
गोरखपुर।।
भारत सरकार के दूरसंचार विभाग, उत्तर प्रदेश (पूर्व) लाइसेंस सेवा क्षेत्र (एलएसए) द्वारा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), गोरखपुर में “दूरसंचार विभाग की नागरिक केंद्रित सेवाएं” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य नागरिकों को मोबाइल सेवाओं के सुरक्षित एवं जिम्मेदार उपयोग हेतु जागरूक करना तथा साइबर अपराधों और वित्तीय धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए दूरसंचार विभाग की पहलों से अवगत कराना रहा।
कार्यशाला का उद्घाटन अरुण कुमार वर्मा, अपर महानिदेशक (दूरसंचार), उत्तर प्रदेश (पूर्व) एलएसए ने किया।

कार्यशाला की मुख्य अतिथि मेजर जनरल (डॉ.) विभा दत्ता, कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ, एम्स गोरखपुर रहीं। डॉ. विभा दत्ता ने अपने संबोधन में दूरसंचार विभाग के जन-केन्द्रित प्रयासों की सराहना की। श्री अरुण कुमार वर्मा ने अपने संबोधन में तकनीकी नवाचार पर ज़ोर दिया। उन्होंने बताया कि जनकल्याण हेतु चिकित्सा और अभियांत्रिकी क्षेत्र में सहयोग की व्यापक संभावनाएं हैं, ताकि कन्नेक्टेड एम्ब्युलेन्स, टेली-मेडिसिन, रोबोटिक सर्जरी जैसी तकनीकों का लाभ और व्यापक रूप से पहुंचाया जा सके।
केवाईसी प्रक्रिया, फर्जी दस्तावेजों की पहचान और डिजिटल प्रमाणीकरण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए अपर महानिदेशक (दूरसंचार) ने बताया कि मोबाइल फोन का उपयोग दैनिक जीवन में निरंतर बढ़ रहा है, जिससे यह साइबर अपराधियों के लिए मोबाइल फोन एक आसान लक्ष्य बनता जा रहा है।
साइबर अपराधी मोबाइल फोन के माध्यम से व्यक्तिगत जानकारी चुरा सकते हैं, वित्तीय धोखाधड़ी कर सकते हैं और अन्य अवैध गतिविधियों में लिप्त हो सकते हैं। दूरसंचार विभाग ने साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए कई पहल की हैं, जिनमें संचार साथी पोर्टल/ऐप, वित्तीय जोखिम सूचक आदि प्रमुख हैं। दूरसंचार अधिनियम 2023 में भी अवैध तरीके से सिम कार्ड लेने, चोरी का मोबाइल उपयोग करने, आईएमईआई या सी.एल.आइ. बदलने आदि पर कड़े प्रावधान किए गए हैं।
जागरूकता कार्यशाला में संचार साथी पोर्टल/ऐप के विभिन्न पहलुओं जैसे – चोरी/गुम हुए मोबाइल फोन की रिपोर्टिंग, अपने नाम पर जारी मोबाइल कनेक्शन की जांच, साइबर अपराधों में संलिप्त मोबाइल नंबर की रिपोर्टिंग, मोबाइल हैंडसेट के आईएमईआई की जांच और संदिग्ध विदेशी कॉल की सूचना प्रदान करने आदि पर विस्तृत चर्चा हुई। साथ ही नागरिकों को नए सिम कार्ड लेते समय बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया गया। सिम विक्रेताओं को मोबाइल कनेक्शन प्रदान करते समय अनुपालित की जाने वाली प्रक्रियाओं तथा दूरसंचार विभाग द्वारा सिम कार्ड जारी करने हेतु निर्धारित नवीन दिशा-निर्देशों की विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गई।
कार्यक्रम के अंत में मोबाइल टावरों और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड (ईएमएफ) मानकों से जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों को स्पष्ट किया गया, जिससे यह तथ्य उजागर हुआ कि भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानक अंतरराष्ट्रीय मानकों की तुलना में अधिक कठोर हैं।
कार्यशाला में बड़ी संख्या में डॉक्टर, पुलिस अधिकारी, सिम विक्रेता एवं दूरसंचार विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। यह कार्यशाला डिजिटल सुरक्षा, उपभोक्ता संरक्षण और दूरसंचार सेवाओं में पारदर्शिता की दिशा में एक सार्थक प्रयास सिद्ध हुई, जो डिजिटल इंडिया की परिकल्पना के अनुरूप है और एक सुरक्षित डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती है।



