
सचिन पाण्डेय
उन्नाव। राष्ट्रीय कथक संस्थान/ बिरजू महाराज कथक संस्थान संस्कृति विभाग, उ0प्र0 द्वारा प्रादेशिक कथक आयोजन के अन्तर्गत, संगीत उत्सव का आयोजन डॉ वीरेन्द्र स्वरूप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के ऑडिटोरियम में किया गया। मां सरस्वती के पूजन अर्चन और दीप प्रज्वलन कर शुभारम्भ प्राचार्य डॉ आशुतोष कुमार मिश्रा, रजिस्ट्रार डॉ देशराज साहू, स्थानीय संयोजक डॉ मनीष सिंह सेंगर आदि ने किया। प्रथम प्रस्तुति ’’सुर संगम‘‘ में संगीतात्मक रसवर्षा का रसास्वादन, भजन, देवीगीत, होरी आदि पेश किए गए, जिसमें भगवान शिव को नमन वन्दन करते हुए ’’ऊँ नमः शिवाय‘‘, दुर्गा स्तुति‘‘अयिगिरी नन्दनी’’,‘‘रघुपति राघव राजा राम’’ के पश्चात् कुछ परम्परागत होरी को लखनवी गायकी के साथ दोहे एवं बंध लगाते हुए प्रस्तुत किया गया। ‘‘रंग डारूंगी नंद के लालन पे’’, ’’रंग बरसे बरसाने में’’, ‘‘होरी खेल रहे बाॅके बिहारी’’ एवं ‘‘रंग डार गयो रे बाके बिहारी’’ पर झूम उठे दर्शक। इसी क्रम में राग अहीर भैरव पर आधारित बंदिश- ‘‘अलबेला सजन घर आयो री‘‘ दादरा-’’रंगी सारी गुलाबी चुनरियां रे’’, अन्त में सूफी गीत- ’’दमादम मस्त कलन्दर’’ का प्रस्तुतिकरण बडे़ ही आकर्षक, अनोखे एवं उत्साहपूर्ण ढंग से किया गया।
गायन में मीना वर्मा, अर्चना कुशवाहा, श्रिया श्रीवास्तव, रिभू वासुदेव के साथ तबला में आनन्द दीक्षित और सिन्थसाइजर में विजय कुमार ने बड़ी उत्कृष्टता से संगत की। द्वितीय प्रस्तुति ’’रंग-ए-बयार‘‘ की शुरुआत जगजननी माँ दुर्गा की स्तुति से किया गया। ’’ओम जयंती मंगला काली भद्र काली कपालिनी’’ इस प्रस्तुति के माध्यम से माँ दुर्गा के सुन्दर एवं मनोहारी रूपो का वर्णन किया गया। असुरों का संघार कर भक्त गणों का उद्धार करने वाली नारायणी के ममतामयी, दयामयी एवं साथ ही रौद्र रूप को दर्शाया गया। इसके बाद ’कथक शुद्ध नृत्य‘ प्रस्तुत किया गया जोकि तीन ताल 16 मात्रा में निबद्ध था जिसकी पढ़ंत उपासना श्रीवास्तव व आनंद दीक्षित जी द्वारा की गई, शिव परन से शुरुआत होते हुए कथक का पारंपरिक स्वरूप तोड़े, टुकड़े, तिहाईयाँ एवं जुगलबन्दी के साथ पारम्परिक शुद्ध नृत्य को कलात्मक रूप से प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का समापन भगवान विष्णु जी के अवतार भगवान श्रीकृष्ण, राधा तथा गोपियों की छेड़-छाड़ व आपसी प्रेम को दर्शाते हुए श्रृंगार रस पर आधारित होली प्रस्तुत की गई। इस प्रस्तुति में कथक नृत्य के विविध रंग लोक व डांडिया के साथ कथक नृत्य का मिश्रण देखने को मिला, जिसके बोल थे ’’मोरे कान्हा जो आए पलट के अबकी होली मैं खेलूँगी डटके‘‘।
नृत्य कलाकारों उपासना श्रीवास्तव, हुमा साहू, संजीवनी, जयश्री, अत्रांषी, खुशी, रिदम्, ज्योति, जान्हवी आदि ने सबका मन मोह लिया। लगभग दो घंटे चले कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में दर्शक लगातार तालियां बजाकर कलाकारों का उत्साह बढ़ाते रहे। परिकल्पना, अवधारणा एवं निर्देशन: सुश्री सरिता श्रीवास्तव की रही। समारोह का बड़ा ही कलात्मक संचालन स्थानीय संयोजक मनीष सिंह सेंगर ने किया। कार्यक्रम सहायक की भूमिका विद्याधर अवस्थी और भगवान बक्श यादव की रही। वी एस जी ओ आई के रजिस्ट्रार डॉ देशराज साहू और प्राचार्य डॉ आशुतोष मिश्रा ने सभी कलाकारों और सहयोगियों को पुष्प गुच्छ और प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित करते हुए सभी के आभार जताया। दीपक केलकर, मोहित चौहान, मनाली भाटिया, सोनिया राय, मीनाक्षी दीक्षित, राहुल कश्यप, अभिषेक शुक्ला आदि का सहयोग रहा।