सचिन पाण्डेय
उन्नाव। बांगरमऊ के पश्चिम बिल्हौर बाईपास मार्ग स्थित बाबा बोधेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में आयोजित भगवान परशुराम जयंती समारोह में मंदिर के मुख्य सेवादार सेवा चैतन्य ब्रम्हचारी ने कहा कि ब्राह्मण जाति नहीं बल्कि एक विचार है और इस विचार का नाम ही संस्कार है।
स्थानीय ब्राम्हण परिवार संस्था के तत्वावधान में आज शुक्रवार को अक्षय तृतीया के पावन दिवस पर आयोजित भगवान परशुराम जयंती समारोह में श्री ब्रह्मचारी ने कहा कि भगवान के छठे अवतार परशुराम हमारे पुरखों के गौरव हैं। इसलिए ब्राह्मण अतीत पर गर्व करना सीखे। जो अपने पुरखों पर गर्व नहीं करता, वह इतिहास कभी नहीं लिख सकता। उन्होंने समाज के युवा वर्ग को आगाह किया कि बुजुर्गों से व्यवहार और उनके स्वच्छ आचरण का अनुकरण करना सीखें। ज्ञान मार्ग को धारण करें और आवश्यकता पड़ने पर शास्त्रों में भी निपुण बनें। उन्होंने स्वीकार किया कि वह बंधु-बांधवों के योगदान से ही यहां तक पहुंचे हैं।
संस्था के अध्यक्ष संजीव त्रिवेदी ने के आवाहन पर समारोह में शामिल अधिकांश ब्राह्मणों ने भगवान परशुराम मंदिर निर्माण हेतु तन-मन-धन से सहयोग देने की स्वीकारोक्ति दी। मंदिर के पुजारी सेवा चैतन्य ब्रम्हचारी ने भगवान परशुराम की प्रतिमा का विधि-विधान से पूजन कर समारोह का शुभारंभ किया। समारोह में शशांक शेखर शुक्ल, राजीव बाजपेई, शिवकुमार तिवारी, शैलेन्द्र कुमार शुक्ल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र तिवारी, संजीव तिवारी, प्रीति त्रिवेदी, अतुल मिश्रा, ऋषि बाजपेई, राज कुमार द्विवेदी, विपिन द्विवेदी, वीरेंद्र अवस्थी, रविशंकर दीक्षित, सुधीर कुमार मिश्र, पंकज अग्निहोत्री, हरिओम तिवारी सभासद, अल्वी मिश्रा प्रधान, विनोद शुक्ला व पुरुषोत्तम बाजपेई आदि सैकड़ों ब्राह्मण समाज के लोग शामिल हुए।