देवेंद्र तिवारी
उन्नाव।।नवोदय के पूर्व छात्रों ने पेश की मानवता की मिशाल
नवयुग में मानवता की मिशाल बनें नवोदय के पूर्व छात्र।
आज के परिवेश में जहां एक ओर हमारे समाज में घट रही कुछ घटनाओ से ऐसा लगता है कि स्वार्थ ही सबकुछ है वहीं पर कुछ ऐसी घटनाएं भी हैं जिनसे समाज में मानवता व परस्पर भाईचारे को बल मिल रहा है। हाल ही में जनपद उन्नाव में स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय की सन् 2002 पासआउट पूर्व छात्रा अर्चना बाजपेई का किडनी की बीमारी के चलते निधन हो गया। निधन की खबर सुनते ही पूरे नवोदय परिवार में शोक की लहर दौड़ गई। स्वर्गीय अर्चना बाजपेई अपने पीछे दो बेटियां छोड़ गई़़ं।
जवाहर नवोदय विद्यालय उन्नाव में उनके साथ पढे सहपाठियों एवं उन्नाव नवोदय की एलुमनी संगठन ने स्व अर्चना के इलाज में आर्थिक सहायता भी की थी परंतु होनी को टाला नहीं जा सका। निधन के बाद उन्नाव एलुमनी संगठन ने आपसी सहयोग से अर्चना के बच्चों के लिए आर्थिक सहयोग करने का निर्णय लिया ताकि बच्चियों की शिक्षा दीक्षा में कोई बाधा उत्पन्न न हो।
इस पुनीत कार्य मे सभी पूर्व कनिष्ठ व वरिष्ठ विद्यार्थियों के साथ-साथ अर्चना बाजपेई के सहपाठी रहे के के रघुवंशी, जितेन्द्र सिंह, मो0 आरिफ, योगेश सिंह, अनुज, राकेश यादव, डॉ विनय उपाध्याय, विभा अवस्थी, रेखा त्रिपाठी, नमिता गुप्ता, सुमन वर्मा, मिथलेश, प्रिती आदि व संगठन के पदाधिकारियों (अध्यक्ष अनुराग अवस्थी उपाध्यक्ष आदित्य प्रताप सिंह, सचिव जितेन्द्र सिंह, उपसचिव महेश कुमार व कोषाध्यक्ष अंशुल पटेल) की अहम भूमिका रही। संगठन के कोषाध्यक्ष अंशुल पटेल द्वारा बेटियों को 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि प्रदान की गई। वास्तव में यही है नवोदय भावना व विचारधारा जो नवोदय से निकलने के बाद भी अपने साथियों के सुख दुःख में खड़े रहते हैं।
आपको बताते चलें कि ग्रामीण परिवेश के मेधावी व प्रतिभावान गरीब बच्चों के उत्थान व सर्वांगीण विकास हेतु वर्ष 1986 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा नवोदय विद्यालय की स्थापना की गई जिसका उद्देश्य था ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर में सुधार करना। वर्तमान समय में नवोदय के पढे हुए छात्र देश विदेश में अपने गांव क्षेत्र का नाम रोशन कर रहे हैं।