
लखनऊ, 28 मई। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज राजभवन, लखनऊ में नीति आयोग, भारत सरकार द्वारा आयोजित “ईज ऑफ डूइंग रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट” विषयक दो दिवसीय परामर्श बैठक का समापन हुआ। राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि किसी देश को आत्मनिर्भर और वैश्विक मंच पर अग्रणी बनाना है, तो अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में ठोस तथा दूरगामी कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि अनुसंधान की चुनौतियों को अवसर के रूप में लिया जाना चाहिए और ऐसी नीतियों में समयानुसार परिवर्तन आवश्यक है, जो बाधा बन रही हों।
राज्यपाल ने अनुसंधान से जुड़े लोगों को अपनी समस्याओं की स्पष्ट सूची बनाकर वरिष्ठ अधिकारियों से संवाद करने और समाधान हेतु प्रणालीगत सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अनुसंधान संस्थानों को सक्षम, स्वायत्त और परिणामोन्मुखी बनाना भारत को वैश्विक अनुसंधान एवं नवाचार केंद्र बना सकता है। उन्होंने अधिकारियों से कार्यों की नियमित समीक्षा, निर्णय प्रक्रिया में गति, पारदर्शिता और विभिन्न विभागों के बीच समन्वय की आवश्यकता बताई। राज्यपाल ने कहा कि अनुसंधान का उद्देश्य केवल अकादमिक उपलब्धि न होकर समाज के अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुँचाना होना चाहिए।
उन्होंने राजभवन की पहल से भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को शिक्षा की ओर लाने, एचपीवी वैक्सीन वितरण, आंगनबाड़ी केंद्रों के सशक्तिकरण, बेटियों का हीमोग्लोबिन परीक्षण, टीबी मुक्त भारत अभियान, बाल मनोविज्ञान प्रशिक्षण, योगाभ्यास, और गर्भ संस्कार को प्राथमिकता देने जैसे प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालय पाँच-पाँच गाँव गोद लेकर उनका समग्र विकास कर रहे हैं और एक साझा ऐप के माध्यम से सभी विश्वविद्यालयों के प्रोजेक्ट्स को एक मंच पर लाने का निर्देश भी दिया गया है।
राज्यपाल ने सामाजिक जागरूकता हेतु विद्यार्थियों की साइकिल यात्राओं, महिलाओं की सहभागिता, ग्रीन आर्मी द्वारा किए जा रहे कार्यों और उनके मनोबलवर्धन हेतु एक हजार हरी साड़ियों के वितरण की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में सामाजिक सरोकारों को प्राथमिकता दी जा रही है और प्रतिभा को ग्रामीण अंचलों से खोजकर सामने लाना आवश्यक है।
कार्यक्रम के तीसरे तकनीकी सत्र में सीएसआईआर-एनबीआरआई, लखनऊ के निदेशक डॉ. अजीत कुमार शासनी, एनआईपीईआर रायबरेली की प्रो. शुभिनी ए. सराफ, आईसीएआर-पुसा के डॉ. ए.के. सिंह और डीआरडीओ-लखनऊ के डॉ. अशीष दुबे ने संस्थागत ढांचे, अंतरविषयी सहयोग, नवाचार, वित्तीय संसाधनों, वैज्ञानिक स्वतंत्रता और उद्योग-शिक्षा तालमेल को अनुसंधान सुगमता के लिए महत्वपूर्ण बताया।
चौथे सत्र में टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड के सचिव डॉ. राजेश कुमार पाठक ने पेटेंट से उत्पाद निर्माण, ठोस परियोजनाओं की आवश्यकता, और प्रधानमंत्री की “टैलेंट, टेम्परामेंट और टेक्नोलॉजी” अवधारणा पर चर्चा की। सत्र में कुलपतियों, शोध संस्थानों के निदेशकों और विशेषज्ञों ने अकादमिक और सरकारी शोध के समन्वय, समयबद्ध फंडिंग, विनियामक ढांचे और समाजोपयोगी अनुसंधान पर सुझाव दिए।
समापन सत्र में सीएसआईआर की डीजी डॉ. एन. कलाईसेल्वी ने उत्तर प्रदेश को अद्वितीय बताते हुए राज्यपाल के प्रति आभार प्रकट किया और भारत की उभरती अर्थव्यवस्था, तकनीकी क्षमता और चुनौती प्रबंधन की योग्यता को रेखांकित किया। उन्होंने प्रतिभा पलायन रोकने और सरकारी मिशनों की जानकारी वेबसाइटों पर उपलब्ध होने की जानकारी दी।
अपर मुख्य सचिव डॉ. सुधीर महादेव बोबडे ने ईज ऑफ डूइंग आरएंडडी की दिशा में उत्तर प्रदेश के प्रयासों को सराहा और अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को अपनाने की बात कही। नीति आयोग के डिप्टी एडवाइजर डॉ. अशोक ए. सोनकुसरे ने प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि सभी सुझावों को नीति निर्माण में उचित प्राथमिकता के साथ शामिल किया जाएगा।