
लखनऊ। प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों के तहत ग्राम पंचायतों और राजस्व गांवों का परिसीमन कार्य शुरू किया जा रहा है। पंचायत चुनाव 2021 के बाद कई ग्राम पंचायतें और राजस्व गांव नगर निकायों में शामिल किए जाने के कारण अपनी स्वायत्त स्थिति खो चुके हैं। अब शासन ने तय किया है कि नगर निकाय के सृजन और विस्तार की प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए पहले गांवों का परिसीमन किया जाएगा। इसके लिए जिलों से 5 जून तक प्रस्ताव मांगे गए हैं।
शासन ने चार सदस्यीय समिति का गठन कर जिलाधिकारियों की निगरानी में ऐसे ग्राम पंचायतों और राजस्व गांवों का स्थलीय सत्यापन कराने का निर्देश दिया है, जो अभी तक नगर निकायों में शामिल नहीं हुए हैं लेकिन जिनकी आबादी 1000 से अधिक है। ऐसे लगभग 1000 गांवों को ग्राम पंचायतों में समायोजित किया जाएगा। समिति में एडीएम (प्रशासन), सीडीओ, डीपीआरओ और जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी को शामिल किया गया है।
ग्राम पंचायतों के नए परिसीमन में शामिल किए जाने योग्य गांवों की सूची 5 जून तक शासन को भेजनी होगी। ऐसे गांव जिनकी नगरीय सुविधाएं पर्याप्त नहीं हैं या जो शहरी क्षेत्र में शामिल नहीं होना चाहते, उन्हें ग्राम पंचायतों में ही शामिल किया जाएगा। वहीं जिन गांवों को पहले ही नगर निकाय में जोड़ा जा चुका है या जिनके प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं, वे परिसीमन प्रक्रिया से बाहर रहेंगे।
वर्तमान में प्रदेश में कुल 57691 ग्राम पंचायतें हैं, जो 826 विकासखंडों और 75 जिलों में फैली हैं। अप्रैल-मई 2026 में संभावित पंचायत चुनावों को ध्यान में रखते हुए शासन और पंचायती राज विभाग परिसीमन की प्रक्रिया को समय रहते पूरा करना चाहता है। नगर निकाय के नए सृजन और विस्तार पर रोक से परिसीमन प्रक्रिया को स्पष्ट दिशा मिल गई है। पंचायत चुनाव में करीब 8 लाख पदों पर प्रतिनिधियों का निर्वाचन होगा, जिनमें ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य शामिल हैं।