लखनऊ :24 मई 2025
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के मार्गदर्शन में प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में उद्यमियों को प्रोत्साहन व सुविधाएं देने के हर सम्भव प्रयास किए जा रहे हैं। इस सेक्टर में प्रदेश में बहुत तेजी से काम करते हुए जहां किसानों के उत्पादों के प्रसंस्कृत कराते हुए उन्हें सुविधाएं मुहैय्या कराने के साथ उनके भण्डारण आदि के बारे में भी सार्थक कदम उठाए गए हैं ,वहीं स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को इससे जोड़कर महिला सशक्तीकरण की दिशा में प्रभावी व ठोस कार्य किये गये हैं, यही नहीं खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से लोगों को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराने के क्रांतिकारी कदम उठाए गए हैं।
नतीजा है कि उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में देश में अग्रणी स्थान पर है,उत्तर प्रदेश मे सबसे अधिक खाद्य प्रसंस्करण के उद्योग स्थापित हैं। वर्तमान में प्रदेश में लगभग 65000 से अधिक खाद्य प्रसंस्करण इकाईयां स्थापित हैं। उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अग्रणी स्थान पर है, आई.टी. सेक्टर के बाद यह सर्वोच्च प्राथमिकता वाला सेक्टर है, जिसमें रोजगार के असीमित अवसर है।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश को 01 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर्स में इच्छुक उद्यमियों द्वारा विभिन्न जनपदों में लगभग 60 हजार करोड़ से अधिक के एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित किये गये हैं, जिनके माध्यम से प्रदेश में रोजगार, किसानों की उपज का उचित मूल्य प्राप्त हो सकेगा।खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर्स में ई-कॉमर्स, निर्यात के बढ़ते अवसरों और प्रसंस्करण तथा पैकेजिंग में तकनीकी प्रगति के कारण इस क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि होने की असीम सम्भावनायें उम्मीद है।प्रदेश में बेरोजगार नव युवक-नव युवतियों, एफ.पी.ओ. आदि को खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर्स में प्रशिक्षित कराने के उद्देश्य से गत् 08 वर्षों में 15 दिवसीय खाद्य प्रसंस्करण प्रशिक्षण कार्यक्रम में 1.50 लाख से अधिक लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया गया।
एक वर्षीय खाद्य प्रसंस्करण, बेकरी एवं कन्फेक्शनरी तथा कुकरी डिप्लोमा में 3600 तथा एक मासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में 7445 से अधिक लाभार्थियों को डिप्लोमा/प्रशिक्षण प्रदान किया गया।500 से अधिक ग्रामीण शिविर के माध्यम से 25000 से अधिक ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं/पुरूषों, किसानों को योजनाओं के लाभ, उत्पादों के मूल्य संवर्द्धन के सम्बन्ध में जागरूक किया गया।
100 दिवसीय खाद्य प्रसंस्करण उद्यमिता विकास के माध्यम से 4000 से अधिक अनुसूचित जाति, जनजाति लाभार्थियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया।