लखनऊ।।मनकामेश्वर मंदिर गोमती नदी के तट पर स्थापित एक बहुत ही प्राचीन रमणीक और श्रद्धालुओं की श्रद्धा से भरपूरयह मंदिर बहुत पुराना है। ऐसा प्रमाण मिलता है कि माता सीता को वनवास छोडऩे के बाद लखनपुर के राजा लक्ष्मण ने यहीं रूककर भगवान शंकर की अराधना की थी, जिसके बाद कालांतर में मनकामेश्वर मंदिर आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया है।मनकामेश्वर शिवलिंग साकारात्मक ऊर्जा से पूरे क्षेत्र को प्रकाशित करता है, पूरी रात श्रद्धालुओं ने लंबी-लंबी कतारों में खड़े होकर महादेव का जलाभिषेक किया।
मनकामेश्वर मन्दिर की महामंडलेश्वर देव्यागिरि ने पूरे शिवरात्रि के उत्सव का सप्ताह भर का आयोजन बड़े ही विस्तृत तरीके से और विधि विधान से किया ।शिव पार्वती के मणिकांचन योग में आयोजिक शिवरात्रि के पर्व की तैयारी महीनों से चल रही थी। किसी भी श्रद्धालु को कोई तकलीफ ना हो इसको ध्यान में रखते हुए महंत देव्या गिरी स्वयं खड़े रहकर व्यवस्था का अवलोकन कर रही थी, श्रद्धालुओं से उनके सुझाव ले रही थी और किसी भी समस्या के होने पर उनके कुशल निर्देशन में तुरंत उनका निदान और श्रद्धालुओं को सुविधा प्रदान कर रही की गई।
शिक्षिका एवं समाज सेविका रीना त्रिपाठी ने बताया किउन्हें भी प्रातः कालीन दर्शन और आरती मनकामेश्वर महादेव में करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मंदिर प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा का बहुत ही ध्यान रखा गया और शिवरात्रि पर्व के इस सफल आयोजन के लिए उन्होंने मनकामेश्वर मठ की महंत दिव्या गिरी का बहुत-बहुत आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि मंदिर प्रांगण पूरी तरह नशा मुक्त बनाने के लिए महंत जी का बहुत बड़ा योगदान है। विभिन्न प्रकार के सामाजिक आंदोलन से मंदिर प्रांगण को जोड़कर महिला दिवस के अवसर पर नारी सशक्तिकरण और महिला उत्थान के लिए महिलाओं को आध्यात्मिक शक्ति के रूप में स्थापित करने का कार्य मनकामेश्वर मंदिर से महंत महामंडलेश्वर देव्या गिरी द्वारा समय-समय पर किया जाता रहा है। शिवरात्रि के शुभ अवसर पर मनकामेश्वर मन्दिर की तरफ से शिव शक्ति मनी कंचन उत्सव के साथ-साथ महिला दिवस की देशभर की सभी महिलाओं को शुभकामनाएं दी । महंत देव्या गिरि ने सभी महिलाओं को सशक्त होने आर्थिक राजनीतिक धार्मिक स्तर पर खुद का उन्नयन करने और आत्मबल और आत्म सम्मान के साथ समाज में खुद को स्थापित करने का का संदेश दिया।