उत्तर प्रदेश

17 साल से गैर जमानती वारंट गायब करती रही पुलिस

योगी सरकार 2.0 में शिकंजा कसने के लिए प्रदेश के सभी जिलों से माफिया और बड़े बदमाशों की सूची बनी तो गोरखपुर के रहने वाले पूर्व विधायक राजन तिवारी का नाम यूपी के टॉप 61 माफियाओं की सूची में शामिल होने के बाद मुकदमों की पड़ताल शुरू हुई तो गोरखपुर केंट पुलिस का खेल सामने आ गया। गोरखपुर की कैंट पुलिस अपने रिकार्ड में पूर्व विधायक को क्लीनचिट देती रही। यह बताया जाता रहा है कि राजन की अब आपराधिक गतिविधियों में सक्रियता नहीं है वहीं पूर्व में दर्ज मुकदमों में दोष मुक्त का फैसला भी आ गया है। 

कुख्यात श्रीप्रकाश शुक्ला के साथ गैंगस्टर के केस में नामजद राजन तिवारी के खिलाफ 17 साल से गैरजमानती वारंट जारी होता रहा लेकिन कैंट पुलिस गिरफ्तारी तो दूर, वारंट ही गायब करती रही। 100 से ज्यादा वारंट-समन जारी हुए कोर्ट से पर पुलिस ने एक भी पहुंचाया नहीं।

12 जुलाई 2022 को गैंगस्टर के मुकदमे में तारीख थी। इस दौरान पूर्व विधायक राजन तिवारी के अधिवक्ता ने गैर जमानती वारंट के स्थगन की मांग की है। यह बताया गया है कि राजन तिवारी के 1999 से 2014 तक जेल में रहने के दौरान जारी गैर जमानती वारंट की जानकारी नहीं हो पाई। यही नहीं जिन दो मुकदमों को गैंगस्टर के लिए आधार बनाया गया है उसमें से एक में दोष मुक्त होने तथा एक का विचारण चलने की भी कोर्ट को जानकारी दी गई है। अभी कोर्ट की तरफ से कोई निर्णय नहीं आया है। 

Shubham Tripathi

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