सचिन पाण्डेय
उन्नाव।। बांगरमऊ नगर के मोहल्ला गुलाम मुस्तफा (गोल कुआं) की हुसैनी मस्जिद में “शब ए बारात” के मौके पर बीती रात नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और हजरत ओवैस करनी रजि अल्लाहु तआला अन्हू की शान में एक बेहतरीन तकरीर का प्रोग्राम हुआ जिसमें इनकी फजीलत व मरतबे को बयान किया गया।
हुसैनी मस्जिद के पेश इमाम मौलाना मोइनुद्दीन कादरी ने लोगों को खिताब करते हुए कहा कि हम सभी लोग बड़े खुशनसीब हैं जो प्यारे आका नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्मत में हैं। प्यारे आका सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी उम्मत को बक्सवाने के लिए रातों में रो-रो कर दुआएं मांगी हैं। इसलिए हम सभी को सरकारे दो आलम के बताए हुए रास्ते पर चलकर इंसानियत की एक बेहतरीन मिसाल पेश करनी चाहिए। शब ए बारात के मुबारक मौके पर हजरत ओवैस करनी पर खिताब करते हुए मौलाना ने कहा कि वह यमन के रहने वाले थे। जब आप छोटे थे उसी वक्त हजरत ओवैस करनी के पिता का इंतकाल हो गया था, माँ ने पालन पोषण की जिम्मेदारी संभाली। जब आपने होश संभाला तो अपनी मां को बीमार और नाबीना पाया। इसके बाद से ओवैस करनी ने अपनी मां की देखभाल और खिदमत को अपना फरीजा बना लिया। अपनी मां की इसी सेवा और खिदमत की वजह से हजरत ओवैस करनी को हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में मकबूलियत मिली। आपकी गिनती सफे अव्वल की ताबीईन में होती है, इन्होंने सरकारे दो आलम का जमाना तो पाया लेकिन वह हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम की जियारत नहीं कर सके। इसकी वजह यह है कि इनकी मां काफी बीमार और नाबीना थी और वह उन्हें छोड़कर सफर नहीं कर सकते थे। इसलिए हजरत ओवैस करनी ताबीई हैं। सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम ने हजरत ओवैस करनी का जिक्र करते हुए अपने साहबियों को हुक्म दिया था कि तुम में से जो भी ओवैस करनी से मिले उनसे दुआएं कराये। इसीलिए ये बड़ी शान और मर्तबे वाले हैं, आज के दिन हर सुन्नी मुसलमान के घर उनके नाम की फातेहा (नजर) होती है। इस मौके पर मोहम्मद इसहाक, दिलशाद, नबीदाद खां, मोहम्मद हसीन, मोहम्मद दीन,गुड्डू,अजीजुर्रहमान,अनीसुर्रहमान हफीजुर्रहमान, कल्लू, मोहम्मद अशफाक, इरफान व फजलुर्रहमान सहित मोहल्ले के तमाम लोग मौजूद रहे।।