूरा होने में 22 साल लगते हैं जो वास्तविकता से परे है और पूरी तरह से बेतुका है, ” याचिका में कहा गया है. “इतिहास की कई किताबों में यह है कि 1212 ईस्वी में, राजा परमर्दी देव ने तेजो महालय मंदिर महल(वर्तमान में ताजमहल) का निर्माण किया था. मंदिर बाद में जयपुर के तत्कालीन महाराजा राजा मान सिंह को विरासत में मिला था. उसके बाद, संपत्ति राजा जय सिंह द्वारा आयोजित और प्रबंधित की गई थी, लेकिन शाहजहां (1632 में) द्वारा कब्जा कर लिया गया था और बाद में इसे शाहजहां की पत्नी के लिए स्मारक में बदल दिया गया था.