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पुलिस ऑडियो वीडियो से क्यों नहीं लेती पीड़ित का बयान : इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपराधिक मामलों में पुलिस की जांच पर सख्त टिप्पणी की है कोर्ट ने जांच पर सवाल उठाते हुए कहां की जब सरकार ने सीआरपीसी की धारा 161 के तहत निष्पक्ष जांच के लिए ऑडियो वीडियो के जरिए बना लेने की व्यवस्था बनाई है ।

आगे हाईकोर्ट ने कहा पुलिस अभी तक क्यों लेखबद्ध तक सीमित है ? क्या पुलिस अभी तक अपडेट नहीं हुई है या वह कानून में हुए संशोधन को अपनी दैनिक जांच प्रक्रिया में शामिल ना कर कानून का पालन नहीं करना चाहती ।

जबकि राज्य सरकार ने ऑडियो वीडियो के जरिए बयान लेने की व्यवस्था 2009 में ही लागू कर दी है कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक मामलों में सुनवाई के दौरान दाखिल होने वाली जांच रिपोर्टों को देखकर ऐसा लग रहा है कि पुलिस निष्पक्ष जांच प्रक्रिया को अपनाना ही नहीं चाहती । वह जांच रिपोर्टों को मैनुप्लेट करने का इरादा रखती है जिसकी वजह से पुराने ढर्रे पर अभी काम कर रही है ।

कोर्ट ने मामले में पुलिस अधिकारियों को अपडेट नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई और राज्य सरकार से पूछा है कि जांच प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाने के लिए वह क्या कदम उठा रही है या आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने अलीगढ़ के आकाश, रामपुर के वसीम , प्रयागराज की विवेक सिंह की अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है ।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि इन मामले में सीआरपीसी की धारा 161 के तहत बल्ले लिया गया और उसके बाद कोर्ट में 164 का भी बयान हो गया इसके बावजूद पुलिस ने मजिद बयान लेकर आरोपियों के नाम निकाल कर , धाराएं कम कर उन्हें बदल दिया पुलिस ने जब कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की तो जांच रिपोर्ट की एक भाषा एक पैटर्न पर हुबहू है ।

Shubham Tripathi

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