उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने गैंगस्टर एक्ट के तहत 23 साल पुराने एक मामले में भी मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया है। न्यायालय ने उसे पांच साल कारावास और पचास हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है।
दरअसल मामला यह था की 2003 में मुख्तार लखनऊ की जिला जेल में निरुद्ध था। उससे मिलने तमाम लोग आया करते थे। 23 अप्रैल, 2003 को मुख्तार के कुछ लोग सुबह उससे मिलने आए, तब जेलर एसके अवस्थी जेल के अंदर ही अपने ऑफिस में मौजूद थे। उन्हें पता चला कि मुख्तार से कुछ लोग मिलने आए हैं तो उन्होंने सभी के तलाशी का आदेश दिया।
इसी बात पर फिर मुख्तार नाराज हो गया और धमकाते हुए जेलर को कहा कि आज तुम जेल से बाहर निकलो तुम्हें मरवा दूंगा। और जेलर को गाली भी दी और मिलने आए लोगों में से एक की रिवॉल्वर जेलर पर तान दी।
इसी मामले में न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने यह निर्णय राज्य सरकार की अपील पर पारित किया है। सरकारी वकील राव नरेंद्र सिंह के अनुसार राज्य सरकार ने मुख्तार को गैंगस्टर के इस मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा बरी किए जाने के आदेश को चुनौती दी थी। मामले की एफआईआर वर्ष 1999 में थाना हजरतगंज में दर्ज की गई थी।
बुधवार को लखनऊ पीठ ने मुख्तार को 2003 में जिला जेल, लखनऊ के जेलर को धमकाने के मामले में माफिया मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया जिसमें उसे सात साल की सजा और 37 हजार रुपये जुर्माने की सजा से दंडित किया है।