भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत कल बाराबंकी, आज लखनऊ में स्थित क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र का निरीक्षण कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की उप निदेशक कामिनी टांडेकर ने किया। और उप निदेशक कामिनी टांडेकर ने जैविक भवन के नाम से प्रसिद्ध रीजनल सेन्ट्रल आई पी एम सेंटर में संचालित हो रहे जैविक नियंत्रण प्रयोगशालाओं का अवलोकन किया।
उप निदेशक ने अपने भ्रमण के दौरान ट्राईकोडर्मा, ब्यूवेरिया एवं मेटाराईजियम जैविक कीटनाशी प्रयोगशाला का विधिवत निरीक्षण किया।
उन्होंने जैव नियन्त्रण प्रयोगशाला में रेडुविड बग, क्राईसोपर्ला रियरिंग लैब का भी निरीक्षण किया एवं ट्राइको कार्ड तथा फल मख्खी ल्यूर बनाने की विधि के बारे में भी जाना तथा निर्देशित किया कि आई पी एम तकनीकी को किसानों तक बृहद रूप से पहुंचाया जाए ताकि खेती की लागत मूल्य कम हो तथा किसानों को आर्थिक संवृद्धि प्राप्त हो ।
रीजनल सेन्ट्रल आई. पी. एम. के प्रभारी डा. ज्ञान प्रकाश सिंह, उप निदेशक ने कहा कि केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के निर्देशन एवं वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के मार्गदर्शन में यह केंद्र फसल सरंक्षण हेतु आई पी एम अपनाने के लिए कृषकों की सहायता हेतु कटिबद्ध है। डा ज्ञान प्रकाश सिंह ने बताया कि जैविक भवन में संचालित हो रहे जैविक नियन्त्रण लैब के उत्पादों को कृषकों तक पहुंचाने हेतु यह केंद्र निरंतर प्रयत्नशील एवं प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि कीड़े बीमारियों से फसलों को संरक्षित करने के लिए केंद्र द्वारा तैयार किए गए विभिन्न जैव उत्पाद रासायानिक कीटनाशकों का प्रभावी विकल्प साबित हो रहा है जिससे किसानों को कम लागत में गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त हो रहा है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की उप निदेशक ने रीजनल आई पी एम सेन्टर के क्रिया कलापों की सराहना की। केंद्र के आई पी एम विशेषज्ञ विजेंद्र सिंह, के पी पाठक, शैलेश कुमार, अमित कुमार सिंह पी. पी. ओ. तथा राहुल सुतार, अमित सिंह, धर्मराज सिंह ए. पी. पी. ओ. आदि लोग उपास्थित रहे।
रिपोर्ट – अमित कुमार शुक्ला