मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारी जवाबदेही जनता के प्रति होनी चाहिये। एक जनप्रतिनिधि अपना जीवन जनता के लिये समर्पित कर दे। नकारात्मकता जनप्रतिनिधि के लिए खतरनाक है। जनता भी फिर इसी भाव के साथ आपको लेती है। ठेके पट्टे व ट्रांसफर पोस्टिंग से विधायक दूर रहें। राजनेता अब अविश्वास का प्रतीक बन गया। इसे विधानसभा में अपने आचरण व मुद्दों चर्चा के जरिये दूर किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री शनिवार को विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने नकारात्मकता उदाहरण देते हुये कहा कि एक विधायक बार बार धरना प्रदर्शन करते थे। इस बार चुनाव हारे। चौथे नम्बर पर आए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सांसद होने के नाते गोरखपुर के अस्पताल के वार्ड की दयनीय हालत देखी थी। तब हमने वहां जरूरी व्यवस्था कराई। संसद में स्पीकर से इस जेई से बच्चों की मौत के मुद्दे को उठाने की कई कोशिश के बाद अनुमति मिली।ठेके पट्टे से अनुराग रखने वाले नेता नीचे खिसकते जाते है। अगर जाति की राजनीति होती तो सुरेश खन्ना व सतीश महाना कैसे जीतते। कई सदस्य जनता के प्रति तटस्थता रखते हैं। ठेके पट्टे व ट्रांसफर पोस्टिंग से विधायक दूर रहें।
उत्तर प्रदेश में अठारहवीं विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों को सदन की कार्यवाही, नियमों और परंपराओं के बारे में प्रशिक्षण देने के लिए दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम का आज दूसरा दिन है। विधानसभा मंडप में शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बतौर मुख्य अतिथि इसका शुभारंभ किया था, आज शनिवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का उद्बोधन हुआ।
विधानसभा में यूपी के नवनिर्वाचित विधायकों का प्रबोधन कार्यक्रम शुरु हो चुका है। आज दो सत्रों में प्रबोधन-प्रशिक्षण कार्यक्रम होगा। पहला सत्र सुबह 11 बजे शुरु हुआ। पहले सत्र का आयोजन विधानभवन के तिलक हाल में किया जा रहा है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी कार्यक्रम में पहुंच चुकी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस कार्यक्रम में मौजूद हैं।
विधान सभा के सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि अधिकारियों की आदत काम को उलझाने और फाइलों को लटकाने व टरकाने की होती है। मंत्री और मुख्यमंत्री के हाथ में कुछ भी नहीं है। सब कुछ अधिकारी के हाथ में है लेकिन उनसे काम कराने की जिम्मेदारी मंत्रियों की है। इसलिए आपको अधिकारियों से बहुत होशियारी से काम कराना चाहिए। उनसे झगड़ा नहीं करना है। नहीं तो आपका काम नहीं होगा। उनके साथ शांति के साथ चर्चा कर फाइल निपटाइए। उन्होंने विधायकों और मंत्रियों को अपने बेटे-बेटियों रिश्तेदारों को दूर रखने की नसीहत दी। कहा कि इससे आपकी छवि खराब होती है। टेंडर किसको देना है, इसमें मत पड़िए। रोटी दाल खाइए लेकिन शान से।