लखनऊ: 14 नवम्बर, 2022 । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज जनपद गोरखपुर के महन्त दिग्विजयनाथ पार्क में आयोजित मण्डलीय रबी उत्पादकता समीक्षा गोष्ठी (गोरखपुर, बस्ती, आज़मगढ़ एवं देवीपाटन मण्डल) का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर उन्होंने विभिन्न विभागों द्वारा लगाये गये स्टालों का निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री जी ने कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के अन्तर्गत लगभग 15 लाभार्थियों को सब्सिडी आदि के प्रमाण पत्र वितरित किये। इस मौके पर कृषि विभाग की उपलब्धियों पर आधारित लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया।
आगे उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, देश की सर्वाधिक आबादी वाला राज्य है। यहां पर खेती-किसानी आमदनी का एक प्रमुख जरिया रही है। देश और दुनिया की सबसे उर्वरा भूमि एवं सबसे अच्छा जल संसाधन प्रदेश में मौजूद है। प्रदेश में 12 फीसदी भूमि है, लेकिन देश के खाद्यान्न उत्पादन का 20 फीसदी उत्पादन अकेले उत्तर प्रदेश करता है। रबी की फसल प्रदेश के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। गेहंू उत्पादन में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है। रबी की अन्य फसलों मंे भी उत्तर प्रदेश की बड़ी भूमिका है।
कृषि क्षेत्र में जितना पोटेंशियल उत्तर प्रदेश में है उसे तिगुना बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए कुछ सावधानियों को ध्यान में रखना पड़ेगा, जैसे समय पर बीज बोना, अच्छी क्वालिटी का बीज हो तथा तकनीक का उपयोग किया जाए। इसके माध्यम से खेती-किसानी के कार्य को आगे बढायंेगे तो कम लागत में उत्पादकता बढ़ाने में सफलता प्राप्त होगी।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा बार-बार इन्हीं चीजांे पर ध्यान देने के लिये व्यापक पैमाने पर कार्यक्रम भी चलाये जाते है। किसानों की आमदनी को दुगुना करने का अभियान इसी का हिस्सा है। समय पर बीज, खाद, पानी तथा तकनीक, हर जनपद में कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि वैज्ञानिकों के साथ किसानांे को जोड़ना यह सभी चीजंे अगर एक साथ हों जायें और सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी योजनाओं/सुविधाओं से किसान अपनी आमदनी दोगुनी कर सकते हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के 04 मण्डलों-गोरखपुर, बस्ती, आजमगढ़ तथा देवीपाटन मण्डल के प्रगतिशील किसानों को यहां रबी गोष्ठी में बुलाकर इस कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है।
आगे उन्होंने कहा कि पहली बार देश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को जोड़ने का कार्य हुआ है। प्रदेश में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के माध्यम से विगत 05 वर्षाें में 21 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचाई की सुविधा प्रदान की गयी है। सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना से देवीपाटन, बस्ती और गोरखपुर मण्डल कमिश्नरी के 09 जनपद जुड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री कुसुम योजना के अन्तर्गत सोलर पम्प के माध्यम से हर किसान अपने खेत में बिना बिजली व डीजल खर्च किये निःशुल्क सिंचाई की सुविधा प्राप्त कर सकता है।
आगे उन्होंने कहा कि कृषकगण कृषि योजनाओं के बारे में जागरूक हों, क्योंकि तकनीकी खेती आज की आवश्यकता है। इसे दो प्रकार से कर सकते हैं-एक तो तकनीक जो एक परम्परागत रूप से कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से की जाती है और दूसरा प्राकृतिक खेती के माध्यम से जो जीरो बजट खेती है। गो-आधारित खेती है। इसके बहुत अच्छे परिणाम आ रहे हैं। उन्हांेने कहा कि थोड़ी सी जागरूकता हमें खेती की लागत को कम करने और उत्पादकता को बढ़ाने में बड़ी भूमिका का निर्वहन कर सकती है। उन्होंने कहा कि जानकारी और अनुभवों का साझा करने, आधुनिक जानकारियों और तकनीक का उपयोग करते हुए लागत को कम करने और उत्पादकता को बढ़ाने हमें मदद मिल सकती है।
आगे उन्होंने ने कहा कि जब देश-दुनिया कोरोना महामारी से त्रस्त व पस्त थी, तब कृषि सेक्टर ही अकेला ऐसा सेक्टर था, जहां पर अन्नदाता किसानों ने विपत्ति के समय दुनिया को निराश नहीं होने दिया। किसान लगातार मेहनत करते रहे। प्रधानमंत्री जी ने ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ के माध्यम से हर गरीब को निःशुल्क राशन उपलब्ध करवाने का काम किया। अन्नदाता किसानों के जीवन में परिवर्तन लाने के लिये एम0एस0पी0 का लाभ दिया गया। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया गया कि कोरोना जैसी महामारी के कारण अगर किसी के रोजगार व नौकरी पर असर पड़ा है, तो उसको भोजन के संकट का सामना न करना पड़े। इसके लिये निःशुल्क राशन की सुविधा उपलब्ध करायी गयी। देश के 80 करोड़ तथा उत्तर प्रदेश के 15 करोड़ लोगों को निःशुल्क राशन की सुविधा उपलब्ध करवाने का कार्य किया गया। लोक कल्याणकारी सरकार का यही कार्य होता है। कोरोना काल खण्ड में सरकार ने प्रदेश की 119 चीनी मिलों का संचालन सुनिश्चित कराया। प्रदेश सरकार विगत साढ़े पांच वर्षाें के दौरान किसानों को लगभग 01 लाख 80 हजार करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान कराने में सफल रही।
आगे उन्होंने चारों मण्डलों के जिलाधिकारियों एवं मुख्य विकास अधिकारियों को निर्देशित किया कि अन्नदाता किसान जितने भी क्रय केन्द्र की मांग करें आसानी से वहां पर क्रय केन्द्र उपलब्ध करवायें और उनकी उपज को क्रय किया जाये। उन्होंने बताया कि अब तक लगभग 03 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की जा चुकी है तथा प्रदेश के अन्दर किसान जितना भी धान, बाजरा, मक्का को क्रय केन्द्रों पर लेकर आयेगा उन सबका क्रय किया जाये तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ डी0बी0टी0 के माध्यम से किसानों के खाते में दिया जायेगा।
इस अवसर पर कृषि, कृषि शिक्षा एवं कृषि अनुसंधान मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश खाद्यान्न उत्पादन में पिछले 05 वर्षाें से देश में सर्वप्रथम रहा है। देश में 32 प्रतिशत गेहूं का उत्पादन अकेले उत्तर प्रदेश में हो रहा है। उन्होंने खेती की गुणवत्ता के लिए अधिक मात्रा में खाद के प्रयोग से बचने की सलाह देते हुए कहा कि अच्छे बीजों का प्रयोग, समय से बुआई व तकनीक का प्रयोग कर किसान अपने उत्पादन को बढ़ा सकते हैं। सरकार सभी ब्लॉकों पर 50 फीसदी अनुदान पर बीज उपलब्ध करा रही है। इसके साथ ही, दलहन व तिलहन के 04 लाख मिनी किट किसानों को वितरित किये जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने कृषि यंत्रों पर 450 करोड़ रुपये का अनुदान भी किसानों को दिया है। पिछले 05 वर्षों में 27 हजार सोलर पम्प भी लगाये गये हैं। गन्ना मूल्य के भुगतान से गन्ने की खेती में वृद्धि हुई है। उन्होंने संतुलित उर्वरक प्रयोग करने का सुझाव देते हुए कहा कि ज्यादा उर्वरक जमीन की उर्वरता को कम करती है। उन्होंने बिजली की खपत कम करने के लिए सोलर पम्प लगाने का सुझाव देते हुए प्राकृतिक खेती पर बल दिया।
प्रदेश के कृषि, कृषि शिक्षा एवं कृषि अनुसंधान राज्य मंत्री श्री बलदेव सिंह ओलख ने कहा कि कृषि क्षेत्र मुख्यमंत्री जी की विशेष प्राथमिकता का क्षेत्र है। पिछले पांच सालों में कृषि क्षेत्र की तरक्की उनकी प्राथमिकता की ही देन है। किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में सरकार निरन्तर कार्य कर रही है तथा किसानों की समस्याओं का निराकरण प्रमुखता के आधार पर किया जाता है।
स्वागत सम्बोधन कृषि उत्पादन आयुक्त श्री मनोज कुमार सिंह तथा आभार ज्ञापन अपर मुख्य सचिव कृषि श्री देवेश चतुर्वेदी ने किया।
इस अवसर पर मत्स्य मंत्री डॉ0 संजय निषाद, उद्यान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दिनेश प्रताप सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, प्रगतिशील किसान, कृषि वैज्ञानिक तथा शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।