द्विवार्षिक चुनावों में 57 सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा ने अपनी क्षमता से ज्यादा सीटें जीतकर न केवल विपक्ष को झटका दिया है, बल्कि आगामी राष्ट्रपति चुनावों के लिए भी स्थिति मजबूत की है विपक्षी कमियों को उजागर करते हुए अपना एक-एक अतिरिक्त उम्मीदवार जिताया है
कांग्रेस के पास पर्याप्त नंबर होने पर भी उसमें निर्दलीय को जितवा दिया।
बता दे कि राज्यसभा की 57 सीटों में भाजपा के पास 25 सीटें थी। वह 22 सीटों को फिर से जीतने में सफल रही। एक निर्दलीय को भी शामिल करें तो यह संख्या 23 हो जाती है, जबकि भाजपा व सहयोगी दलों की क्षमता 19 सीटें जीतने की ही थी। ऐसे में चार सीटें अतिरिक्त अपने साथ जोड़ने में सफल रही। इनमें से 41 सीटों के लिए निर्विरोध निर्वाचन हुआ, जिनमें भाजपा ने अपनी रिक्त हुई 15 सीटों में 14 फिर से जीत ली
इन नतीजों के बाद भी राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा व उसके सभी विरोधी दलों के एकजुट होकर आमने-सामने के चुनाव की स्थिति में भाजपा को कुछ और दलों के समर्थन की जरूरत होगी। लगभग 10.86 लाख मतों के निर्वाचक मंडल में, भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन के पास लगभग 49 फीसद मत होने का अनुमान है। ऐसे में उसे वाईएसआर कांग्रेस, बीजद जैसे क्षेत्रीय दलों का समर्थन मिल सकता है, जो आम तौर पर संसद में भी उसका साथ देते रहे हैं।