*दिनांक:01/02/2024*
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*निर्यात हेतु गुणवत्तायुक्त आम उत्पादन एवं किसानों की आय दोगुनी करने में आई.पी.एम. साबित हो रहा प्रभावी विकल्प –* _डा. एस. एन. सुशील, निदेशक, राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो, बेंगलुरु_
रिपोर्ट – अमित कुमार शुक्ला।
*लखनऊ* : भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के उप कार्यालय क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र में आम की फसल में आई.पी.एम. पर दीर्घकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ I कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि डा. एस. एन. सुशील, निदेशक, राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो, बेंगलुरु, विशिष्ट अतिथि टी. पी. चौधरी, निदेशक (कृषि रक्षा), उत्तर प्रदेश सरकार, डा. विजय बहादुर द्विवेदी, संयुक्त निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, उत्तर प्रदेश सरकार एवं क्षेत्रीय आई. पी. एम. सेंटर के प्रभारी एवं संयुक्त निदेशक डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह कार्यक्रम में उपस्थित थे I कार्यक्रम में केंद्र सरकार के संयुक्त निदेशक डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह ने बताया कि किसानों द्वारा आम की फसलों में रासायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग के कारण होने वाले दुष्परिणामों को रोकने एवं रासायनिक कीटनाशी के प्रयोग के विकल्प के रूप में केंद्र सरकार द्वारा अपनाये गए आई.पी.एम. विधि को किसानों तक पहुँचाने के लिए राज्य कृषि रक्षा विभाग, उद्यान विभाग तथा कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय के अधिकारियों को एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन पर प्रशिक्षित किया गया I उन्होने कहा कि आई.पी.एम. को बढ़ावा दें परिणामस्वरूप कम लागत के साथ गुणवत्तायुक्त कृषि उत्पाद प्राप्त करें I कार्यक्रम में उपस्थित बतौर मुख्य अतिथि डा. एस. एन. सुशील, निदेशक, राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने इस तीस दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि किसानों द्वारा आम की फसल में कीट एवं बीमारियों से बचाने के लिए रासायनिक कीटनाशकों का अनुचित एवं अंधाधुंध उपयोग किया जा रहा है I रासायनिक कीटनाशकों का अविवेकपूर्ण प्रयोग पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदेह है एवं रासायनिक कीटनाशकों के अवशेष आम के फलों में होने की वजह से उत्तर प्रदेश से आम के निर्यात में बाधा उत्पन्न हो रही है I उन्होंने अधिकारियों को संबोधित करते हुये कहा कि आम के फलों को फल मक्खी कीट के प्रकोप से बचाने तथा निर्यातोन्मुखी गुणवत्तायुक्त आम के उत्पादन में यह दीर्घकालीन प्रशिक्षण अत्यंत उपयोगी साबित होगा I उन्होंने यह भी कहा कि बगैर रसायन के उत्पादित आम के फलों का राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अधिक मूल्य प्राप्त होता है I डा. सुशील ने अधिकारियों को संबोधित करते हुये कहा कि सभी प्रसार कार्यकर्ता आम के बागों में ही कीड़े-बीमारियों का प्रबंधन इस स्तर पर करें कि निर्यात को बढ़ावा मिल सके I कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित टी. पी. चौधरी, निदेशक (कृषि रक्षा), उत्तर प्रदेश सरकार, ने कहा कि इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (आई.पी.एम.) ही एकमात्र विकल्प है जो रासायनिक कीटनाशकों के अनुचित उपयोग को कम कर सकता है और उन्होंने कहा कि अब प्रदेश के सभी जनपदों में आई.पी.एम. के अंतर्गत आने वाले विभिन्न प्रकार के ट्रैप्स तथा जैविक कीटनाशकों की उपलब्धता भी सुनिश्चित करने हेतु कृषि विभाग प्रयासरत एवं प्रतिबद्ध है I उन्होने विभिन्न जनपदों से आए हुये तकनीकी अधिकारियों को संबोधित करते हुये कहा कि आप सभी प्रशिक्षु इस प्रशिक्षण के उपरांत मास्टर ट्रेनर हो जाएंगे और आई.पी.एम. अपनाने हेतु किसानों को प्रेरित करें क्योंकि एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन बगैर कीटनाशक अवशेष के आम उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है जिससे आम निर्यात में भी सफलता प्राप्त हो रही है I डा. विजय बहादुर द्विवेदी, संयुक्त निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि समस्त अधिकारी प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत आई. पी. एम. अपनाने हेतु किसानों को प्रेरित करें और यदि जरूरत पड़े तो केन्द्रीय कीटनाशी बोर्ड एवं पंजीकरण समिति द्वारा संस्तुत रासायनिक कीटनाशक ही अंतिम विकल्प के तौर पर उपयोग में लाएं। कार्यक्रम का सफल संचालन अमित सिंह, सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी ने कियाI I आर.सी.आई.पी.एम.सी. द्वारा संचालित आई.पी.एम. से सम्बंधित विभिन्न प्रकार की प्रयोगशालाओं का भ्रमण एवं सराहना अतिथि गणमान्य द्वारा किया गया I