उत्तर प्रदेशताज़ा खबरेलखनऊ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में गुरुवार को कैबिनेट की बैठक हुई। इस बैठक में 30 प्रस्तावों पर मुहर लगी। योगी कैबिनेट ने इलेक्ट्रिक वाहन नीति को मंजूरी दी है।

 उ0प्र0 इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति-2022 स्वीकृत   मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति-2022 को स्वीकृत कर दिया है। यह नीति अगले 05 वर्ष के लिए प्रभावी होगी। मंत्रिपरिषद ने नीति में संशोधन करने की आवश्यकता की दशा में उच्च स्तरीय प्राधिकृत ई0वी0 समिति की अनुशंसा पर मुख्यमंत्री जी के अनुमोदनोपरान्त यथावांछित संशोधन की अनुमति भी प्रदान की है।
उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति-2022 का उद्देश्य राज्य में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को प्रोत्साहित करने हेतु अनुकूल ईको-सिस्टम के सृजन के लिए एक ढांचा प्रदान करना है। नीति के 03 मुख्य घटक, चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं के निर्माण को बढ़ावा देना, इलेक्ट्रिक वाहनों (ई0वी0) के प्रयोग को प्रोत्साहन देना तथा इलेक्ट्रिक वाहनों (ई0वी0)/बैटरी विनिर्माण को प्रोत्साहन देना है। इस नीति के क्रियान्वयन के फलस्वरूप इलेक्ट्रिक मोटर व्हेकिल/बैटरी विनिर्माण के क्षेत्र में वृहद निवेश की सम्भावना है। इस नीति से प्रदेश में स्थाई एवं स्वच्छ गतिशीलता समाधान के अंगीकरण एवं अवस्थापना सुविधाओं के विकास तथा पर्यावरणीय अनुकूल परिवहन प्रणाली के उपयोग के प्रोत्साहन में मदद प्राप्त होगी।
नीति की प्रभावी अवधि में प्रत्येक जनपद में न्यूनतम 20 चार्जिंग स्टेशन एवं 05 स्वैपिंग स्टेशन स्थापित करने हेतु निवेश आकर्षण को प्रोत्साहित किया जाएगा। चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण हेतु निवेश के समन्वय व सुविधा के लिए इन्वेस्ट यू0पी0 को नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया जाएगा। चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं के निर्माण के प्रोत्साहन के तहत समस्त स्वीकृतियां अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में गठित प्राधिकृत समिति (ई0सी0) इन्वेस्ट यू0पी0 की अनुशंसा पर जारी की जाएगी।

नीति अधिसूचित किये जाने के 03 वर्ष के भीतर उत्तर प्रदेश राज्य में क्रय एवं पंजीकृत किए गए इलेक्ट्रिक वाहनों के क्रय एवं पंजीकरण पर 100 प्रतिशत की दर से छूट प्रदान की जाएगी। चौथे एवं पांचवें वर्ष में उत्तर प्रदेश में विनिर्मित, क्रय किये गये एवं पंजीकृत इलेक्ट्रिक वाहनों पर 100 प्रतिशत की दर से छूट प्रदान की जाएगी।
उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति-2022 के प्रख्यापन से रोजगार सृजन, सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों का विकास, फॉरेन एक्सचेंज की बचत तथा प्रदेश व देश की जी0डी0पी0 पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। नीति से प्रदेश में लगभग 30 हजार करोड़ रुपये का निवेश होने की सम्भावना है। यह नीति 01 लाख व्यक्तियों के लिए प्रत्यक्ष रूप से तथा 05 लाख व्यक्तियों के लिए अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन में सहायक होगी।

उ0प्र0 दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहन नीति-2022 स्वीकृत     मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश दुग्ध नीति-2018 को समाप्त करते हुए प्रस्तावित उत्तर प्रदेश दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहन नीति-2022 को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने किसी भी प्रकार की कठिनाई के निवारण हेतु नीति में संशोधन के लिए मुख्यमंत्री जी को सक्षम बनाने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान की है।
उत्तर प्रदेश दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहन नीति-2022 अधिसूचना निर्गत होने की तिथि 05 वर्षाें के लिए प्रभावी होगी। इसका प्रमुख उद्देश्य निवेशकों की सुविधा के लिए प्रक्रियाओं का सरलीकरण कर प्रदेश में दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित करना, अगले 05 वर्षाें में 05 हजार करोड़ रुपये के पूंजी निवेश के लक्ष्य को प्राप्त करना, प्रदेश में दुग्ध प्रसंस्करण के स्तर को वर्तमान 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत तक ले जाना एवं दुग्ध प्रसंस्करण की स्थापित क्षमता को मार्केटेबल सरप्लस के 44 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत किया जाना है।
उत्तर प्रदेश दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहन नीति-2022 के तहत प्रदेश में स्थापित होने वाली दुग्ध उद्योग की इकाइयों हेतु पूंजीगत निवेश अनुदान, ब्याज उपादान, बाजार विकास एवं ब्राण्ड प्रोत्साहन, मानकीकरण प्रोत्साहन, पेटेंट/डिजाइन पंजीकरण प्रोत्साहन, विद्युत शुल्क, विद्युत एवं स्टाम्प शुल्क प्रतिपूर्ति तथा प्रादेशिक कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लि0 के सुधार हेतु प्राविधान किये गये हैं।
प्रस्तावित नीति में विभिन्न एफ0पी0ओ0/एम0पी0सी0, प्रदेश की सहकारी संस्थाओं एवं निजी क्षेत्र के उद्यमियों को नवीन दुग्ध प्रसंस्करण एवं दुग्ध उत्पाद विनिर्माण दुग्धशाला इकाई की स्थापना एवं क्षमता विस्तारीकरण (विद्यमान क्षमता में न्यूनतम 25 प्रतिशत की वृद्धि), नवीन पशु आहार एवं पशु पोषण उत्पाद निर्माणशाला इकाई की स्थापना एवं क्षमता विस्तारीकरण (विद्यमान क्षमता में न्यूनतम 25 प्रतिशत की वृद्धि), सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्षेत्र के अन्तर्गत मूल्य संवर्धित दुग्ध उत्पाद जैसे चीज, आइसक्रीम इत्यादि का विनिर्माण करने वाली नवीन इकाई की स्थापना, नवीन डेयरी तकनीक एवं सूचना प्रौद्योगिकी यथा ट्रेसेबिलिटी के उपकरणों एवं सहवर्ती सॉफ्टवेयर जैसे स्काडा (एस0सी0ए0डी0ए0) सिस्टम की स्थापना व कोल्ड चेन की स्थापना हेतु सहायता प्रदान की जाएगी।
उत्तर प्रदेश दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहन नीति-2022 के अन्तर्गत प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से 1.25 लाख नये रोजगार का सृजन अनुमानित है।
नवीन नीति के लागू होने की तिथि तक वे इकाइयां, जिन्हें उत्तर प्रदेश दुग्ध नीति-2018 के अन्तर्गत विभिन्न अनुदान/रियायतें स्वीकृत की जा चुकी हैं, उन्हें उत्तर प्रदेश दुग्ध नीति-2018 के प्राविधानों के अनुसार अवशेष लाभ अनुमन्य होगा।

उ0प्र0 वस्त्र एवं गारमेंटिंग पॉलिसी-2022 स्वीकृत    मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश वस्त्र एवं गारमेंटिंग पॉलिसी-2022 को स्वीकृति प्रदान कर दी है। साथ ही, इसमें किसी प्रकार के संशोधन हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है। मंत्रिपरिषद ने यह निर्णय भी लिया है कि उत्तर प्रदेश हैण्डलूम, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल एण्ड गारमेंटिंग पॉलिसी-2017 की प्रभावी तिथि 12 अक्टूबर, 2022 तक नयी उत्तर प्रदेश वस्त्र एवं गारमेंटिंग पॉलिसी-2022 प्रख्यापित न होने की दशा में उत्तर प्रदेश हैण्डलूम, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल एण्ड गारमेंटिंग पॉलिसी-2017 प्रभावी रहेगी।
उत्तर प्रदेश वस्त्र एवं गारमेंटिंग पॉलिसी-2022 का मुख्य उद्देश्य प्रदेश को वैश्विक स्तर के वस्त्र निर्माण केन्द्र के रूप में स्थापित करना तथा वस्त्र उद्योग से सम्बन्धित सभी प्रकार की इकाइयों यथा-हैण्डलूम, पावरलूम, स्पिनिंग, वीविंग, प्रोसेसिंग, गारमेंटिंग आदि के सतत विकास को बढ़ावा देना है। नीति का विशिष्ट उद्देश्य वस्त्र और परिधान क्षेत्र में 10 हजार करोड़ रुपये के निजी निवेश को आकर्षित करना, 05 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना, निजी क्षेत्र के 05 वस्त्र एवं परिधान पार्काें को विकसित कराना, हथकरघा और पावरलूम बुनकरों की आय में 50 प्रतिशत की वृद्धि करना, पावरलूमों का आधुनिकीकरण एवं सौर ऊर्जा के माध्यम से संचालन करना तथा राज्य के अन्दर रेशम के धागों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए रेशम उत्पादन में वृद्धि करना है।
उत्तर प्रदेश वस्त्र एवं गारमेंटिंग पॉलिसी-2022 में वस्त्र क्षेत्र में निवेश को आकर्षित कर रोजगार सृजन के उद्देश्य से निवेश करने वाली इकाइयों हेतु विभिन्न मदों में वित्तीय सुविधाओं के साथ विशेष प्रोत्साहन प्रदान किये जाने की व्यवस्था है। यह पॉलिसी प्रख्यापन की तिथि से 05 वर्ष तक प्रभावी रहेगी। इस पॉलिसी से प्रदेश में निवेश बढ़ेगा। इससे लगभग 03 लाख रोजगार की सम्भावना है।
उत्तर प्रदेश वस्त्र एवं गारमेंटिंग पॉलिसी-2022 में पूंजीगत उपादान के अन्तर्गत वस्त्र एवं गारमेंटिंग इकाइयों को प्लाण्ट और मशीनरी के क्रय पर किये गये निवेश पर 25 प्रतिशत पूंजीगत उपादान की प्रतिपूर्ति प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त राज्य के मध्यांचल क्षेत्र में स्थापित होने वाली वस्त्र एवं गारमेंटिंग इकाइयों को 5 प्रतिशत की दर से तथा पूर्वांचल एवं बुन्देलखण्ड में स्थापित होने वाली वस्त्र एवं गारमेंटिंग इकाइयों को 10 प्रतिशत की दर से अतिरिक्त पूंजीगत उपादान की प्रतिपूर्ति की जाएगी। पूंजीगत उपादान की अधिकतम सीमा 100 करोड़ रुपये प्रति यूनिट तक सीमित होगी।
अवस्थापना सुविधाओं हेतु अनुदान वस्त्र एवं गारमेंटिंग इकाइयों को स्वयं के उपयोग हेतु अवस्थापना सुविधाओं के घटकों (प) सड़क, (पप) जल आपूर्ति एवं जल निकासी, (पपप) विद्युत आपूर्ति-पावर लाइन, ट्रांसफार्मर आदि के विकास हेतु परियोजना लागत का 50 प्रतिशत, अधिकतम 3 करोड़ रुपये प्रति इकाई की सीमा तक (1 करोड़ रुपये प्रति घटक की दर से) अनुदान प्रतिपूर्ति के रूप में दिया जायेगा। इफ्लूएंट ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट (ई0टी0पी0) एवं डी0जी0 सेटों की स्थापना के लिए परियोजना लागत के 50 प्रतिशत, अधिकतम 05 करोड़ रुपये प्रति इकाई की सीमा तक अनुदान प्रतिपूर्ति के रूप में दिया जायेगा।
रोजगार सृजन अनुदान हेतु मेगा और सुपर मेगा इकाइयां एंकर की भूमिका निभाती हैं। वे पूरे क्षेत्र में अग्रणी का कार्य करती हैं तथा छोटी सहायक इकाइयों के विस्तार करने एवं उनके आसपास के क्षेत्र के विकास के लिए नेतृत्व करती हैं। राज्य सरकार द्वारा ऐसी इकाइयों को विशेष प्रोत्साहन के रूप में रोजगार सृजन अनुदान दिया जायेगा।
विपणन प्रोत्साहन हेतु उत्तर प्रदेश के हथकरघा/पावरलूम बुनकरों द्वारा उत्पादित उत्पादों एवं रेशम के वस्त्रों की बिक्री को प्रोत्साहन देने के लिए उत्तर प्रदेश के बाहर देश के बड़े शहरों में प्रति वर्ष चार विशेष प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाएगा। ऐसी प्रदर्शनियों में प्रतिभाग करने के लिए बुनकरों को सहायता प्रदान की जाएगी। प्रत्येक प्रदर्शनी पर अनुमानित व्यय 50 लाख रुपये होगा।
पी0एम0 मित्र योजनान्तर्गत इकाइयों को विशेष प्रोत्साहन प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार के पी0एम0 मित्र पार्क में स्थापित सभी वस्त्र एवं गारमेंटिंग इकाइयों को प्राप्त वित्तीय सहायता के अलावा निम्नलिखित अन्य पात्र विशेष प्रोत्साहन इकाइयों को प्रदान किये जायेंगे।
बिजली की खुली पहुंच-एस0पी0वी0/मास्टर डेवलपर को बिजली की खुली पहुंच के लिए विद्युत रेग्यूलेशन एक्ट के अनुरूप अनुमति दी जाएगी। ऊर्जा टैरिफ सब्सिडी लाइसेंसी यूटिलिटी से बिजली की खरीद पर, वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने की तारीख से 5 साल के लिए प्रति बिल यूनिट (किलोवॉट) के लिए 2 रुपये की सब्सिडी प्रदान की जायेगी, जिसकी अधिकतम सीमा प्रतिवर्ष प्रति इकाई 90 लाख रुपये तक होगी। अपने स्वयं के कैप्टिव पावर प्लाण्ट से खपत की गई बिजली या ओपेन एक्सेस के माध्यम से खरीदी गई बिजली पावर टैरिफ सब्सिडी के लिए पात्र नहीं होगी।
स्टाम्प ड्यूटी-डेवलपर और प्लॉट के पहले खरीदार के लिए स्टाम्प शुल्क की 100 प्रतिशत छूट बैंक गारंटी (एफ0डी0आर0) के विरुद्ध प्रदान की जायेगी। उ0प्र0 के निवासी/निवासियों (युवाओं एवं युवतियों) को स्वरोजगार के प्रति आकर्षित कर हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग के क्षेत्र में उत्पादन, डिजाइन विपणन या निर्यात से सम्बन्धित नया रोजगार शुरू करने हेतु प्रोत्साहित किया जायेगा। जिसके अन्तर्गत निम्नवत सुविधायें दी जायेंगी। नया रोजगार प्रारम्भ करने हेतु यूपीसीडा, गीडा, नोयडा, ग्रेटर नोयडा या अन्य प्राधिकरणों से भूमि खरीद करता है तो उसे वरीयता प्रदान की जायेगी।
इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ हैण्डलूम टेक्नोलॉजी (आई0आई0एच0टी0) से तीन वर्षीय डिप्लोमा उत्तीर्ण छात्र/छात्राएं जो एक शेड में 5 से 20 हथकरघा अथवा 5 से 10 पावरलूम की स्थापना करके स्वयं के बुनाई का नया रोजगार प्रारम्भ करते हैं, तो उन्हें प्रोजेक्ट कास्ट का 75 प्रतिशत अनुदान देय होगा। यह अनुदान हथकरघा क्षेत्र हेतु अधिकतम सीमा रूपये 20 लाख प्रति व्यक्ति/समूह तक सीमित होगी तथा पावरलूम क्षेत्र हेतु अधिकतम सीमा रूपये 60 लाख प्रति व्यक्ति/समूह तक सीमित होगी।
टेक्सटाइल, टेक्सटाइल डिजाइन या फैशन डिजाइन के क्षेत्र में स्नातक उत्तीर्ण को गारमेन्टिंग एवं अपैरेल या होम फर्नीशिंग क्षेत्र में रोजगार प्रारम्भ करने हेतु प्रोत्साहित किया जायेगा। प्राधिकरणों या अन्य सरकारी संस्थाओं द्वारा निर्मित फ्लैटेड फैक्ट्री के किराये पर 50 प्रतिशत् अनुदान 5 वर्ष तक दिया जायेगा। इस क्षेत्र में नया रोजगार प्रारम्भ करने हेतु स्थापित प्लांट एवं मशीनरी तथा अवस्थापना लागत का 75 प्रतिशत अनुदान अधिकतम रूपये 25 लाख अनुदान प्रति उद्यमी देय होगा।
टेक्सटाइल डिजाइन या फैशन डिजाइन या फैशन ब्रांडिग/मार्केटिंग में स्नातक उत्तीर्ण यदि आधुनिक सुविधाओं के साथ नये रोजगार के रूप में कोई डिजाइन स्टूडियो स्थापित करना चाहते हैं, तो उन्हें प्रोजेक्ट कास्ट का 75 प्रतिशत अधिकतम 30 लाख रुपये प्रति उद्यमी अनुदान देय होगा।
प्रदेश के निवासी युवा/युवतियां जो संगठित होकर वस्त्रों की बिक्री को बढ़ाने हेतु सभी प्रकार की विपणन व्यवस्था के साथ ऑनलाइन बिक्री की व्यवस्था करने हेतु मार्केटिंग कम्पनी बनाकर अपना नया रोजगार प्रारम्भ करना चाहते हैं, तो उन्हें प्रोत्साहित करने हेतु मार्केटिंग कम्पनी के पंजीकरण कराने एवं उसे स्थापित करने हेतु आवश्यक अवस्थापना सुविधाओं पर आने वाली लागत का 75 प्रतिशत अनुदान अधिकतम रुपये 50 लाख प्रति कम्पनी देय होगा। इस कार्य में प्रोत्साहन हेतु बुनकरों के बच्चों को वरीयता प्रदान की जायेगी।

रीफ विपणन वर्ष 2022-23 में मूल्य समर्थन योजना के अन्तर्गत

मोटे अनाज (मक्का एवं बाजरा) हेतु क्रय नीति निर्धारण   मंत्रिपरिषद ने खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में मूल्य समर्थन योजना के अन्तर्गत मोटे अनाज (मक्का एवं बाजरा) हेतु क्रय नीति निर्धारण के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस निर्णय से कृषकों को उनकी उपज का उचित मूल्य समयान्तर्गत प्राप्त होगा।
इस नीति के तहत मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1962 रुपये प्रति कुन्तल तथा बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2350 रुपये प्रति कुन्तल निर्धारित है। मक्का एवं बाजरा क्रय की अवधि 15 अक्टूबर 2022 से 15 दिसम्बर, 2022 तक होगी।
मक्का की खरीद जनपद बुलन्दशहर, हापुड़, बदायूँ, अलीगढ़, एटा, कासगंज, फिरोजाबाद, मैनपुरी, हरदोई, उन्नाव, कानपुर नगर, कानपुर देहात, कन्नौज, फर्रूखाबाद, इटावा, औरेया गोण्डा, बहराइच श्रावस्ती, बलिया, जौनपुर, देवरिया, सोनभद्र एवं ललितपुर में की जायेगी।
बाजरा की खरीद जनपद बुलन्दशहर, बरेली, बदायूँ, सम्भल, अलीगढ़, एटा, कासगंज, हाथरस, आगरा, मथुरा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, कानपुर देहात, इटावा, औरैया, गाजीपुर, जालौन एवं प्रयागराज में की जायेगी।
मक्का एवं बाजरा विक्रय हेतु कृषक पंजीयन तथा समस्त क्रय एजेन्सी पर ऑनलाइन क्रय की प्रक्रिया अनिवार्य की गई। कृषकों से मक्का एवं बाजरा खरीद कम्प्यूटराइज्ड सत्यापित खतौनी, फोटोयुक्त पहचान प्रमाण-पत्र तथा आधार कार्ड के आधार पर की जायेगी। क्रय एजेन्सी द्वारा विक्रीत मक्का एवं बाजरा के मूल्य का भुगतान भारत सरकार के पी0एफ0एम0एस0 पोर्टल के माध्यम से यथासम्भव 48 घण्टे के अन्दर किया जायेगा। खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में प्रदेश के लिए 01 लाख मीट्रिक टन मक्का क्रय तथा 50,000 मीट्रिक टन बाजरा क्रय का कार्यकारी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
मक्का व बाजरा के क्रय केन्द्र का समय प्रातः 09 बजे से सांय 05 बजे तक होगा। जिलाधिकारी स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार क्रय केन्द्र के खुलने और बन्द होने के समय में आवश्यक परिवर्तन कर सकते हैं। रविवार व राजपत्रित अवकाशों को छोड़कर, शेष दिनों में यह क्रय केन्द्र खुले रहेंगे।

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उ0प्र0 प्राकृतिक खेती बोर्ड के गठन का प्रस्ताव स्वीकृत    मंत्रिपरिषद ने राज्य में प्राकृतिक खेती के प्रसार को बढ़ाने तथा सतत मार्गदर्शन के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश प्राकृतिक खेती बोर्ड के गठन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि विभिन्न राज्यों द्वारा भी ऐसे बोर्ड स्थापित किये गये हैं, जिनका अध्ययन कर यह प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया।
मुख्यमंत्री जी उत्तर प्रदेश प्राकृतिक खेती बोर्ड की गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष होंगे। कृषि एवं कृषि शिक्षा मंत्री उपाध्यक्ष होंगे। वित्त, कृषि विपणन, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, पशुपालन एवं दुग्ध विकास विभाग, पंचायतीराज एवं ग्रामीण अभियंत्रण विभाग, सहकारिता विभाग, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के मंत्रिगण गवर्निंग बॉडी के सदस्य होंगे। मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन आयुक्त तथा पशुधन एवं दुग्ध विकास, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, कृषि शिक्षा, कृषि विपणन, पंचायतीराज एवं ग्राम्य विकास, सहकारिता तथा नियोजन विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, सी0जी0एम0 नाबार्ड, समन्वयक एस0एल0बी0सी0, मुख्यमंत्री जी द्वारा नामित प्राकृतिक खेती करने वाले 02 प्रगतिशील कृषक, राष्ट्र स्तर के 02 विशेषज्ञ तथा आई0सी0ए0आर0 एवं कृषि विश्वविद्यालय के 02 विशेषज्ञ, प्राकृतिक खेती करने वाले 02 कृषक उत्पादक संगठन गवर्निंग बॉडी के सदस्य होंगे। अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव कृषि सदस्य सचिव होंगे। गवर्निंग बॉडी द्वारा राज्य स्तर पर नीति निर्धारण एवं मार्गदर्शन दिया जाएगा और संचालित योजना की समीक्षा की जाएगी।
गवर्निंग बॉडी के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति गठित की जाएगी। इसमें कृषि उत्पादन आयुक्त, अन्य सम्बन्धित विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव समस्त राजकीय कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, निदेशक पशुपालन, निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, निदेशक पंचायतीराज, ग्राम्य विकास आयुक्त आदि सदस्य होंगे। निदेशक कृषि/कार्यकारी संचालक उत्तर प्रदेश प्राकृतिक खेती बोर्ड सदस्य सचिव होंगे। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में प्राकृतिक खेती बोर्ड की जिला स्तरीय कार्यकारी समिति गठित की जाएगी।
आत्मा परियोजना के अन्तर्गत जिला, ब्लॉक लेवल के ए0टी0एम0/बी0टी0एम0 इस योजना में फील्ड स्तर पर कार्य हेतु प्रभारी होंगे। जिला स्तरीय कार्यकारी समिति का मुख्य दायित्व राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति के निर्देशों का अनुपालन करना तथा जिला स्तर पर प्राकृतिक खेती की कार्य योजना को अंतिम रूप से उच्च स्तर पर क्रियान्वयन सुनिश्चित करना होगा। यह समिति दो माह में एक बार बैठक कर अपने दायित्वों का निर्वहन करेगी।
उत्तर प्रदेश प्राकृतिक खेती बोर्ड सम्पूर्ण प्रदेश में प्राकृतिक खेती का प्रचार-प्रसार, प्राकृतिक खेती की उपज का विपणन तथा इस सम्बन्ध में केन्द्र एवं राज्य पोषित योजनाओं के क्रियान्वयन का नीति निर्धारण तथा अनुश्रवण करेगा। प्राकृतिक खेती के उद्देश्यों से विभिन्न विभागों के साथ कन्वर्जेन्स करेगा। प्राकृतिक खेती को अपनाने वाले कृषकों की उपज की उचित मूल्य संवर्धन श्रृंखला विकसित करना भी बोर्ड के उद्देश्यों में शामिल है, ताकि कृषकों को उपज का उचित मूल्य मिल सके।
उपभोक्ताओं में प्रचार-प्रसार कर प्राकृतिक खेती की उपज की मांग स्थापित करना एवं बिक्री हेतु विभिन्न विकल्पों का विकास तथा मण्डी समितियों में ऐसे कृषि उत्पादों की विपणन व्यवस्था सम्बन्धी दिग्दर्शन करना, क्लस्टर आधार पर प्राकृतिक खेती से जुड़े कृषकों को कृषक उत्पादक संगठन में रूपान्तरित करना भी बोर्ड के उद्देश्यों में सम्मिलित है। प्राकृतिक खेती करने वाले कृषकों की उपज का जैविक प्रमाणीकरण सुनिश्चित कराने हेतु अवस्थापना सुविचारित करने, उत्पादों का परीक्षण करने तथा कीटनाशक अवशिष्ट परीक्षण की व्यवस्था कराने हेतु नेशनल एक्रीडेशन फण्ड ऑफ लेबोरट्री के मानक के अनुसार प्रयोगशालाएं स्थापित करने के कार्य भी बोर्ड के उद्देश्य होंगे। विभिन्न एग्रो क्लाइमेट क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु शोध करवाना एवं विभिन्न संस्थाओं से उच्च गुणवत्ता के बीज/पौध को उपलब्ध कराना भी इस बोर्ड का उद्देश्य होगा।
नमामि गंगे योजना के अन्तर्गत कृषि विभाग में गठित गंगा सेल राज्य स्तरीय बोर्ड के अधीन कार्य करेगा व सचिवालय के रूप में सेवा प्रदान करेगा। अगर भविष्य मंे प्राकृतिक खेती के प्रसार को बढ़ाने हेतु विशेषज्ञों या अन्य मानव सम्पदा की आवश्यकता पड़ी तो वह भी वित्त विभाग की सहमति के पश्चात आबद्ध होगी व बोर्ड के अधीन कार्य करेगी। बोर्ड का मुख्यालय लखनऊ में होगा।

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उ0प्र0 इनोवेशन फण्ड के गठन का प्रस्ताव अनुमोदित     मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश इनोवेशन फण्ड के गठन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। इसमें 400 करोड़ रुपये का योगदान तकनीकी विश्वविद्यालयों, शिक्षण संस्थाओं तथा उच्च शिक्षण संस्थाओं द्वारा 02 से 03 वर्षाें की अवधि में किया जाएगा। कुशल इन्वेस्टमेंट मैनेजर द्वारा अन्य निवेशकों की सहभागिता से 4000 करोड़ रुपये तक का निवेश स्टार्टअप्स में कराया जा सकता है।
मंत्रिपरिषद ने फण्ड के संचालन हेतु ट्रस्ट, लॉ-फर्म तथा इन्वेस्टमेंट मैनेजर का चयन मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति द्वारा किये जाने को भी स्वीकृति प्रदान की है। यह चयन मेसर्स डिलॉएट, जो चयन की प्रक्रिया में सलाहकार के रूप में कार्य करेंगे, द्वारा तैयार बिड डॉक्यूमेंट्स एवं बिड मूल्यांकन के आधार पर किया जाएगा।
मंत्रिपरिषद ने फण्ड की स्थापना तथा राज्य सरकार की ओर से अपेक्षित अग्रेत्तर कार्यवाहियों हेतु प्राविधिक शिक्षा विभाग को नोडल विभाग के रूप में कार्य करने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दे दी है। साथ ही, फण्ड की एडवायजरी कमेटी में प्राविधिक शिक्षा विभाग तथा उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों को शासन के प्रतिनिधि के रूप में सदस्य रहने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया है।
इनवेस्टमेण्ट मैनेजर द्वारा समय-समय पर यू0पी0 इनोवेशन फण्ड के कॉर्पस से उपयुक्त समय-सारिणी के अनुसार ‘अल्टरनेटिव इनवेस्टमेण्ट फण्ड’ (ए0आई0एफ0) गठित कर सेबी (एस0ई0बी0आई0) में पंजीकृत कराया जायेगा। ए0आई0एफ0 द्वारा स्टार्टअप में निवेश किया जायेगा। ए0आई0एफ0 द्वारा यू0पी0 इनोवेशन फण्ड से प्राप्त पूंजी के सापेक्ष 3 से 9 गुना तक की पूंजी निजी निवेशकों (आई0पी0) से प्राप्त की जायेगी।
उत्तर प्रदेश के वॉयबल स्टार्टअप्स को यू0पी0आई0एफ0 के अन्तर्गत निवेश में वरीयता प्रदान की जायेगी। यह प्रयास भी रहेगा कि यू0पी0आई0एफ0 के अन्तर्गत निवेश प्राप्त करने वाले अन्य स्टार्टअप्स अपना बिजनेस उत्तर प्रदेश में अवश्य स्थापित करें। फण्ड की एडवाइजरी कमेटी में प्राविधिक शिक्षा विभाग तथा उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी शासन के प्रतिनिधि के रूप में सदस्य रहेंगें। एडवाइजरी कमेटी द्वारा इनवेस्टमेण्ट मैनेजर को अबाध्यकारी सुझाव (नॉन-बाइण्डिंग एडवाइस) दिये जा सकेंगे।
यू0पी0 इनोवेशन फण्ड के अन्तर्गत राज्य सरकार का हस्तक्षेप कम से कम रहेगा। आवश्यकतानुसार राज्य सरकार द्वारा इनवेस्टमेण्ट मैनेजर को अबाध्यकारी सुझाव (नॉन-बाइण्डिंग एडवाइस) दिये जा सकेंगे। मंत्रिपरिषद के अनुमोदनोपरान्त शासनादेश वित्त विभाग द्वारा निर्गत किया जायेगा तथा अग्रेत्तर कार्यवाही हेतु प्राविधिक शिक्षा विभाग, नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा।

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प्रदेश में अवर्षण/कमजोर मानसून के दृष्टिगत चना तथा मसूर के निःशुल्क बीज मिनीकिट वितरण की कार्ययोजना तथा 

इस हेतु 3,264 लाख रु0 की धनराशि की व्यवस्था प्रमाणित बीजों पर अनुदान के मद से किए जाने का प्रस्ताव अनुमोदित     मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में अवर्षण/कमजोर मानसून के दृष्टिगत राज्य सेक्टर की  प्रमाणित बीजों के वितरण पर अनुदान की योजना के अन्तर्गत चना तथा मसूर के निःशुल्क बीज मिनीकिट वितरण की कार्ययोजना तथा इस हेतु 3,264 लाख रुपये की धनराशि की व्यवस्था प्रमाणित बीजों पर अनुदान के मद से किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रदेश में औसत से कम वर्षा के दृष्टिगत प्रदेश के कृषकों को चना के 01 लाख बीज मिनीकिट (16 किलोग्राम प्रति बीज मिनीकिट की दर से कुल 16 हजार कुन्तल बीज) तथा मसूर के डेढ़ लाख बीज मिनीकिट (08 किलोग्राम प्रति बीज मिनीकिट की दर से कुल 12 हजार कुन्तल बीज) वितरण की स्वीकृति प्रदान की गयी है। योजना में किसी प्रकार के संशोधन हेतु तथा कमजोर मानसून के दृष्टिगत कृषकों के हित में बीज प्रमाणीकरण योजना के अन्तर्गत यथावश्यक अन्य किस्मों के बीज आदि के वितरण/निःशुल्क वितरण हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।
चना तथा मसूर के निःशुल्क बीज मिनीकिट वितरण की योजना के अन्तर्गत प्रदेश में चयनित जनपदों में 25 प्रतिशत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति तथा 75 प्रतिशत अन्य जाति के पंजीकृत कृषकों को ही दिया जायेगा और प्रतिबन्ध यह रहेगा कि चयनित कृषकों को अधिकतम एक बीज मिनीकिट वितरित किया जायेगा। यह प्रयास किया जायेगा कि चयनित कृषकों में महिला कृषकों की 30 प्रतिशत भागीदारी रहे। खरीफ 2022 की बुवाई से वंचित कृषकों को प्राथमिकता के आधार पर बीज मिनीकिट वितरण किया जायेगा। इस सुविधा का लाभ कृषकों को ‘प्रथम आवक प्रथम पावक’ के आधार पर उपलब्ध कराया जायेगा। प्रतिबन्ध यह रहेगा कि प्रत्येक कृषक को चना अथवा मसूर के एक बीज मिनीकिट का निःशुल्क वितरण किया जायेगा।
योजना के क्रियान्वयन से 2.5 लाख कृषक लाभान्वित होंगे। योजना के क्रियान्वयन से चना का 20,000 हेक्टेयर एवं मसूर का 30,000 हेक्टेयर अतिरिक्त आच्छादन होगा। जिससे 44,000 मीट्रिक टन अतिरिक्त चना तथा 60,000 मीट्रिक टन अतिरिक्त मसूर का उत्पादन प्राप्त होगा। साथ ही, लाभार्थी कृषकों को औसतन 20,000 से 25,000 प्रति हेक्टेयर का लाभ प्राप्त होगा।

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प्रदेश सरकार के ‘संकल्प पत्र-2022’ के अनुरूप लघु एवं सीमान्त कृषकों

को अतिरिक्त सिंचन सुविधा प्राप्त करने हेतु ‘मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना’ में अनुदान प्राविधानों, कार्य विस्तार एवं क्रय व्यवस्था में संशोधन के सम्बन्ध में     मंत्रिपरिषद ने प्रदेश सरकार के ‘संकल्प पत्र-2022’ के अनुरूप लघु एवं सीमान्त कृषकों को अतिरिक्त सिंचन सुविधा प्राप्त करने हेतु ‘मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना’ में अनुदान प्राविधानों, कार्य विस्तार एवं क्रय व्यवस्था में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
लघु सिंचाई विभाग में पूर्व से ‘मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना’ संचालित है, जिसके अन्तर्गत उथले नलकूप (गहराई-30 मीटर तक), मध्यम गहरे नलकूप (31-60 मीटर तक) व गहरे नलकूप (61-90 मीटर तक) का निर्माण लाभार्थी कृषकों की भूमि पर सिंचाई हेतु किया जाता है।
प्रदेश सरकार के ‘संकल्प पत्र-2022’ के अन्तर्गत प्रस्तावित नवीन कार्यों को विभाग में पूर्व संचालित ‘मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना’ में समाहित किया गया है। नवीन कार्यों में पूर्व निर्मित उथले नलकूपों पर पम्पसेट, हौज (वॉटर टैंक) व जल वितरण प्रणाली तथा उथले/मध्यम गहरे/गहरे नलकूपों पर सोलर पम्प सेट, पठारी क्षेत्रों में ब्लास्टवेल, चेकडैम मरम्मत कार्य, चेकडैम/तालाबों पर भूस्तरीय सिंचाई हेतु सोलर पम्प सेट एवं रूफ टॉप रेन वॉटर हार्वेस्टिंग आदि कार्यों का समावेश किया गया है। इससे कृषक, सिंचाई हेतु आत्मनिर्भर होंगे व नियंत्रित सिंचाई के कारण भूगर्भीय जल का दुरुपयोग नहीं होगा तथा उनकी कृषि उत्पादकता में वृद्धि होगी।
प्रदेश के सभी लघु/सीमान्त कृषकों को सिंचाई सुविधा पर अनुदान प्रदान करते हुये उन्हें नियंत्रित व सुनिश्चित सिंचाई के दृष्टिगत आत्मनिर्भर बनाया जाना है। लघु सिंचाई विभाग की पूर्व संचालित योजनाओं यथा उथले, मध्यम गहरे व गहरे नलकूप निर्माण के साथ-साथ नवीन कृषकों का समावेश करते हुये ‘संकल्प पत्र-2022’ की मंशा के अनुसार प्रति वर्ष 02 लाख से अधिक लघु/सीमान्त कृषकों को सिंचाई के दृष्टिगत आत्मनिर्भर बनाया जायेगा एवं तद्नुसार उनकी आय में वृद्धि की जायेगी।
गत वर्ष के नाबार्ड के निर्धारित इकाई लागत/जेम पोर्टल पर वर्तमान दर के आधार पर कृषकों के हित में अनुदान सीमा का पुनरीक्षण किया गया है एवं पिछड़े वर्ग सहित सामान्य श्रेणी व अनुसूचित जाति के कृषकों को प्राप्त होने वाली अनुदान सीमा में वृद्धि की गयी है।
योजनान्तर्गत लघु/सीमान्त कृषकों हेतु पूर्व निर्मित (वर्ष 2015-16 से) उथले नलकूपों पर पम्पसेट, वॉटर टैंक (हौज) व जल वितरण प्रणाली की स्थापना, पूर्व निर्मित उथले/मध्यम गहरे/गहरे नलकूपों पर सोलर पम्पसेट की स्थापना, 05 वर्ष से अधिक के पूर्व निर्मित चेकडैमों का मरम्मत कार्य, विन्ध्य व बुन्देलखण्ड के पठारी क्षेत्र हेतु नये ब्लास्टवेल का निर्माण, चेकडैम/तालाबों पर भूस्तरीय सिंचाई सुविधा के रूप में ट्रॉली माउण्टेड (3 से 5 एच0पी0) सोलर पम्पसेट स्थापना एवं शासकीय/अर्द्ध शासकीय भवनों पर रूफटॉप रेन वॉटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना कर भूगर्भीय जल संरक्षण आदि कार्यों का कियान्वयन किया जायेगा।
योजनान्तर्गत प्रति वर्ष 02 लाख से अधिक लघु/सीमान्त कृषकों (कृषक परिवारों) को लाभान्वित किया जायेगा। निजी नलकूप होने की स्थिति में नियन्त्रित व सुनिश्चित सिंचाई होने के कारण सिंचाई सुविधा के दृष्टिगत कृषक आत्मनिर्भर होंगे एवं उनकी आय में वृद्धि होगी।

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आई0आई0टी0 कानपुर परिसर में अनमैन्ड एरियल

व्हेकिल (यू0ए0वी0)/ड्रोन टेक्नोलॉजी आधारित सेण्टर

ऑफ एक्सिलेंस की स्थापना का प्रस्ताव स्वीकृत     मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश स्टार्ट-अप नीति-2020 के अन्तर्गत आई0आई0टी0 कानपुर परिसर में 20.30 करोड़ रुपये की लागत से अनमैन्ड एरियल व्हेकिल (यू0ए0वी0)/ड्रोन टेक्नोलॉजी आधारित सेण्टर ऑफ एक्सिलेंस की स्थापना के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने विचाराधीन प्रकरण में निहित संस्तुतियों/निर्णयों में समय की आवश्यकताओं के अनुरूप किसी प्रकार के संशोधन/परिवर्तन मुख्यमंत्री के अनुमोदन के उपरान्त किये जा सकने की भी अनुमति प्रदान की है।
उत्कृष्टता केन्द्र द्वारा प्रतिवर्ष 20 नव उद्यमियों (स्टार्टअप्स) को सहयोग प्रदान किया जाएगा तथा प्रतिवर्ष 100 ड्रोन पायलट्स को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। स्टार्टअप्स के परिपक्व होने पर उनके द्वारा प्रदेश के विभिन्न भागों में उद्योग स्थापित किये जाएंगे, जिससे प्रत्यक्ष रोजगार के अतिरिक्त पर्याप्त रूप से अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन की सम्भावना है। इससे जनसामान्य का सामाजिक, आर्थिक उत्थान होगा।
ज्ञातव्य है कि भारत सरकार द्वारा 01 फरवरी, 2022 को वर्ष 2022-23 हेतु प्रस्तुत बजट में स्टार्टअप्स तथा आई0टी0आई0 में कौशल विकास के माध्यम से फसल के अनुमान, भू-अभिलेखों के डिजिटलीकरण तथा कीटनाशकों एवं पोषक तत्वों का छिड़काव इत्यादि के लिए ड्रोन तकनीक/सेवाओं का उपयोग किये जाने पर बल दिया गया है। ड्रोन तकनीक/सेवा एक उदीयमान क्षेत्र है तथा आने वाले समय में देश एवं प्रदेश में कृषि राजस्व, राजस्व विभाग तथा गृह विभाग आदि से सम्बन्धित कार्यकलापों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
प्रदेश सरकार द्वारा अधिसूचित उ0प्र0 स्टार्टअप नीति-2020 के अन्तर्गत राज्य में 03 स्टेट ऑफ आर्ट उत्कृष्टता के केन्द्रों की स्थापना किये जाने का लक्ष्य है, जो शोध एवं विकास के अनुकरणीय मानदण्डों तथा इंक्यूबेशन के अनुभव से युक्त एवं परिपक्व होंगे। यह उत्कृष्टता के केन्द्र उद्यमिता के पोषण हेतु सर्वाेत्तम प्रथाओं (बेस्ट प्रैक्टिसेज) को प्रोत्साहन प्रदान करेंगे। उत्कृष्टता के केन्द्रों के रूप में विश्वसनीय बुनियादी ढांचे के निर्माण की परिकल्पना की गयी है।
प्रथम उत्कृष्टता का केन्द्र, मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स (स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी) के क्षेत्र में संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इण्डिया, भारत सरकार के सहयोग से कार्यरत हो गया है। इसके अतिरिक्त, आई0आई0टी0 कानपुर तथा फिक्की के सहयोग से आई0आई0टी0 कानपुर के नोएडा परिसर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एण्ड इनोवेशन ड्राइवेन ऑन्ट्रेप्रेन्योरशिप (ए0आई0आई0डी0ई0) सेण्टर ऑफ एक्सिलेंस की स्थापना की जा रही है, जिसका शीघ्र संचालन आरम्भ हो जाएगा।

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जनपद उन्नाव में गंगा नदी के बाएं तट पर स्थित चौ0 चरण सिंह डलमऊ ‘बी’ पम्प नहर प्रणाली की क्षमता पुनरोद्धार की पुनरीक्षित परियोजना के सम्बन्ध में
    मंत्रिपरिषद ने जनपद उन्नाव में गंगा नदी के बाएं तट पर स्थित चौ0 चरण सिंह डलमऊ ‘बी’ पम्प नहर प्रणाली की क्षमता पुनरोद्धार की पुनरीक्षित परियोजना के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। इसके तहत पुनरोद्धार की परियोजना के कार्याें की पुनरीक्षित लागत 7294.96 लाख रुपये को स्वीकृति प्रदान की गयी है। साथ ही, मंत्रिपरिषद ने पुनरीक्षित परियोजना में 4357.08 लाख रुपये के कार्याें को 03 कार्यदायी संस्थाओं सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के नियंत्रणाधीन उ0प्र0 प्रोजेक्ट कॉरपोरेशन लि0 से 2344.48 लाख रुपये के कार्याें, सिंचाई विभाग (सिविल) से 71.67 लाख रुपये के कार्याें तथा सिंचाई विभाग (यांत्रिक) से 1940.93 लाख रुपये के कार्याें को कराये जाने की अनुमति प्रदान की है।
ज्ञातव्य है कि जनपद उन्नाव की तहसील बीघापुर में निर्माणाधीन चौ0 चरण सिंह डलमऊ ‘बी’ पम्प नहर प्रणाली पुनरोद्धार की परियोजना वर्ष 2005-06 की दरों पर व्यय वित्त समिति द्वारा लागत 3059.29 लाख रुपये अनुमोदित किये जाने पर शासनादेश दिनांक 10 सितम्बर, 2007 द्वारा परियोजना स्वीकृत की गयी थी।
व्यय वित्त समिति द्वारा चौ0 चरण सिंह डलमऊ ‘बी’ पम्प नहर प्रणाली की क्षमता पुनरोद्धार की पुनरीक्षित परियोजना लागत 7294.96 लाख रुपये अनुमोदित की गयी है। पुनरीक्षित परियोजना में मूल परियोजना लागत 3059.29 लाख रुपये के सापेक्ष 4235.67 लाख रुपये की वृद्धि हुई है।
पुनरीक्षित परियोजना में सिविल कार्य के अन्तर्गत सम्मिलित किये गये अप्रोच मार्ग एवं अप्रोच ब्रिज पर 176 लाख रुपये, कॉफर डैम पर 785.46 लाख रुपये, सबस्ट्रक्चर पर 1622.78 लाख रुपये, सुपर स्ट्रक्चर पर 464.25 लाख रुपये एवं पम्प हाउस तथा नदी सुरक्षा कार्य हेतु 538.64 लाख रुपये तथा विद्युत/यांत्रिक कार्यों हेतु 354.80 लाख रुपये की प्रस्तावित वृद्धि के सापेक्ष व्यय वित्त समिति द्वारा क्रमशः 171.96 लाख रुपये, 769.76 लाख रुपये, 1114.59 लाख रुपये, 327.04 लाख रुपये, 512.66 लाख रुपये एवं 46.38 लाख रुपये अनुमोदित की गयी है। परियोजना में कार्यदायी संस्थाओं द्वारा कार्य कराये जाने की अवधि में लगभग 03 लाख मानव दिवस का रोजगार सृजन होगा।
परियोजना से वर्तमान में 8,660 हेक्टेयर वास्तविक सींच के सापेक्ष 26,107 हेक्टेयर सींच होना प्रस्तावित है। अतिरिक्त जल से 198 किलोमीटर की लम्बाई में कृषकों को सिंचाई हेतु जल उपलब्ध होने से 17,447 हेक्टेयर सींच बढ़ेगी।
परियोजना पूर्ण होने पर 220 ग्राम (जनपद उन्नाव के 100 तथा रायबरेली के 120 ग्राम) के लगभग 40,000 कृषक सिंचाई सुविधा से लाभान्वित होंगे तथा 11.225 किलोमीटर की फीडर द्वारा उन्नाव ब्रान्च के 61 किलोमीटर की चैनेज पर अतिरिक्त जलापूर्ति किया जाना है।
वर्तमान में कार्यस्थल पर बार्ज पर आधारित 05 पम्पों से जलापूर्ति की जा रही है। स्थापित पम्पों की निर्धारित समय-सीमा पूर्ण होने पर कार्य क्षमता प्रभावित होने के कारण पुनरीक्षित परियोजना में 5 नवीन पम्पों से 300 क्यूसेक जलापूर्ति किया जाना है।
मूल परियोजना में लागत 3059.29 लाख रुपये के सापेक्ष अवमुक्त की जा चुकी धनराशि 2937.88 रुपये से सबस्ट्रक्चर तक कार्य पूर्ण किया जा चुका है, जो कि सम्पूर्ण परियोजना की भौतिक प्रगति के सापेक्ष लगभग 33 प्रतिशत है।
चौ0 चरण सिंह डलमऊ बी पम्प नहर प्रणाली की क्षमता पुनरोद्धार की मूल परियोजना के अवशेष कार्यों से सिविल कार्य यथा-पम्प हाउस में अप्रोच मार्ग, अप्रोच ब्रिज, काफर डैम, सबस्ट्रक्चर, सुपर स्ट्रक्चर तथा नदी के किनारों का प्रोटेक्शन, ड्रेजिंग एवं फेंशिंग के कार्यों हेतु कार्यदायी संस्था का परिवर्तन करते हुए यह कार्य उ0प्र0 प्रोजेक्ट कॉरपोरेशन, लखनऊ से शासनादेश दिनांक 31 दिसम्बर, 2010 के अनुसार कराया जाना है। परियोजना मुख्यमंत्री जी की घोषणा 17 दिसम्बर, 2017 से आच्छादित है।

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जनपद अमेठी में जिला कारागार के निर्माण हेतु 17612.42 लाख रु0 की

अनुमोदित लागत पर प्रशासकीय स्वीकृति एवं सम्पूर्ण प्रायोजना का प्रस्ताव स्वीकृत     मंत्रिपरिषद ने जनपद अमेठी में जिला कारागार के निर्माण हेतु कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये प्रस्तावित आगणन 20320.94 लाख रुपये के सापेक्ष व्यय वित्त समिति द्वारा प्रायोजना की 17612.42 लाख रुपये की अनुमोदित लागत पर प्रशासकीय स्वीकृति एवं सम्पूर्ण प्रायोजना का प्रस्ताव स्वीकृत कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि अमेठी को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2010 में जनपद घोषित किया गया, परन्तु नवसृजित जनपद अमेठी में वर्तमान में कोई कारागार उपलब्ध नहीं है, जिस कारण अभी तक जनपद अमेठी के बन्दियों को जनपद सुलतानपुर की जिला कारागार में निरुद्ध किया जा रहा है। जिला कारागार, सुलतानपुर में अमेठी जनपद के बन्दियों को निरुद्ध किये जाने के कारण जिला कारागार, सुलतानपुर में ओवर क्राउडिंग की स्थिति बनी हुई है।
जनपद अमेठी के बन्दी अपने जनपद से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित जिला कारागार, सुलतानपुर में निरुद्ध होने के कारण जनपद अमेठी में स्थित मा0 न्यायालय में पेशी पर आने-जाने तथा निरुद्ध बन्दियों के परिजनों से मुलाकात की सुगमता एवं प्रभावी प्रशासनिक नियंत्रण हेतु नवसृजित जनपद अमेठी में 990 बन्दी क्षमता के कारागार का निर्माण कराया जाना है। जनपद अमेठी में प्रस्तावित नवीन जिला कारागार के निर्मित होने से बन्दियों को सीमावर्ती जनपदों के जिला कारागारों में शिफ्ट करने, लाने एवं ले जाने की आवश्यकता नहीं होगी तथा बन्दियों की सुरक्षा पर कोई खतरा नहीं होगा। साथ ही, सुरक्षा में प्रयुक्त होने वाले वाहनों एवं अतिरिक्त पुलिस कार्मिकों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
जनपद अमेठी में जिला कारागार के निर्माण हेतु भूमि चयन के लिए जिलाधिकारी, अमेठी की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा जनपद अमेठी की तहसील गौरीगंज स्थित ग्राम सकरावा एवं पहाड़पुर की 64 एकड़ भूमि का चयन किया गया, जिस हेतु 25 जनवरी, 2016 को 33,26,22,000 रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गयी। जिला कारागार के निर्माण हेतु चयनित 64 एकड़ भूमि का अर्जन किया जा चुका है।
वित्त (आय-व्ययक) अनुभाग-2 के शासनादेश दिनांक 13 दिसम्बर, 2019 के अनुसार 50 करोड़ से अधिक लागत वाले शासकीय भवनों का निर्माण लोक निर्माण विभाग के माध्यम से खुली निविदाएं आमंत्रित करके ई0पी0सी0 मोड पर कराये जाने के क्रम में जनपद अमेठी में जिला कारागार का निर्माण कराये जाने हेतु कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग द्वारा ई0पी0सी0 मोड पर कार्य कराये जाने हेतु 20320.94 लाख रुपये का आगणन उपलब्ध कराया गया। इस आगणन का गठन जनपद अमेठी के एस0ओ0आर0 दिनांक 09 फरवरी, 2022 एवं डी0एस0आर0-2021 के आधार पर किया गया है।

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राजकीय इण्टर कॉलेज, अम्बेडकरनगर के विस्तारीकरण हेतु संस्थान

के नजदीक उपलब्ध नागरिक उड्डयन विभाग की 2.514 हेक्टेयर भूमि

प्राविधिक शिक्षा विभाग को निःशुल्क हस्तांतरित किये जाने के सम्बन्ध में     मंत्रिपरिषद ने राजकीय इण्टर कॉलेज, अम्बेडकरनगर के विस्तारीकरण हेतु संस्थान के नजदीक उपलब्ध नागरिक उड्डयन विभाग की 2.514 हेक्टेयर भूमि प्राविधिक शिक्षा विभाग को कतिपय शर्ताें एवं प्रतिबन्धों के अधीन निःशुल्क हस्तांतरित किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि राजकीय इण्टर कॉलेज, अम्बेडकरनगर में विभिन्न पाठ्यक्रमों में अतिरिक्त सीटों को बढ़ाये जाने के लिए तथा कॉलेज में कतिपय आधारभूत सुविधाओं यथा क्लासरूम, प्रयोगशालाएं, छात्रावास, क्रीड़ास्थल, कैफेटेरिया, एन0सी0सी0 भवन, बहुउद्देशीय हॉल, फैकल्टी आवास आदि के लिए अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता है। इस निर्णय से इंजीनियरिंग कॉलेज में विभिन्न पाठ्यक्रमों में अतिरिक्त सीटों की वृद्धि हो सकेगी तथा अधिक संख्या में छात्र-छात्राएं प्रवेश पा सकेंगे।

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राज्य अतिथि गृह ‘गोमती’, विक्रमादित्य मार्ग, लखनऊ के जीर्ण-शीर्ण भवन का ध्वस्तीकरण करते हुए उसके स्थान पर एक नये अतिथि गृह के निर्माण के सम्बन्ध में     मंत्रिपरिषद ने राज्य सम्पत्ति विभाग के नियंत्रणाधीन राज्य अतिथि गृह ‘गोमती’, विक्रमादित्य मार्ग, लखनऊ के जीर्ण-शीर्ण भवन का ध्वस्तीकरण करते हुए उसके स्थान पर एक नये अतिथि गृह के निर्माण के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। साथ ही, मंत्रिपरिषद ने जीर्ण-शीर्ण भवन का ध्वस्तीकरण करते हुए इस भवन के सम्बन्ध में द्वितीय हस्तपुस्तिका खण्ड-1 व खण्ड-5, लोक निर्माण विभाग अनुरक्षण मैनुअल पार्ट-2 (भवन), उ0प्र0 कार्य नियमावली, 1975 एवं अन्य सुसंगत प्राविधानों के अन्तर्गत कुल धनराशि 65.83 लाख रुपये को इस शर्त के अधीन बट्टे खाते में डाले जाने की अनुमति प्रदान कर दी है कि ध्वस्तीकरण के उपरान्त मलबे के निस्तारण से प्राप्त वास्तविक धनराशि का समायोजन कर लिया जाएगा।

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खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में धान खरीद हेतु कार्यशील

पूंजी की व्यवस्था के लिए उ0प्र0 कोऑपरेटिव फेडरेशन लि0 एवं

उ0प्र0 कोऑपरेटिव यूनियन लि0 को राष्ट्रीयकृत बैंक से अल्पकालिक

ऋण लिए जाने हेतु शासकीय गारण्टी के सम्बन्ध में     मंत्रिपरिषद ने गत वर्ष की भांति खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में धान खरीद हेतु कार्यशील पूंजी की व्यवस्था के लिए उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव फेडरेशन लि0 (पी0सी0एफ0) को 04 हजार करोड़ रुपये एवं उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव यूनियन लि0 (पी0सी0यू0) को 800 करोड़ रुपये का राष्ट्रीयकृत बैंक से अल्पकालिक ऋण लिए जाने हेतु शासकीय गारण्टी कतिपय शर्ताें के अधीन प्रदान करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने भविष्य में इसके सम्बन्ध में किसी संशोधन/परिवर्धन हेतु विभागीय मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
भारत सरकार द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में धान कॉमन 2040 रुपये प्रति कुन्तल तथा धान ग्रेड-ए 2060 रुपये प्रति कुन्तल समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है। राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन क्रय एजेंसी उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव फेडरेशन लि0 (पी0सी0एफ0) व उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव यूनियन लि0 (पी0सी0यू0) के क्रय केन्द्रों द्वारा भी धान की खरीद की जानी है।  इन संस्थाओं के पास धान खरीद हेतु अपना कोई वित्तीय संसाधन नहीं है। राज्य सरकार के इस निर्णय से कृषकों को उनकी उपज का उचित मूल्य समायान्तर्गत प्राप्त होगा।

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जनपद मथुरा की नगर पंचायत बरसाना, जनपद अयोध्या की नगर पंचायत भरतकुण्ड भदरसा तथा जनपद बाराबंकी 

की नगर पंचायत सुबेहा के सीमा विस्तार किए जाने सम्बन्धी अन्तिम अधिसूचना निर्गत करने का प्रस्ताव स्वीकृत
    मंत्रिपरिषद ने जनपद मथुरा की नगर पंचायत बरसाना, जनपद अयोध्या की नगर पंचायत भरतकुण्ड भदरसा तथा जनपद बाराबंकी की नगर पंचायत सुबेहा के सीमा विस्तार किए जाने सम्बन्धी अन्तिम अधिसूचना निर्गत करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद द्वारा अधिसूचना निर्गत होने के उपरान्त कोई त्रुटि परिलक्षित होने पर उसे आवश्यकतानुसार संशोधित/परिमार्जित किए जाने हेतु नगर विकास मंत्री को अधिकृत किया गया है।
जनपद मथुरा की नगर पंचायत बरसाना के विस्तार के प्रस्ताव में बरसाना के आसपास के 11 राजस्व ग्रामांे-मानपुर, ऊचागॉव, रूपनगर, चिकसौली, बरसाना देहात, गाजीपुर, संकेत, डभाला, खोर, करहला तथा आजनौंख के विभिन्न गाटों को सम्मिलित किया गया है।
जनपद अयोध्या की नगर पंचायत भदरसा की नगर पंचायत भरतकुण्ड भदरसा के नाम से सीमा विस्तार के प्रस्ताव में नगर पंचायत भरतकुण्ड भदरसा के आसपास के ग्रामों-बीबीपुर, कल्याण भदरसा, नन्दीग्राम, भदरसा टाउन बाहर, राजापुर माफी, कैल, विनायकपुर, मिर्जापुर निमौली, दोस्तपुर, नैपुरा तथा पिपरी को सम्मिलित किया गया है।
जनपद बाराबंकी की नगर पंचायत सुबेहा के सीमा विस्तार के प्रस्ताव में आसपास के 4 ग्रामों-मोहिद्दीन सराय, थलवारा, खानपुर, पलिया के विभिन्न गाटों को सम्मिलित किया गया है।
इन नगर पंचायतों के सीमा विस्तार से इनमें सम्मिलित होने वाले गांवों का उत्तरोत्तर विकास होगा। निवासियांे को पेयजल, बिजली, सड़क, नाली आदि बेहतर सुविधाएं प्राप्त होंगी। नगर पंचायत क्षेत्र के सुनियोजित विकास से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

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जनपद बहराइच में नगर पंचायत मिहींपुरवा के गठन की

अन्तिम अधिसूचना निर्गत करने का प्रस्ताव अनुमोदित     मंत्रिपरिषद ने जनपद बहराइच में नगर पंचायत मिहींपुरवा के गठन की अन्तिम अधिसूचना निर्गत करने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। मंत्रिपरिषद द्वारा अधिसूचना निर्गत होने के उपरान्त किसी त्रुटि के परिलक्षित होने पर उसमें आवश्यकतानुसार संशोधन/परिमार्जन के लिए नगर विकास मंत्री को अधिकृत किया है।
नगर पंचायत मिहींपुरवा के गठन के प्रस्ताव में ग्राम मिहींपुरवा का सम्पूर्ण क्षेत्र, ग्राम मोतीपुर का आंशिक क्षेत्र (मोतीपुर, तुलसीरामपुरवा, सिंचाई कॉलोनी), ग्राम परवानीगौढ़ी का आंशिक क्षेत्र (मिहींपुरवा पूर्वी भाग, नया पुरवा, कलोनी, ब्लॉक के आसपास, सुक्खापुरवा, तमोलिन पुरवा आंशिक) तथा ग्राम कुड़वा का आंशिक क्षेत्र (टीचर्स कालेनी, गुलालपुरवा, चमारनपुरवा, पाण्डेयपुरवा, टेपरा, बोटनपुरवा, तमोलिन पुरवा आंशिक) सम्मिलित हैं।
नगर पंचायत मिहींपुरवा के गठन से इसकी सीमा में सम्मिलित होने वाले गांवों का उत्तरोत्तर विकास होगा तथा वहां के निवासियों को पेयजल, बिजली, सड़क, नाली आदि की बेहतर सुविधाएं प्राप्त होंगी। नगर पंचायत क्षेत्र का सुनियोजित विकास प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन में सहायक होगा।

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नगर पालिका परिषद मऊनाथ भंजन का सीमा विस्तार किए जाने विषयक अन्तिम अधिसूचना निर्गत किए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत    मंत्रिपरिषद ने जनपद मऊ की नगर पालिका परिषद मऊनाथ भंजन का सीमा विस्तार किए जाने विषयक अन्तिम अधिसूचना निर्गत किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
नगर पालिका परिषद के विस्तार में 54 ग्रामों-मुहम्मद मुतलके, भटकुंडल, रेवरी डीह, मेघई मु0 सहरोज, डोडापुर, डाड़ीखास, सैदोपुर, भुजौटी, सरायलखंसी, चक इनायतुल्लाह खैरुल्लाह, खालसा उत्तर दक्षिण टोला, भूतबराड़, बख्तावरगंज, सिकटिया, दर्पन रायनपुर, छपरा, नियामुपुर, चकरामजी, चकजीयन, चकखुदाद, सरायमक्खन, मानपुर, राघोपट्टी, नसोपुर, मुसरदह, रस्तीपुर, चकाकिल, इन्दरपुर, परसपुरा, हरदसपुर, बहरीपुर, सुल्तानपुर, बेलचौरा, इनायतुल्ला उर्फ चकिया, अछार, ठकुरमनपुर, बरलाई, बड़ा गांव, काझा खुर्द, खेवसीपुर, दनियालपुर, सुल्तानपुर उर्फ बनौरा, सनेगपुर, रामपुर, बढुआ गोदाम, इमिलियाडीह, कटरा, ओड़हरा, ताजोपुर, जमीन हाथीपुर, हाथीपुर, परदहां, भीखमपुर और सलाहाबाद के विभिन्न गाटों को सम्मिलित किया गया है।
मंत्रिपरिषद द्वारा अधिसूचना की अन्तर्वस्तु में संशोधन/परिवर्तन की आवश्यकता होने पर आवश्यक सुसंगत संशोधन/परिवर्तन हेतु नगर विकास मंत्री को अधिकृत किया गया है।

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जनपद बरेली की नगर पालिका परिषद, आंवला तथा नगर पालिका परिषद, नवाबगंज के सीमा विस्तार के प्रस्ताव स्वीकृत
    मंत्रिपरिषद ने जनपद बरेली की नगर पालिका परिषद, आंवला तथा नगर पालिका परिषद, नवाबगंज के सीमा विस्तार के प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद के निर्णय के अनुसार नगर पालिका परिषद, आंवला की सीमा में ग्राम अबादानपुर, ग्राम बेहटा जुनू तथा ग्राम नगरिया सतन के उल्लिखित गाटों को सम्मिलित करते हुए उसका सीमा विस्तार किए जाने विषयक अंतिम अधिसूचना निर्गत की जाएगी। इसी प्रकार नगर पालिका परिषद, नवाबगंज की सीमा में ग्राम याकूबपुर, बहोर नगला के उल्लिखित गाटों को सम्मिलित करते हुए उसका सीमा विस्तार किए जाने विषयक अंतिम अधिसूचना निर्गत की जाएगी। इन अधिसूचनाओं की अंतर्वस्तु में संशोधन/परिवर्तन किए जाने की आवश्यकता होने पर मंत्रिपरिषद द्वारा नगर विकास मंत्री को आवश्यक संशोधन/परिवर्तन हेतु अधिकृत किया गया है।

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जनपद मथुरा के ब्रज क्षेत्र में पर्यटक सुविधा केन्द्र हेतु अकबरपुर जैंत ग्राम चौमुहा की सिंचाई विभाग की निष्प्रयोज्य भूमि को पर्यटन

विभाग को निःशुल्क प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में    मंत्रिपरिषद ने जनपद मथुरा के ब्रज क्षेत्र में पर्यटक सुविधा केन्द्र (टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेन्टर) हेतु अकबरपुर जैंत ग्राम चौमुहा के खसरा संख्या-685 रकबा
2.023 हेक्टेयर, सिंचाई विभाग के स्वामित्व की निष्प्रयोज्य भूमि को उ0प्र0 पर्यटन विभाग को निःशुल्क प्रदान किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृत प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि मथुरा जनपद धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। सम्पूर्ण देश से श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों का निरन्तर यहां आवागमन रहता है। यहां आने वाले ऐसे श्रद्धालु व पर्यटक, जो आर्थिक रूप से होटलों में खाने व ठहरने का खर्च वहन नहीं कर सकते, उन्हें अल्प व्यय में समुचित आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए मथुरा-वृन्दावन में पर्यटक सुविधा केन्द्र का निर्माण कराया जाना है। इस केन्द्र में श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अल्प व्यय में रसोई हेतु स्थान, ठहरने हेतु डारमेट्री व कमरे, कैन्टीन, साफ-सुथरे टॉयलेट ब्लॉक तथा हल्के व भारी वाहनों हेतु पार्किंग की सुविधा उपलब्ध होगी। पर्यटक सुविधा केन्द्र के निर्माण से क्षेत्र का विकास होगा तथा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

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कोकिला वन शनि धाम, मथुरा में परिक्रमा मार्ग का निर्माण, टॉयलेट ब्लॉक तथासोलर प्लान्ट की स्थापना हेतु परिक्रमा मार्ग के संरेखण में आ रही वन विभाग की 2.0112 हेक्टेयर भूमि के बदले में ग्राम मादौर की ग्राम समाज की 2.0112 हेक्टेयर भूमि वन विभाग को निःशुल्क प्रदान किये जाने विषयक     मंत्रिपरिषद ने जनपद मथुरा में कोकिला वन शनि धाम परिक्रमा मार्ग का निर्माण, टॉयलेट ब्लॉक तथा सोलर प्लान्ट की स्थापना के निर्माण कार्य कराये जाने हेतु परिक्रमा मार्ग के संरेखण में आ रही वन विभाग की 2.0112 हेक्टेयर भूमि के बदले में ग्राम मादौर की ग्राम समाज की 2.0112 हेक्टेयर भूमि वन विभाग को निःशुल्क प्रदान किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन, बरसाना एवं नन्दगाँव धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से विश्व विख्यात क्षेत्र है। देश विदेश से लाखों पर्यटक श्रीकृष्ण भगवान की जन्मस्थली मथुरा में दर्शनार्थ आते है। लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा प्रतिवर्ष गोवर्धन एवं ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा लगायी जाती है। मथुरा में कोसीकलां के पास स्थित कोकिला वन में प्रसिद्ध शनिधाम मन्दिर है,। लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस मन्दिर में दर्शनार्थ आते हैं तथा मन्दिर के परिक्रमा मार्ग पर परिक्रमा करते हैं। ब्रज क्षेत्र में श्रद्धालुओं की सुविधा एवं पर्यटकों को बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद, मथुरा द्वारा सम्पूर्ण ब्रज क्षेत्र में विकास कार्य कराये जा रहे हैं। इससे पर्यटन के क्षेत्र मे विकास, राजस्व में वृद्धि एवं प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार वृद्धि होगी।

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उ0प्र0 सहकारी ग्राम विकास बैंक द्वारा एन0बी0सी0एफ0डी0सी0 तथा एन0एस0एफ0डी0सी0 से 100-100 करोड़ रु0 की सीमा के तहत अग्रिम/रिफाइनेंस निर्धारित शर्तों के अधीन प्राप्त किये जाने हेतु कुल 200 करोड़ रु0 की शासकीय गारन्टी के सम्बन्ध मंे    मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के किसानों को वितरित दीर्घकालिक ऋण के सापेक्ष, उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (एन0बी0सी0एफ0डी0सी0) तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम (एन0एस0एफ0डी0सी0) से 100-100 करोड़ रुपये की सीमा के तहत अग्रिम/रिफाइनेंस निर्धारित शर्तों के अधीन प्राप्त किये जाने हेतु कुल 200 करोड़ रुपये की शासकीय गारन्टी  तथा नाबार्ड के पक्ष में पूर्व निर्गत 1,000 करोड़ रुपये की गारन्टी निरस्त करते हुए उसके स्थान पर 800 करोड़ रुपये की गारन्टी वित्त विभाग की सहमति से निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को अनुमति प्रदान कर दी है।
मंत्रिपरिषद ने यह निर्णय भी लिया है कि शासकीय गारण्टी के सापेक्ष राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (एन0बी0सी0एफ0डी0सी0) तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम (एन0एस0एफ0डी0सी0) से प्राप्त अग्रिम/रिफाइनेंस का उपयोग किसी अन्य प्रयोजन हेतु नहीं किया जाएगा। साथ ही, इस सम्बन्ध में भविष्य में किसी परिवर्तन/संशोधन की आवश्यकता होने पर, इसके लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।
उ0प्र0 सहकारी ग्राम विकास बैंक लि0 द्वारा प्रदेश के लघु एवं सीमान्त कृषकांे को विभिन्न रोजगारपरक एवं आय अर्जक योजनाओं में दीर्घकालीन/मध्य कालीन ऋण वितरण कर कृषकों की सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान किया जाता है। पिछडे़ वर्ग एवं अनुसूचित जाति वर्गों के कल्याण हेतु भारत सरकार के उपक्रम राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (एन0बी0सी0एफ0डी0सी0) तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम (एन0एस0एफ0डी0सी0) जैसी संस्थाओं की स्थापना की गयी है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नाबार्ड को 1000 करोड़ रुपये की शासकीय गारण्टी निर्गत की गई है, जिसकी अवधि 30 जून, 2023 को समाप्त हो रही है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम से बैंक को अधिकतम 03 प्रतिशत की ब्याजदर पर ऋण उपलब्ध होगा, जिस पर दोनों निगमों की शर्तों के अनुसार लाभार्थी को बैंक द्वारा अधिकतम 6 प्रतिशत की ब्याजदर पर ऋण उपलब्ध कराया जायेगा। बैंक द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (एन0बी0सी0एफ0डी0सी0) तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम (एन0एस0एफ0डी0सी0) की संचालित योजनाओं में न्यूनतम 5 वर्ष से 7 वर्ष की अवधि के लिए ऋण उपलब्ध कराया जायेगा, जिसकी वसूली योजनाओं के अनुसार मासिक एवं त्रैमासिक आधार पर करायी जायेगी।

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