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9 सितम्बर को अयोजित होने वाली लोक अदालत में मोटर दुर्घटना प्रतिकर के मामलों का अधिक से अधिक निस्तारण हेतु एम.ए.सी.टी. न्यायालय में प्री-ट्रायल बैठक आहुत की गयी

उन्नाव।दिनांक 09.09.2023 को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में मोटर दुर्घटना प्रतिकर के मामलों का अधिक से अधिक निस्तारण हेतु एम.ए.सी.टी. न्यायालय में प्री-ट्रायल बैठक आहुत की गयी राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ के निर्देशानुसार दिनांक 09.09.2023 को सुनिश्चित राष्ट्रीय लोक अदालत के आयोजन में मोटर दुर्घटना प्रतिकर के मामलों का अधिक से अधिक निस्तारण सुनिश्चित कराने हेतु आज दिनांक 05.09.2023 अपराह्न 1:30 बजे माननीय अल्पना सक्सेना, प्रभारी पीठासीन अधिकारी, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण, उन्नाव की अध्यक्षता में विश्राम कक्ष में एक प्री- ट्रायल बैठक की गयी जिसमें अनिल कुमार सेठ, अपर जिला जज कोर्ट सं.04/ नोडल अधिकारी, राष्ट्रीय लोक अदालत, उन्नाव, मनीष निगम अपर जिला जज/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उन्नाव के अतिरिक्त फाइनेंस कम्पनी /बीमा कम्पनी के सम्बन्धित पदाधिकारीगण उपस्थित रहें | उक्त बैठक में माननीय अल्पना सक्सेना, प्रभारी पीठासीन अधिकारी, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण, उन्नाव बैठक में उपस्थित फाइनेंश कम्पनी के अधिवक्तागणों के साथ आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत दिनांक 09.09.2023 को सफल बनाये जाने पर विचार-विमर्श किया गया एंव सुलह समझौता के आधार पर मोटर दुर्घटना दावा मामलों के निस्तारण पर बल दिया गया।

जन सामान्य को त्वरित, सस्ता एवं सुलभ न्याय उपलब्ध कराने हेतु आगामी 09 सितम्बर 2023 दिन शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। उक्त राष्ट्रीय लोक अदालत के दृष्टिगत माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उन्नाव प्रतिमा श्रीवास्तव के निर्देशानुसार अपर जिला जज/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, उन्नाव मनीष निगम द्वारा बताया गया कि त्वरित, सस्ता, सुलभ न्याय प्रत्येक भारतीय नागरिक का नैतिक अधिकार है। राष्ट्रीय लोक अदालत में तहसील न्यायालय से लेकर मा० सर्वोच्च न्यायालय के स्तर पर किसी भी न्यायालय अथवा विभागीय मामलों को सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारित किए जाने हेतु आवेदन पत्र देकर अन्तिम आदेश व निर्णय प्राप्त कर सदैव के लिए लम्बित मामले से छुटकारा पाया जा सकता है। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि लोक अदालत में पक्षों के मध्य आपसी सुलह-समझौते के आधार पर विवाद का निस्तारण पक्षकार-व्यक्तिगत स्तर पर स्वयं पहल कर सकते हैं। लोक अदालत में वाद निस्तारण हेतु किसी भी प्रकार का शुल्क देय नहीं है। लम्बित मामले के लोक अदालत में निस्तारण पर न्यायालय शुल्क वापसी की व्यवस्था है। इसके निर्णय के विरूद्ध कोई अपील नहीं की जा सकती है। कानूनी जटिलताओं से परे लोक अदालत की प्रक्रिया सहज और आपसी समझौते पर आधारित है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में सभी प्रकार के शमनीय आपराधिक/सुलह सुमझौते से निस्तारित होने वाले वाद, उत्तराधिकार से संबंधित सिविल मामले, वाद वापसी के मामले बैंक ऋण वसूली प्री-लिटिगेशन वाद, पारिवारिक एवं वैवाहिक मामले, नगर निगम/नगर पालिका अधिनियम, श्रम संबंधी वाद, भूमि अधिग्रहण संबंधी मामले, राजस्व संबंधित मामले, सर्विस मैटर्स, मनरेगा वाद, व्यापार कर वाद, वजन व मापतौल अधिनियम, वन अधिनियम, उपभोक्ता फोरम वाद,मोटर दुर्घटना प्रतिकर वाद, एन०आई०एक्ट के वाद, विद्युत एवं जल संबंधी अन्य वाद, आर्बिट्रेशन वाद, आपदा राहत वाद, यातायात चालानी वाद आदि का निस्तारण कराया जा सकता है।

जनपदवासियों से अपील है कि यदि आप किसी भी लम्बित वाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारित कराना चहते है, तो कृपया संबंधित न्यायालय के पीठासीन अधिकारी अथवा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उन्नाव के कार्यालय से सम्पर्क कर अपने वाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में नियत करा सकते हैं।


Rishabh Tiwari

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