दरअसल, नूपुर शर्मा अपने खिलाफ अलग-अलग जगह दर्ज मामलों को दिल्ली ट्रांसफर कराने की अर्जी लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं। शुक्रवार सुबह ग्यारह बजकर तीन मिनट पर सुनवाई शुरू हुई, जो साढ़े ग्यारह बजे तक चली। कुल 27 मिनट की सुनवाई में कोर्ट ने उदयपुर हत्याकांड का जिक्र भी किया।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि नूपुर ने टेलीविजन पर धर्म विशेष के खिलाफ उकसाने वाली टिप्पणी की। माफी भी उन्होंने शर्तों के साथ ही मांगी, वह भी तब, जब लोगों का गुस्सा भड़क चुका था। यह उनकी जिद और घमंड दिखाता है।
कोर्ट की फटकार के बाद नूपुर शर्मा के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि वे अपने बयान पर माफी मांग चुकी हैं और उन्होंने इसे वापस भी ले लिया है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि जब माफी मांगी गई, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इसके साथ ही कोर्ट ने नूपुर के खिलाफ दर्ज मामलों को दिल्ली ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया। इसके बाद उनके वकील ने याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी, कोर्ट ने इसकी मंजूरी दे दी।
कोर्ट ने विवादित बहस को दिखाने वाले टीवी चैनल और दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा, ‘दिल्ली पुलिस ने क्या किया? हमें मुंह खोलने पर मजबूर मत कीजिए। टीवी डिबेट किस बारे में थी? इससे केवल एक एजेंडा सेट किया जा रहा था। उन्होंने ऐसा मुद्दा क्यों चुना, जिस पर अदालत में केस चल रहा है।’
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
हमने देखा है कि बहस के दौरान नूपुर ने कैसे उकसाने वाली बात कही, उसके बाद भी वे कहती हैं कि मैं एक वकील हूं। यह शर्मनाक है। नूपुर को पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।यह याचिका आपके घमंड को दिखाती है। आप लोअर कोर्ट की जगह सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं। देशभर के मजिस्ट्रेट कोर्ट आपके लिए छोटे हैं।