
लखनऊ।। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना’ के तहत प्रदेश के लघु एवं सीमांत किसानों को सस्ती दरों पर सरलतापूर्वक ऋण उपलब्ध कराने की कार्ययोजना शीघ्र तैयार करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय में वृद्धि, कर्ज के बोझ से मुक्ति और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को सहकारिता के माध्यम से प्रभावी रूप से प्राप्त किया जा सकता है।
सोमवार को आयोजित सहकारिता विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री को योजना की प्रारंभिक रूपरेखा प्रस्तुत की गई। उन्होंने इसे एक दूरदर्शी और किसान-हितैषी पहल बताते हुए निर्देश दिया कि इसमें नाबार्ड और सहकारी बैंकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
मुख्यमंत्री ने सहकारी बैंकों की ऋण वितरण क्षमता बढ़ाने, शाखाओं के आधुनिकीकरण हेतु वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने और किसानों को ऋण की सहज उपलब्धता सुनिश्चित करने पर बल दिया। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि योजना का क्रियान्वयन समयबद्ध और प्रभावी होना चाहिए।
अधिकारियों ने बैठक में जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक का ऋण वितरण वर्ष 2017 में ₹9,190 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2025 में ₹23,061 करोड़ तक पहुँच गया है, जबकि शुद्ध लाभ ₹100.24 करोड़ दर्ज किया गया है। जिला सहकारी बैंकों का व्यवसाय ₹28,349 करोड़ से बढ़कर ₹41,234 करोड़ हो गया है और शुद्ध लाभ ₹162 करोड़ तक पहुँचा है। बीते आठ वर्षों में फसली ऋण ₹11,516 करोड़ और दीर्घकालिक ऋण ₹393 करोड़ वितरित किए गए हैं।
भंडारण क्षमता में बढ़ोतरी के लिए एआईएफ योजना के तहत 375 गोदाम बनाकर 37,500 मीट्रिक टन की क्षमता विकसित की गई है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 1,060 गोदामों से 1,17,350 मीट्रिक टन की क्षमता सृजित हुई है। वर्ष 2025-26 में 100 नए गोदामों के निर्माण की योजना है। साथ ही 16 जिलों में 500 से 1000 मीट्रिक टन क्षमता वाले अन्न भंडारण गोदाम स्थापित किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने निजी निवेश को प्रोत्साहित करने हेतु उपयुक्त नीति बनाने, पीसीएफ की कार्यप्रणाली में सुधार तथा राइस मिलर्स के भुगतान शीघ्र सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने सहकारी क्षेत्र में रिक्त पदों की भर्ती के लिए आईबीपीएस के माध्यम से प्रक्रिया तेज करने पर भी बल दिया।
एम-पैक्स समितियों की व्यावसायिक गतिविधियों में भागीदारी बढ़ाने के प्रयासों की जानकारी देते हुए बताया गया कि उन्हें पीडीएस, जन औषधि केंद्र, सीएससी, पीएम किसान सम्मान केंद्र और एमएसपी गतिविधियों से जोड़ा गया है। इनके कंप्यूटरीकरण का कार्य तीन चरणों में किया जा रहा है, जिसमें अब तक 5,000 से अधिक समितियों का डिजिटल कायाकल्प किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सहकारिता के माध्यम से किसानों को तकनीक, ऋण और बाजार तक पहुंच दिलाकर ही आत्मनिर्भरता का लक्ष्य संभव है। उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र में समावेशी सुधारों का क्रम सतत जारी रखा जाएगा ताकि प्रदेश का किसान समृद्ध और सशक्त बन सके।