सचिन पाण्डेय
उन्नाव।इस बार रक्षाबंधन पर राष्ट्रीय सैनिक छात्र सेवा परिषद के संस्थापक अध्यक्ष अंकित शुक्ला ने ठाना है कि भाई बहन के पवित्र रिश्तों का प्रतीक रक्षाबंधन में इस साल गाय के गोबर से बनी राखियां आकर्षण का केंद्र रहेंगी जिले के हसनगंज तहसील के कुसुम्भी गांव में देशी गाय के गोबर से राखियां बन रही है गाय के गोबर से बनी राखियों से होने वाली आय से गाय की रक्षा के लिए सार्थक प्रयास किए जाएंगे साथी ही राखियों के निर्माण होने से प्रदेश के ग्रामीणों को भी रोजगार मिलने से वे आत्मनिर्भर बनेंगे लोगों को भी चायनीज व पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली राखियों से छुटकारा मिलेगा इसके अलावा विज्ञान के दृष्टिकोण से हाथ मे गोबर से बनी राखी बांधने से रेडिएशन से भी सुरक्षा मिलेगी
राखियों में डाले जा रहे तुलसी के बीज संस्था के अध्यक्ष अंकित शुक्ला ने बताया कि ये राखी बाजार में भी उतारी जाएंगी लोगों में गायों के प्रति श्रद्धा भाव प्रबल हो इसलिए गोबर और बीज से राखियां बनाई जा रही है ज्यादातर लोग रक्षाबंधन के कुछ देर बाद राखियां उतार कर इधर-उधर फेंक देते हैं भाई बहन के प्यार की प्रतीक राखी कुछ दिन बाद कचरे में पहुंच जाती हैं इसी को देखते हुए राखियों में तुलसी व ककड़ी समेत अन्य बीज डाले जा रहे हैं ताकि लोग राखी को इधर-उधर फैंकने के स्थान पर गमले में या घर की बाड़ी में डाल सकतें है, इससे राखी के अंदर भरे गए बीज ऊग कर भाई बहन के पवित्र रिश्ते की यादें ताजा करेंगे किसान नेता सर्वेश पाल नहीं बताया नष्ट होने के बाद भी ये राखी पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचाएंगी रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट प्यार का संदेश देने वाला पर्व है भाइयों की कलाई में राखी बांधकर बहनें उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं संस्था अध्यक्ष अंकित शुक्ला ने बताया सनातन परंपरा के प्रतीक इस पर्व पर भाइयों की कलाई पर पहले स्वदेशी राखियां बांधी जाती थीं लेकिन अब उनके स्थान पर चीन में बनी राखियां आ गई हैं संस्था अध्यक्ष अंकित शुक्ला ने बताया कि प्रदेश भर के जिले के अधिकारी उत्तर अखियां एवं सैनिकों के कैंट बॉर्डर तक 11 लाख रसिया पहुंचाने का दावा किया जिसमें वह प्रतिदिन छोटे से बड़े अधिकारियों तक राखियां भेट कर रहे ऐसे माहौल को देकर आसपास कि लोगों में उत्साहित नजर आ रहा है