
वाराणसी, 18 जून 2025:
काशी की पहचान और स्वाद का प्रतीक बनीं दशकों पुरानी ‘पहलवान लस्सी’ और ‘चाची कचौड़ी’ जैसी लोकप्रिय दुकानें मंगलवार देर रात बुलडोजर की जद में आ गईं। लहरतारा से भेलूपुर विजया मॉल तक 9.5 किमी लंबी फोरलेन सड़क चौड़ीकरण परियोजना के तहत लंका चौराहे के पास 30 से अधिक दुकानों को ध्वस्त कर दिया गया।
लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा करीब एक माह पहले नोटिस जारी कर कारोबारियों को दुकानें खाली करने का निर्देश दिया गया था। तय समय के अनुसार मंगलवार रात कार्रवाई की गई, जिसमें रविदास गेट के पास स्थित कई 60-70 साल पुरानी दुकानें भी जमींदोज कर दी गईं।
‘पहलवान लस्सी’ और ‘चाची कचौड़ी’ जैसी दुकानों का बनारस की सांस्कृतिक विरासत और स्वाद की पहचान में विशेष स्थान था। ये दुकानें न केवल स्थानीय निवासियों, बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के बीच भी काफी लोकप्रिय थीं।
दुकानदारों की आंखों में आंसू, रोजी-रोटी का संकट
अपनी टूटी दुकान के सामने खड़े एक बुजुर्ग दुकानदार की आंखों में आंसू थे। उन्होंने कहा, “ये दुकान ही हमारी दुनिया थी। अब इतने महंगे किराये में कहां जाएं? सरकार के आगे हमारी कौन सुनता है।” एक अन्य दुकानदार ने बताया कि उनकी तीसरी पीढ़ी इस व्यवसाय से जुड़ी थी।
फोरलेन परियोजना का उद्देश्य शहर के बढ़ते ट्रैफिक को कम करना और टूरिस्ट रूट को बेहतर बनाना है। करीब 241.80 करोड़ रुपये की लागत वाली इस योजना के तहत प्रभावित लोगों को मुआवजा देने की प्रक्रिया जारी है। हालांकि दुकानदारों का कहना है कि मुआवजा न तो उनकी आजीविका की भरपाई कर सकता है, न ही वर्षों से जुड़ी पहचान को वापस ला सकता है। काशी का यह चौड़ीकरण विकास की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही कई परिवारों की रोजी-रोटी और बनारस की यादों का एक हिस्सा भी मलबे में दब गया है।