उन्नाव ।मनुष्य का जीवन तप करने के लिए मिला है ताप के माध्यम से ही हम अपने धरती पर आने के उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं। गंगा जी को धरती पर लाने के लिए भगीरथ की चार पीढ़ियां ने तप किया था। जिस कुल में कोई भगत तपता है उसी कुल में नए भगत का आगमन भी होता है।
साकेत धाम श्री रामलीला मैदान में चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के पांचवें दिन व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए कहीं।
श्री रामकथा गायन के माध्यम से भारतीय और पूरी दुनिया के सनातन समाज में अलख जगाने के लिए सुप्रसिद्ध कथावाचक प्रेमभूषण जी महाराज ने कहा की उन्नाव जिला एक राष्ट्र है ।धनुष यज्ञ और अन्य प्रसंगों का गायन करने के क्रम में कहा कि भगत के बुद्धि लेनदेन या बनिया की तरह नहीं होती है। क्या दिया तो क्या पाया यह भगत नहीं सोचता है। भगवान के चरणों में भगत की सहज ही गति होती है। यह पूरी सृष्टि भगवान के वश में है मनुष्य के वश में कुछ भी नहीं है। जब भगवान से ही सब कुछ मिलना है तो भगवान में ही लगना चाहिए। घर में हम अगर अर्चा विग्रह की सेवा करते हैं, जीव भाव से करते हैं तो विग्रह भी बोलने लगते हैं। अगर हम घर में छोटे बच्चों से बात ना करें तो वह भी नहीं बोल पाते हैं इसलिए घर में अगर लाल को रखा है तो उनसे जीव भाव रखते हुए उनसे बात करें, उनकी सेवा करें।
सनातन धर्म, सत्य आचरण के समाज के निर्माण पर ही आधारित है। यह प्रमाणित सत्य है कि सतकर्म में रहने वाले व्यक्ति के लिए संसार की हर वस्तु सुलभ होती है । ठीक इसी प्रकार से अगर राजा धर्मशील हो तो प्रकृति भी उसके प्रजा पालन में उसका पूरा-पूरा साथ देती है। धरती एक मुट्ठी अन्न को सौगुना करके वापस करती है।
मिथिलेश की वाटिका में भगवान राम के स्वागत में पूरी प्रकृति उमड़ पड़ी थी। ठीक है इसी प्रकार से त्रेता में जहाँ भी राजा धर्मशील होते थे, समुद्र देव उनके स्वागत में अपने गर्भ से खजाने को लाकर तट पर बिखेर देते थे।
पूज्य श्री ने कहा कि सनातन धर्म और संस्कृति में भगवान राम जी का चरित्र हमें बार-बार यह सिखाता है कि हमें जीवन में किस प्रकार रहना है। जब हम राजा जनक जी की वाटिका के प्रसंग का दर्शन करते हैं जहां भगवान श्री राम और माता सीता जी को एक दूसरे का पहली बार दर्शन हुआ था तो हमें यह पता चलता है कि शीलवान व्यक्ति कैसा होता है?
पूज्य महाराज श्री ने कहा कि संसार में अच्छा बुरा दोनों ही उपस्थित है जो भगत लोग हैं उन्हें अच्छे को ग्रहण करते हुए अपने जीवन को धन्य बनाने की आवश्यकता होती है। अपनी दृष्टि पर संयम से यह संभव हो पाता है। जब हम अच्छा देखने का प्रयास करते हैं तो हमें सब कुछ अच्छा ही देखता है जैसे युधिष्ठिर को ढूंढने पर भी कोई बुरा व्यक्ति नहीं मिला लेकिन उसी जगह पर दुर्योधन को ढूंढने पर कोई एक भी अच्छा व्यक्ति नहीं मिला। हमें अपने भलाई के लिए अच्छा देखने का अभ्यास करने की आवश्यकता होती है। क्योंकि हम जो देखते हैं वही सोचते हैं और धीरे-धीरे वैसा ही बन जाते हैं।जीवन में हमें किसी के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए कि वो आपसे परेशान हो जाए। जितना हो सके जीवन को सरल और सहज बनाना चाहिए। सहजता ही ईश्वर की सर्वोपरि भक्ति है।
पूज्यश्री ने कहा कि राम और रावण की एक ही राशि थी। रावण ने ब्राह्मण कुल में जन्म लिया था और भगवान राम क्षत्रिय कुल में जन्मे थे। कुल तो रावण का श्रेष्ठ था लेकिन, जब हम दोनों के व्यवहार की बात करते हैं, आचरण की बात करते हैं, आहार और विहार की बात करते हैं तो राम जी हर मामले में रावण से श्रेष्ठ थे।
समाज में आम लोग श्रेष्ठ के ही आचरण का अनुकरण और अनुसरण करते हैं ऐसे में सभी श्रेष्ठ व्यक्तियों के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने आचार, व्यवहार, आहार में श्रेष्ठता का प्रदर्शन करें, जिनका अनुकरण किया जा सके।
भारतीय सनातन संस्कृति में यह बार-बार प्रमाणित हुआ है कि जो भी व्यक्ति धर्म पथ पर चलते हुए संसार में विचरण करते हैं, उनके घर से दुख भी दूरी बना कर रहता है और ऐश्वर्य स्वयं चलकर उनके घर पहुंचते हैं।
महाराज जी ने कहा कि मनुष्य को किसी के भी अपकर्मों की चर्चा करने से बचना चाहिए। जब हम किसी के किए गए गलत कार्यों की बार-बार चर्चा करते हैं तो उस
तरह की स्थिति हमारे अपने जीवन में भी उपस्थित होने लगती है।
महाराज श्री ने बताया आम जन जीवन में कहां उठना बैठना है, कहां नहीं जाना है, क्या खाना है? क्या नहीं खाना है । किससे कुछ लेना है और किससे कुछ नहीं लेना है आदि-आदि यही तो धर्म है। जब कोई व्यक्ति धर्म को धारण कर धर्मशीलता के जीवन को जीने का प्रयास करता है तो भगवान भी उसकी मदद करते हैं।
धनुष भंग प्रसंग का श्रवण करने के लिय रविवार को बड़ी संख्या में उपस्थित श्रोतागण को महाराज जी के द्वारा गाए गए दर्जनों भजनों पर झूमते हुए देखा गया। बड़ी संख्या में विशिष्ट जन भी उपस्थित रहे।
आज की कथा में प्रमुख रूप से नगर मजिस्ट्रेट अरुण मणि तिवारी , कानपुर के बी जे पी नेता सुरेन्द्र अवस्थी,कांति मोहन गुप्ता, सत्य देव अवस्थी, चंद प्रकाश शुक्ला, हरी ओम सिंह, मुन्ना सिंह अवधूत, मंजु लता अवस्थी,पी के मिश्रा,डॉक्टर रविंद्र शुक्ला, अखिलेश श्रीवास्तव प्रिंस,कमलेश मिश्रा, प्रेम कुमार सिंह, ओ पी तिवारी, अधिवक्ता विनय शंकर दीक्षित आशु,महामंत्री अरविंद कुमार श्रीवास्तव कमल, संयोजक चंद्र प्रकाश अवस्थी, मुख्य सेवायत कृष्णप्रिय मोती श्याम, महिला अध्यक्ष आरती यादव, कोषाध्यक्ष जगदीश महेश्वरी, उपाध्यक्ष प्रमोद मिश्रा, विमल द्विवेदी, ललित द्विवेदी आज़ाद, मीडिया समिति संयोजक मनीष सिंह सेंगर व प्रभारी प्राचीन्द्र मिश्रा, प्रबंधक संजीव गुप्ता राजा व मनीष पांडेय, व्यवस्थापक कौशल किशोर यादव, उप प्रबंधक इंदु प्रकाश अवस्थी आदि हजारों लोग मौजूद रहे।