
-आर के श्रीवास्तव: प्रमुख संवाददाता

.आखिर हंसमुख मोनालिसा महाकुंभ से गई क्यों?
सुन्दरता, सरलता, सहजता, सौम्यता,सभ्यता की प्रतीक है मोनालिस
हमारे भारत के मध्य में स्थित राज्य *मध्य प्रदेश के जनपद इंदौर की ख़ूबसूरत सुकन्या अपने माता-पिता की आज्ञाकारी लाडली बेटी “मोनालिसा”* जिसने पूरी सादगी के साथ कपड़े पहने हुए हैं।
यह कहना अतिश्योक्ति न होगा कि इंदौर का दौर अभी ख़त्म नही हुआ है।
इसी इंदौर से *”भारत रत्न”* से सम्मानित भारत की *स्वर कोकिला* रहीं *”लता मंगेशकर”*, *हिन्दू हृदय सम्राट “बाला साहेब ठाकरे” और भारत की लोकप्रिय पूर्व लोकसभा अध्यक्ष *”सुमित्रा महाजन” (ताई) का भी संबंध* है।
*मोनालिसा ने भी इंदौर का दौर ख़त्म नही होने दिया*।
इंदौर से प्रयागराज महाकुंभ में आयी *आध्यात्मिक और रत्न रुपी माला* बेचने वाली *मोहिनी बाला मोनालिसा ने सबका मन मोह* लिया। उसके *कजरारे नैना तो नीली-नीली आंखें और झील सी आंखों* की आंख में संगम तट पर इस कदर धूल झोंका कि उसके इस झोंके के आगे बहुतों की आंखें झुक गईं।
*यह भी सत्य है कि आज इस आधुनिकता के दौर में भी इंदौर की मोनालिसा सुन्दरता, सरलता, सहजता, सौम्यता और सभ्यता की प्रतीक* भी है।
एक सनातन धर्म की पहचान जो उसने दर्शी है और एक खूबसूरत बच्ची जिसे गंगा मैया का आशीर्वाद प्राप्त हुआ उसने पूरे मध्य प्रदेश का नाम रोशन और आज के नए जमाने में लोग प्रसिद्धि पाने के लिए अपना जिस्म दिखाते हैं छोटे कपड़े पहनते हैं। भारतीय संस्कृति को बदनाम करते हैं। वही यह बच्चे सादे कपड़े पहनती है और बहुत खूबसूरत दिखती है। अच्छे रईस खानदान के घर में भी ऐसी बच्ची पैदा नहीं हो सकती है ।लेकिन ईश्वर की कृपा देखिए गरीब आदिवासी बंजारा घराने के परिवार में इतनी सुंदर बच्ची ने जन्म लिया।
मध्य प्रदेश ही नही देश का नाम रोशन कर दिया और पूरी सादगी के साथ रहती है।
यही मां गंगा का सबसे बड़ा आशीर्वाद मिला। ऐसे बच्चे और ऐसे संस्कारवान पूरे देश में बच्चों को होना चाहिए। *मॉडर्न जमाने ने और वेस्टर्न सभ्यता ने हमारे भारत की संस्कृति खराब कर यह बच्ची ने मिसाल* दी है। कपड़े का पहनावा सनातन धर्म के जैसे होना चाहिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन करता हूं मध्य प्रदेश के इस बच्ची को सम्मानित पुरस्कार दिया जाए।

मैं बेचना चाहती हूँ,
बस माला के मनके ,
पर यहाँ आये हैं ,
सब लोग अलग-अलग मन के ,
इन्हें कहाँ खरीदने हैं ,
मेरी माला के मनके ,
ये निहारना चाहते हैं ,
मेरे नयनों के मनके ,
कोई बस मेरी ,
तस्वीर लेना चाहता है ,
कोई मुझ से अपनी ,
दिल की बातें कहना चाहता है ,
पर जो मैं बेच रही हूँ ,
उसके ख़रीददार कम हैं ,
अब इस दुनियां में ,
इज्जतदार कम हैं !
सोशल मीडिया के इस जमाने में भी अपनी सादगी से मोनालिसा ने सबका दिल जीत लिया है। आजकल लोग छोटे कपड़ों का सहारा लेते हैं ताकि वह फेमस हो जाए लेकिन मोनालिसा ने प्रयागराज महकुंभ मेले में अपने संस्कारी अंदाज से ही सबको दीवाना बना कर रख दिया है।
लोगों को उम्मीद है कि उनकी खूबसूरती पर जरूर बॉलीवुड वालों की नजर पड़ेगी और लोग उनकी प्रतिभा को सबके सामने लाएंगे।
वो भारतीय लोग जो गौरे रंग को ही सुंदरता की पहचान समझते है। देख लीजिए इस *श्याम वर्ण बंजारन बाला को क्या इससे सुंदर* कोई हो सकता है।
सुंदरता को ना तो गौरे रंग की जरूरत होती है, ना ही रईसी की , ना ही बदन दिखाऊं कपड़ों की , ना ही किसी श्रृंगार की। देखिए ऐसी आम से परिवार की अशिक्षित लड़की लेकिन रूप ऐसा किसी अप्सरा से क्या कम होगी?
बस ये सोशल मीडिया तब बहुत अच्छा लगता है।
…जब ये किसी को रातों रात स्टार बना देता है। बस समझिए इस लड़की का भी वक्त आ गया चमकने का वैसे तो ये खुद ही किसी हीरे से कम नहीं अब देखना ये है इसका भविष्य इसको कहां तक लेकर जाता है…? शायद इसीलिए महाकुंभ से मोनालिसा चली गई।
By–
J. P. Shukla
Sr. Journalist
Lucknow